नई दिल्ली: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शनिवार (23 सितंबर) घोषणा की कि राज्य में पांच महीने से लगा इंटरनेट पर प्रतिबंध आज हटा दिया जाएगा. यह प्रतिबंध राज्य में तीन मई को हुई हिंसक जातीय झड़प के बाद लगाया गया था.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आज से मणिपुर में जनता के लिए इंटरनेट सेवाएं खोली जाएंगी.’
जुलाई में, मणिपुर में ब्रॉडबैंड सेवाओं की बहाली के साथ ही इंटरनेट सेवाओं की आंशिक बहाली हुई थी.
21 सितंबर को, राज्य सरकार ने चूड़ाचांदपुर और बिष्णुपुर जिले के इसके सीमावर्ती इलाकों में मोबाइल डेटा सेवाएं प्रदान करने के लिए एयरटेल को नोटिस जारी किया था, जबकि तब प्रतिबंध हटाया नहीं गया था.
यह किसी भी भारतीय राज्य में लगाए गए सबसे लंबे इंटरनेट प्रतिबंधों में से एक था. सरकार ने किसी भी गलत सूचना के प्रसार को रोकने का हवाला देते हुए राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं और कहा था कि इससे राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति और खराब हो सकती थी. हालांकि, इस प्रतिबंध पर सवाल उठते रहे क्योंकि कई इंटरनेट स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं का कहना था कि इससे सूचना के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हुई, जिससे हिंसा के वास्तविक पैमाने का पता चल सकता था.
ऐसा ही एक उदाहरण उस भयावह वीडियो के सामने आने का था जिसमें राज्य में दो महिलाओं को नग्न घुमाया गया था. यह घटना 4 मई को हुई थी लेकिन यह जुलाई के तीसरे सप्ताह में सामने आई जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के कारण राज्य में टेलीमेडिसिन सेवाओं की अनुपलब्धता भी हुई. इससे विशेषकर राज्य की राजधानी इंफाल से दूर के इलाकों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा.
कई संगठनों ने इंटरनेट सेवाओं की बहाली के लिए मणिपुर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था.
इस बीच, 21 सितंबर को राज्य में ताजा तनाव तब सामने आया जब मेईतेई महिलाओं के समूह मीरा पाइबीस ने पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सशस्त्र बदमाशों की रिहाई की मांग करते हुए विभिन्न पुलिस थानों पर धावा बोल दिया.
इन झड़पों में सुरक्षा बल द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में कम से कम 50 महिलाएं घायल हो गई थीं.
This article was first published by The Wire