इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने गुजरात में पीवीसी (पॉली विनाइल क्लोराइड) बनाने का प्लांट लगाने के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने का फैसला किया है। दरअसल भारत का सबसे बड़ा तेल रिफाइनर और ईंधन खुदरा विक्रेता (fuel retailer) व्यापक रूप से रेसिन के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना चाहता है। इसकी रेंज बाल्टी बनाने से लेकर पाइप बनाने, घर बनाने, मेडिकल पैकेजिंग से लेकर सेलफोन और ऑटोमोबाइल तक है।
कंपनी बोर्ड ने हाल ही में निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह कदम बढ़ती मांग और सप्लाई के बीच अंतर को कम करने के लिए डाउनस्ट्रीम पेट्रोकेमिकल और पॉलिमर कारोबार पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति का हिस्सा है। भारत पीवीसी रेसिंग का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक (importer) है। इसके बाद अमेरिका और चीन का स्थान है। देश 2021 में 20 मिलियन टन से अधिक या 4 मिलियन टन से अधिक वार्षिक मांग का आधा आयात करता है। अधिकतर आयात ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान से किए जाते हैं।
भारत में पेट्रोकेमिकल बाजार का आकार लगभग 190 बिलियन डॉलर है, लेकिन विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में पेट्रोकेमिकल सेगमेंट की प्रति व्यक्ति खपत काफी कम है। यह अंतर मांग में वृद्धि और निवेश के अवसरों के लिए पर्याप्त मौके देता है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली में एक पेट्रोकेमिकल सम्मेलन में कहा, “पेट्रोकेमिकल क्षेत्र प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल का समर्थन करता है… इनमें से एक पेट्रोकेमिकल उद्योग के विकास को चलाने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारक बढ़ती आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बढ़ती मांग है।
भारत वैश्विक पेट्रोकेमिकल मांग की वृद्धिशील वृद्धि में 10% का योगदान देगा।” उन्होंने कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने और व्यापार करने में आसानी के लिए कई नीतियां बनाई हैं, जिसमें 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल है।
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