सूरतः फर्जी दस्तावेजों के जरिये अपनी मौत का धोखा देकर जीवन बीमा निगम (LIC) से 2.01 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए डॉक्टर, पंकज मोदी (65) और उनकी पत्नी मीनाबेन (55) को 7 साल जेल की सजा सुनाई गई है। यह सजा सूरत के चीफ ज्यूडिशय मजिस्ट्रेट की अदालत ने दी है।
डॉ पंकज मोदी सूरत में एलआईसी की कटारगाम शाखा के डॉक्टरों के पैनल में शामिल थे। उन्होंने एलआईसी की तीन पॉलिसी 75,000 रुपये, 50,000 रुपये और 25,000 रुपये की ली थीं। इसके लिए 2000 का प्रीमियम भर रहे थे।
2 अक्टूबर, 2002 को उनकी पत्नी मीना मोदी ने कटारगाम शाखा में क्लेम कर दिया। इसके लिए उन्होंने अंकलेश्वर नगर पालिका द्वारा जारी पंकज मोदी का डेथ सर्टिफिकेट, दुर्घटना का पंचनामा, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अंकलेश्वर में जयबेन मोदी अस्पताल से इलाज का सर्टिफिकेट पेश किया। मीनाबेन के मुताबिक, उनके पति पंकज मोदी एक हादसे में घायल हो गए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। मीनाबेन के क्लेम के आधार पर एलआईसी ने उन्हें 2.01 लाख रुपये की दावा राशि जारी कर दी।
धोखाधड़ी का पता तब चला, जब कटारगाम शाखा के एक एलआईसी अधिकारी जनवरी 2003 में किसी सरकारी काम से डॉ. मोदी के घर पहुंचे। वह उन्हें जिंदा देखकर चौंक गए। डॉ पंकज मोदी ने अपना अपराध कबूल कर लिया था और एलआईसी को माफीनामा लिखा। साथ ही डेथ के क्लेम के रूप में मिले 2.01 लाख रुपये भी ब्याज के साथ वापस कर दिए।
लेकिन महिधरपुरा पुलिस ने 23 फरवरी, 2006 को एलआईसी द्वारा दायर धोखाधड़ी की शिकायत पर दंपती को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई। पुलिस ने दोनों पर आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 465 और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस डीएस ठाकर ने बुधवार को मोदी और उनकी पत्नी को दोषी करार दिया। अपने फैसले में उन्होंने कहा कि डॉ पंकज मोदी एलआईसी के डॉक्टरों के पैनल के सदस्य थे, जो एक जिम्मेदार पद है। फिर भी उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और अपना फर्जी डेथ सर्टिफिकेट और अन्य रिपोर्टें बनाईं। इसलिए उन्हें और उनकी पत्नी को सात साल कैद की सजा सुनाई जा रही है।
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