गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए भारत जोड़ो यात्रा से विराम लेकर राहुल गाँधी गुजरात के महुआ और सौराष्ट्र के राजकोट में विशाल जनसभा को सम्बोधित किया। राहुल गांधी ने कहा, यहां मोरबी में जब त्रासदी हुई तो पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि आप क्या सोचते हैं. तो मैंने कहा कि मैं 150 लोगों की मौत पर राजनीति नहीं करूंगा। मोरबी हादसे में चौकीदारों को पकड़कर अंदर ले गए, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ कुछ नहीं हुआ, लेकिन आज सवाल जरूरी है. बीजेपी से उनके अच्छे संबंध हैं इसलिए कुछ नहीं होगा। इस दौरान मोरबी हादसे पर मौन धारण कर मृतकों को श्रद्धांजलि दी गयी .
मोदी सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए वायनाड सांसद राहुल गांधी ने आगे कहा कि किसान पूछते हैं “देश के तीन-चार अरबपति कारोबारियों का लाखों रुपए का कर्ज माफ हो जाता हैं। अगर हम 50 हजार या 1 लाख रुपये का कर्ज लेते हैं, तो भी हमारा कर्ज माफ क्यों नहीं किया जाता है? कर्ज नहीं चुकाने पर किसानों को डिफाल्टर घोषित कर दिया जाता है। प्रधानमंत्री बीमा योजना में पैसा लगाते हैं। फसल खराब भी हो जाए तो भी एक रुपये की कमाई नहीं होती है। यह सब सुनकर बहुत दुख होता है।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि आज दो भारत बन रहे हैं. एक गरीबों के लिए और एक अमीरों के लिए। हम भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं क्योंकि हम एक भारत बनाना चाहते हैं। हमें दो भारत नहीं चाहिए। गुजरात के महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने रास्ता दिखाया है। भारत के दो-तीन अरबपति उद्योगपति जो करना चाहें कर सकते हैं। बीजेपी उन्हें हर क्षेत्र में जाने में मदद करती है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। भारत 45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी दर देख रहा है। सरकार में लाखों पद खाली हैं लेकिन भर्ती नहीं होती। महंगाई-बेरोजगारी सब गरीब और मध्यम वर्ग ने ही वहन किया है।
भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए गांधी ने कहा दुख की बात यह है कि यात्रा गुजरात में नहीं हो रही है। मैंने हजारों युवाओं से बात की है। उनके सपनों के बारे में बताता है। कोई कहता है कि हमें डॉक्टर-इंजीनियर बनना चाहिए था लेकिन आज हम मजदूरी कर रहे हैं। पिज्जा डिलीवरी कर रहे हैं।
कोरोना में मजदूर 2000 किलोमीटर पैदल चले , हम चल रहे हैं तो कोई बड़ी बात नहीं –
राहुल गांधी ने कोरोना काल के दर्दनाक समय को याद करते हुए कहा कि भारत के मजदूर कोरोना के समय भूखे पेट 2000 किलोमीटर पैदल चले, यह कोई बड़ी बात नहीं है कि मैं चला. कोरोना के दौरान जरूरत पड़ने पर सरकार ने मजदूरों की कोई मदद नहीं की। कोरोना में अरबपतियों का कर्ज माफ किया गया है। इसने मजदूरों और मध्यम वर्ग की मदद नहीं की है। गुजरात में छोटे व्यवसाय और एमएसएमई उद्योग रोजगार प्रदान करते हैं। सरकार ने कहा था कि नोटबंदी से काला धन पकड़ेगा लेकिन कुछ नहीं हुआ और एमएसएमई उद्योग बंद हो गए।
भाजपा आदिवासियों को वनवासी कहती है , हक़ छीनना चाहती है
दक्षिण गुजरात के भाजपा के लोग आपको आदिवासी नहीं कहते वनवासी कहते हैं। इसका मतलब है कि आप जंगल में रह रहे हैं। वे नहीं चाहते कि आप आगे बढ़ें। अपने बच्चों को शहरों में रहने दो। सीखो और आगे बढ़ो। बीजेपी की सोच है कि आपको बस जंगल में रहना चाहिए। उद्योगपतियों को जंगल देगी भाजपा उसके बाद तुम्हारे लिए जंगल में भी जगह नहीं रहेगी। 2 या 3 उद्योगपति ही पूरे जंगल को हड़प लेंगे। बीजेपी आपका हक छीनना चाहती है। आप वनवासी नहीं आदिवासी हैं। यह देश आपका है। भाजपा सरकार ने अपनी जमीन और जंगल वापस देने के लिए कानून लागू नहीं किया। यही फर्क है उनमें और हममें
मेरा और मेरे परिवार का आदिवासियों से पुराना रिश्ता
कांग्रेस सांसद ने महुआ की सभा में दोहराया कि “मेरा और मेरे परिवार का आदिवासियों से पुराना रिश्ता है। जब मैं छोटा था तो मेरी दादी इंदिरा ने मुझे एक किताब दी थी। जो मेरा पसंदीदा था। उसमें एक फोटो थी। मैं आदिवासियों के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। एक आदिवासी बच्चे की किताब में सभी तस्वीरें जंगल और बच्चे के जीवित रहने के बारे में थीं। मैं इस किताब को अपनी दादी के साथ पढ़ा करता था। दादी मुझे समझाती थीं। एक दिन मैंने दादी से पूछा, मुझे यह किताब बहुत पसंद है। उसने कहा कि यह किताब हमारे जनजाति के बारे में है। यह हिन्दुस्तान का पहला और असली मालिक है। फिर कहा कि अगर हिंदुस्तान को समझना है, आदिवासियों के जीवन को समझना है, उनके जल, जंगल और जमीन के साथ संबंध को समझना है.. तो उन्होंने आदिवासी शब्द का इस्तेमाल किया जिसका मतलब होता है सबसे पहले यहां रहते थे
इंद्रनील राजगुरु ने माफी मांगी
आम आदमी छोड़कर कांग्रेस वापसी करने वाले राजकोट से कांग्रेस के पूर्व विधायक इंद्रनील राजगुरु ने कहा, राहुलजी मैं मंच से लोगों से माफी मांग रहा हूं। मैं आपसे माफी मांगता हूं, सालों तक मेरी पीढ़ी कांग्रेस के साथ रही, बीच में मैं आम आदमी पार्टी में चला गया। वहां जाने के बाद मुझे पता चला कि वे सख्त ईमानदार नहीं हैं, वे सख्त भ्रष्ट हैं। वे कट्टर देशभक्त नहीं बल्कि देशद्रोही हैं।