केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने मंगलवार को सिल्वर लाइन रेल कॉरिडोर परियोजना के मसले पर शशि थरूर का बचाव किया। कहा कि सांसद अब सिल्वर परियोजना के बारे में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ द्वारा उठाई गई चिंताओं को लेकर सहमत हैं।
थरूर को पहले केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने एलडीएफ सरकार की करोड़ों की पहल पर उनके विरोधाभासी रुख के लिए कड़ी चेतावनी दी थी। सतीसन ने कहा कि थरूर ने सोमवार को एक पत्र का जवाब दिया, जो उन्होंने उन्हें भेजा था। थरूर ने परियोजना के बारे में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) द्वारा तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट को संलग्न किया, और उसी के बारे में उनके द्वारा उठाई गई चिंताओं का विवरण भी दिया है। सतीसन के मुताबिक, पत्र में थरूर ने कहा है कि यूडीएफ द्वारा उठाए गए प्रश्न प्रासंगिक हैं और यह वही था जो वह भी पूछना चाहते थे। थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने इस परियोजना के लिए कभी भी समर्थन का रुख नहीं अपनाया है।
उन्होंने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह किसी व्यक्ति को किसी मामले में समझाए, अगर वह कहता है कि वह इसे नहीं समझता है। और, उन्हें पत्र इसी उद्देश्य से भेजा गया।
सतीसन ने कहा, “यह कहने का कोई मतलब नहीं था कि थरूर ने सिल्वर लाइन के बारे में विरोधाभासी रुख अपनाया था।” सतीसन ने कहा कि एक कांग्रेस सांसद के रूप में थरूर ब अलग रुख नहीं रख सकते, उन्हें यूडीएफ के साथ ही खड़ा होना होगा।
हालांकि, मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए उनके कथित समर्थन वाले रुख और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की लगातार प्रशंसा के लिए केपीसीसी के पूर्व प्रमुख मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने थरूर की आलोचना करना जारी रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक ऐसा संगठन है जिसने हमेशा पार्टी में अनुशासन को कायम रखा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने थरूर को यह भी याद दिलाया कि एक सांसद के रूप में उनकी स्थिति सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत का परिणाम है। इसलिए उन्हें अपनी राय देते समय अपनी पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को नहीं भूलना चाहिए।
रामचंद्रन ने कहा, “थरूर एक सांसद और एक सम्मानित नेता हैं। इसलिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए। एआईसीसी के लिए इस मुद्दे में हस्तक्षेप करना और उसे रोकने के लिए कदम उठाना अनिवार्य है। ”
दरअसल कांग्रेस की राज्य इकाई में पिछले कुछ समय से थरूर के खिलाफ नाराजगी पनप रही है। इसलिए कि वह पार्टी के नेतृत्व वाले यूडीएफ के सांसदों द्वारा केंद्र को भेजे जाने वाले उस पत्र पर दस्तखत करने के लिए अनिच्छा दिखा रहे थे, जिसमें राज्य सरकार के सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर को लेकर विरोध जताया गया है। इतना ही नहीं, वह मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की इस बात के लिए तारफी भी कर रहे हैं कि उन्होंने “निवेश के अनुकूल” पहल की है।
अपनी पार्टी के सहयोगियों की आलोचना का जवाब देते हुए थरूर ने ट्वीट किया था कि कुछ मुद्दों पर राजनीतिक मतभेदों को अलग रखना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट पर अध्ययन करने के बाद अपनी राय प्रकट करेंगे।
के सुधाकरन ने रविवार को कहा था कि पार्टी में थरूर सहित किसी को भी निर्देशों का विरोध करने का अधिकार नहीं है। बाद में चेतावनी दी कि अगर वह पार्टी के फैसलों के अनुरूप नहीं चले तो उन्हें पार्टी से हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा था, ‘शशि थरूर पार्टी में सदस्य मात्र हैं। एक शशि थरूर ही कांग्रेस नहीं है। अगर वह पार्टी के फैसले के अनुरूप चलते हैं, तो वह इसका हिस्सा बने रहेंगे। यदि नहीं, तो वह बाहर हो जाएंगे। ”