नई दिल्लीः अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमने-सामने की लड़ाई ने संसद में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। विपक्ष ने मंगलवार को चर्चा की मांग की और सरकार पर “चीनी आक्रामकता” के लिए “मूक दर्शक” बने रहने का आरोप लगाया। कहा कि सरकार की ऐसी चुप्पी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता (territorial integrity) के लिए खतरनाक है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुई घटना को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के असंतुष्ट विपक्षी दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग करते हुए दोनों सदनों से बायकाट कर दिया। सिंह के बयान देने से पहले उन्होंने दोनों सदनों को कुछ समय के लिए स्थगित (adjournment) करने के लिए भी मजबूर कर दिया था।
राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “… हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को चीनी अतिक्रमण से प्रभावित किया जा रहा है, क्योंकि सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।” उधर लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी चर्चा की मांग की।
उन्होंने कहा, “लद्दाख की गलवान घाटी में हमारी सेना की वीरता जगजाहिर है। चीन ने अप्रैल 2020 से हमारे क्षेत्र में खुलेआम अतिक्रमण (transgressions) किया है। डेपसांग मैदानों में वाई जंक्शन तक अवैध और अकारण चीनी अतिक्रमण आज तक जारी है। पूर्वी लद्दाख में गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की स्थिति भी ऐसी ही है। इतना ही नहीं, हमारी सरकार द्वारा पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र के बगल में चीनी निर्माण की अनदेखी की जा रही है, जिसमें पीएलए के डिवीजनल मुख्यालय, सेना की छावनी (garrison), तोपखाने के लिए हथियार डिपो, विमान-रोधी बंदूकें (anti-aircraft guns) और बख्तरबंद वाहक (armoured carriers) शामिल हैं।”
खड़गे ने सरकार पर “चीन की ओर से नए रेडोम और दो हाई फ्रीक्वेंसी वाले माइक्रोवेव टावरों और क्षेत्र में चल रहे अन्य निर्माण” को लेकर बेखबर होने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “चीनी सैनिकों की आसान आवाजाही की सुविधा के लिए दोनों तरफ डेक के साथ-साथ पैंगोंग त्सो पुल का निर्माण भी कर दिया गया है। अप्रैल 2020 तक यथास्थिति (status quo) सुनिश्चित करने की मांग के बावजूद चीन ने हमारे क्षेत्र को खाली करने से इनकार कर दिया है और जानबूझकर हमारे प्रधानमंत्री के 20 जून 2020 के बयान की आड़ ले रहा है, जिसमें कहा गया था कि किसी ने भी हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है।”
राज्यसभा में ही तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, “हम सभी सेना और सैनिकों के साथ हैं। लेकिन कृपया (सरकार) के बयान के बाद विपक्ष को इस चर्चा का हिस्सा बनने दें। बयान आ सकता है, हम सुनेंगे। कोई रुकावट नहीं डालना चाहता। बयान आएगा; हम रक्षा मंत्री की बात सुनेंगे।”
विपक्षी सदस्यों के चर्चा की मांग के लिए वेल में आने के बाद सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। रक्षा मंत्री से स्पष्टीकरण की विपक्ष की मांग को भी उपसभापति हरिवंश ने उदाहरणों का हवाला देते हुए स्वीकार नहीं किया। कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर स्पष्टीकरण की अनुमति नहीं है।
इसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस, वामदलों, राजद, द्रमुक, समाजवादी पार्टी और आप के सदस्यों ने भी बायकाट कर दिया।
लोकसभा में कांग्रेस सदस्यों के साथ-साथ एआईएमआईएम (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने चर्चा पर जोर दिया। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में होनी चाहिए। लेकिन स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सरकार के बयान के बाद सदस्य नोटिस दे सकते हैं। यहां तक कि विपक्षी सांसदों ने जवाब दिया कि वे पहले ही नोटिस दे चुके हैं, अध्यक्ष ने जवाब दिया कि वे बयान के बाद मामले को उठा सकते हैं।
कांग्रेस सांसदों के अपनी मांग से नहीं हटने पर अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सिंह के बयान के बाद कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी सहित विपक्षी सांसदों ने स्पष्टीकरण मांगा। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए इस कदम की अनुमति नहीं दी। कहा कि लोकसभा में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
अध्यक्ष के न मानने पर कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके सदस्यों ने लोकसभा से बायकाट कर दिया।
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