ट्रंप प्रशासन ने भारतीय नागरिक और पोस्टडॉक्टोरल फेलो बदर खान सूरी को यहूदी-विरोधी विचारधारा फैलाने और फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास से कथित संबंध रखने के आरोप में हिरासत में लिया है। फॉक्स न्यूज ने यह जानकारी अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) के हवाले से दी है।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता रहे सूरी को वर्जीनिया स्थित उनके घर के बाहर संघीय एजेंटों ने तब गिरफ्तार किया जब उन्हें सूचित किया गया कि उनका वीजा रद्द किया जा रहा है। हालांकि, सूरी की शादी एक अमेरिकी नागरिक से हुई है, फिर भी उन्हें अब निर्वासन (डिपोर्टेशन) की प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है और वे आप्रवासन अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
सूरी की रिहाई के लिए दायर याचिका के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने एक दुर्लभ आप्रवासन कानून को लागू किया है, जो अमेरिकी विदेश नीति के लिए खतरा माने जाने वाले गैर-नागरिकों के निर्वासन का अधिकार विदेश मंत्री को देता है।
फॉक्स न्यूज द्वारा एक्सेस किए गए DHS के बयान के अनुसार, विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने माना कि सूरी की गतिविधियों के कारण वे निर्वासन योग्य हैं।
गौरतलब है कि इसी प्रावधान के तहत पिछले साल कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र और ग्रीन कार्ड धारक महमूद खलील को भी प्रो-फिलिस्तीन प्रदर्शनों का नेतृत्व करने के आरोप में अमेरिका से निष्कासित किया गया था।
सूरी का आरोप – राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया गया
सूरी, जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, का दावा है कि उन्हें उनकी पत्नी की फिलिस्तीनी पृष्ठभूमि के कारण निशाना बनाया जा रहा है, पॉलिटिको की रिपोर्ट में यह बताया गया है।
सूरी के वकील ने रॉयटर्स को बताया, “यदि एक प्रतिष्ठित विद्वान, जो संघर्ष समाधान (Conflict Resolution) पर काम करता है, अमेरिकी विदेश नीति के लिए खतरा माना जाता है, तो समस्या विद्वान में नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों में है।”
जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व छात्र सूरी ने भारत में शांति और संघर्ष अध्ययन (Peace & Conflict Studies) में पीएचडी की है और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में “बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकार” विषय पढ़ा रहे थे, जैसा कि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में दर्ज है।
अमेरिका में विदेशी छात्रों पर कार्रवाई तेज
यह घटना भारतीय छात्र रंजनी श्रीनिवासन के मामले के बाद सामने आई है, जिन्हें यहूदी-विरोधी विचारधारा फैलाने के आरोपों के बाद CBP होम ऐप के जरिए अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
37 वर्षीय रंजनी ने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के कारण अपने छात्र वीजा को रद्द किए जाने के बाद सीबीपी (सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा गृह ऐप) का उपयोग करके संयुक्त राज्य अमेरिका से स्वयं को निर्वासित कर लिया। वह न्यूयॉर्क के लागार्डिया हवाई अड्डे से कनाडा के लिए उड़ान भरकर देश छोड़कर वापस चली आईं।
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पिछले साल हुए बड़े पैमाने पर एंटी-इज़राइल प्रदर्शनों में शामिल विदेशी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है।
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