पांच साल में पहली बार इंश्योरेंस रेगुलेटर भारतीय बीमा विनायक और विकास प्राधिकरण (Irdai) ने बिजनेस करने में आसानी, प्रतिस्पर्धा (competitiveness,) में वृद्धि, निवेश को बढ़ावा देने और नए खिलाड़ियों को आकर्षित करने के उपायों के तहत क्षेमा (Kshema) जनरल इंश्योरेंस के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी दे दी। इरडा ने शुक्रवार को हुई अपनी बोर्ड बैठक में गैर-जीवन बीमा कंपनी गो डिजिट के आईपीओ को मंजूरी के अलावा एक्साइड लाइफ-एचडीएफसी लाइफ (Exide Life-HDFC Life ) के मर्जर को भी मंजूरी दे दी। सितंबर में सेबी ने कहा था कि उसने गो डिजिट के आईपीओ को ऑबजर्वेशन के टाल दिया है।
वैसे क्रेडिट एक्सेस समेत कई चरणों में 19 और आवेदन लाइन में हैं। इरडा के अध्यक्ष देबाशीष पांडा ने कहा, “हमने मंजूरी के लिए प्रक्रिया को पूरी तरह से पटरी पर ला दिया है। उम्मीद करते हैं कि 60 दिनों या दो बोर्ड बैठकों के भीतर हम आवेदनों को मंजूरी देने की स्थिति में होंगे, बशर्ते कि दूसरा पक्ष तैयार हो।”
सुधारों के हिस्से के रूप में कॉर्पोरेट एजेंट (जिसमें बैंक शामिल हैं) अब पहले के तीन के मुकाबले नौ बीमाकर्ताओं को भागीदार बना सकते हैं, जबकि बीमा मार्केटिंग कंपनी छह बीमाकर्ताओं के लिए मार्केटिंग कर सकती हैं। पहले इनकी संख्या दो ही थी। निजी इक्विटी (PE) फंड बीमा कंपनियों में निवेश कर सकते हैं, और प्रमोटर हिस्सेदारी को घटाकर 26% कर सकते हैं, जो पहले 50% था। निवेशकों और प्रमोटरों के लिए लॉक-इन अवधि अब कंपनी की परिपक्वता (company’s maturity) से जुड़ी हुई है। मैच्योर बीमाकर्ता के लिए केवल एक वर्ष का लॉक-इन है। साथ ही, सबऑर्डिनेट कर्ज और फ्रीफरेंस शेयरों को जारी करने के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
बीमाकर्ताओं के लिए 2,000 करोड़ रुपये की कैपिटल राहत देने वाले एक कदम में इरडा ने विभिन्न लाइफ विजनेस के लिए कैलकुलेशन फॉर्मों को कम कर दिया है। इसी तरह, फसल बीमा के लिए सॉल्वेंसी फैक्टर जारी किए गए हैं, जो गैर-जीवन बीमाकर्ताओं के लिए 1,460 करोड़ रुपये की पूंजी जारी करेंगे। गैर-जीवन बीमाकर्ता अब कैलकुलेशन के लिए पहले के 180 दिन की तुलना में 365 दिनों तक की सरकारी बकाया राशि की कैलकुलेशन कर सकते हैं।
पांडा ने कहा कि ये कदम एक ईको-सिस्टम बनाने के प्रयासों का हिस्सा हैं। पांडा ने कहा, “मौजूदा 3.2% से प्रवेश को दोगुना करने के लिए आपको लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की आवश्यकता होती है, जहां रजिस्ट्रेशन के गाइडलाइन में ढील और पूंजी के अन्य रूपों से मदद मिलेगी।” उन्होंने कहा कि पहली दो तिमाहियों में 5.6 लाख करोड़ रुपये के कुल प्रीमियम के साथ उद्योग 20% बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि दूसरी छमाही में विकास की गति जारी रहेगी।’
2047 तक सभी के लिए बीमा के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए इरडा की योजना राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के समान एक ढांचा बनाने की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह जन धन आधार-मोबाइल ट्रिनिटी ने काम किया है, वैसे ही इरडा बीमा विस्तार, बीमा वाहक और बीमा सुगम को पूरे ईको-सिस्टम और पॉलिसी धारकों की मदद के रूप में देख रहा है।
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