डॉ राजेंद्र खिमानी ने गुजरात विद्यापीठ के कुलपति (Vice Chancellor) के पद से इस्तीफा दे दिया है। खिमानी ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (Chancellor) राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रो भरत जोशी (61) को नए कुलपति के रूप में सोमवार को तत्काल प्रभाव से काम संभाल लेने को कह दिया गया है। शिक्षा विभाग के सीनियर प्रोफेसर प्रो. जोशी विद्यापीठ में मई 2019 से जून 2021 तक दो साल के लिए रजिस्ट्रार थे। तब अनामिक शाह वाइस चांसलर थे।
विद्यापीठ के एक ट्रस्टी ने खिमानी के इस्तीफे की पुष्टि की है। बार-बार प्रयास करने के बावजूद डॉ. राजेंद्र खिमानी ने फोन नहीं उठाया।
यह सब सितंबर 2022 के गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के कारण हुआ है। कोर्ट ने गुजरात विद्यापीठ को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की रिपोर्ट के आधार पर आठ सप्ताह के भीतर ‘उचित आदेश पारित’ करने का निर्देश दिया था। यूजीसी ने नियुक्ति में प्रोसेस का पालन नहीं होने के कारण खिमानी को बर्खास्त करने को कहा था। हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार के रूप में कार्यकाल के दौरान भी खिमानी द्वारा प्रशासनिक और वित्तीय कामकाज में चूक का हवाला दिया था।
यूजीसी की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच पेंडिंग थी। इसलिए भी वह नियुक्ति के लिए योग्य नहीं थे। अदालत ने आठ सप्ताह का समय दिया था। यह कहते हुए कि उसे विद्यापीठ की नीयत पर शक है। विद्यापीठ ने दिवंगत चांसलर इलाबेन भट्ट के खराब स्वास्थ्य के कारण आठ सप्ताह की समय सीमा के विस्तार के लिए अनुरोध किया था।
बता दें कि न्यासी मंडल(Board of Trustees) ने 2 जनवरी को सर्वसम्मति से चार नए ट्रस्टी नियुक्त किए थे। चांसलर गवर्नर आचार्य देवव्रत द्वारा “शक्ति के गलत उपयोग” का हवाला देते हुए 24 ट्रस्टियों में से आठ ने इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले यूजीसी ने 25 अप्रैल, 2022 को गुजरात विद्यापीठ को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि “यूनिवर्सिटी का डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी का दर्जा क्यों नहीं वापस लिया जाना चाहिए।” इसके साथ ही उसने अनुदान भी रोक दिया था।
25 नवंबर, 2021 को यूजीसी ने नियुक्ति में “प्रक्रियात्मक खामियों” (procedural lapses) को देखते हुए “विद्यापीठ के कुलपति के रूप में डॉ राजेंद्र खिमानी को तत्काल प्रभाव से हटाने” के निर्देश जारी किए थे। 22 मार्च को हाई कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी किया और उन्हें हटाने के लिए कोई “जबरदस्ती कदम” नहीं उठाने का निर्देश दिया। अदालत का नोटिस खिमानी द्वारा दायर एक याचिका पर आया था। उन्होंने अदालत से चांसलर को वीसी के रूप में उन्हें हटाने के यूजीसी के निर्देश को “अवैध” घोषित करने की मांग की थी।
विद्यापीठ के चांसलर के रूप में खिमानी की नियुक्ति हमेशा सवालों के घेरे में रही। दिसंबर 2020 में विश्वविद्यालय ने कुलपति के रूप में खिमानी के नाम की घोषणा की थी, जिस पर यूजीसी ने चयन प्रक्रिया में मानदंडों के उल्लंघन का हवाला देते हुए आपत्ति जताई थी। उनकी नियुक्ति के लगभग छह महीने बाद 29 जून, 2021 को इसे रद्द कर दिया गया। हालांकि उन्हें फिर से उसी पद पर नियुक्त कर दिया गया।
यूजीसी ने आयोग से कोई प्रतिनिधित्व नहीं होने का हवाला देते हुए गुजरात विद्यापीठ द्वारा सर्च कमेटी बनाने पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद यूजीसी ने गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) के कुलपति प्रोफेसर नवीन शेठ को सर्च कमेटी के चार सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त किया था।
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