सूरत के नगर निगम संचालित 200 से अधिक विद्यालय के छात्र अब गांधी नेहरू की जगह भारत माता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को देखेंगे .
यह बात अलग है की संविधान “भारत माता ” की किसी आधिकारिक छवि की पुष्टि नहीं करता . फिर भी भारतीय जनता पार्टी शासित महानगर पालिका संचालित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की 217 स्कूलों में वैचारिक बदलाव का निर्णय किया गया है।
नगर प्राथमिक शिक्षण समिति संचालित एक विद्यालय के हेड मास्टर ने कहा की अभी तक यह कभी शीर्ष स्तर से तय नहीं होता था की किसकी तस्वीर लगानी है ,किसकी नहीं।
अभी तक विद्यालय के हेड प्रमुख शिक्षक ( Head MASTER ) और अभिवावक समिति के प्रमुख तय करते थे हमारे स्कूल में ज्यादातर महापुरुषों की तस्वीर हैं , उनमे महात्मा गाँधी और जवाहर लाल नेहरू का भी समावेश है।
पहली बार तस्वीर खरीद कर नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की तरफ से तस्वीर खरीद कर भेजी जाएगी ,केवल हमें लगाना है , लेकिन जो पहले की तस्वीर लगी है उनका क्या होगा , यह तय नहीं है ,इसका मार्गदर्शन सी आर सी ( क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी ) से प्राप्त कर आधिकारिक निर्णय का अमल किया जायेगा।
गुजराती ,उर्दू, मराठी ,हिंदी ,तेलगु , हिंदी , समेत 9 भाषाओं में विधालय
नगर प्राथमिक शिक्षण समिति गुजराती ,उर्दू, मराठी ,हिंदी ,तेलगु , हिंदी , समेत 9 भाषाओं में विधालय संचालित करता है। 6 लाख रुपये के खर्च से यह तस्वीर लगेगी।
नगरनिगम स्कूल बोर्ड (एमएसबी) के अध्यक्ष धनेश शाह ने शहर के सभी नगरपालिका स्कूलों के प्रधानाचार्यों के कार्यालयों में पांच फोटो फ्रेम लगाने का प्रस्ताव पेश किया था
भाजपा के निर्वाचित सदस्यों के बहुमत द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव का आप सदस्य राकेश हिरपारा ने विरोध किया, जिन्होंने “अनावश्यक” खर्च को “आधारहीन और मूल्यवान धन की बर्बादी” करार दिया।
इस बीच, तस्वीरों का ऑर्डर मंगलवार को एक निजी फर्म को दिया गया।
आम आदमी पार्टी ने किया था विरोध
आम आदमी पार्टी के सदस्य और विरोध पक्ष के नेता राकेश हीरपरा ने वाइब्स आफ इंडिया से कहा की यह ‘ठेका का खेल’ स्कूलो में महापुरुषों की तस्वीर है लेकिन मोदी और भगवा ध्वज वाली भारत माता की तस्वीर को अनिवार्य करने के लिए पहले से घाटे में चल रही महानगरपालिका के 6 लाख रुपये खर्च कर दिए गए।
विदित हो की 12 सदस्यीय नगर प्राथमिक शिक्षण समिति में 09 सदस्य भाजपा के और तीन आप के हैं।
नगर प्राथमिक शिक्षण समिति के अध्यक्ष धनेश शाह को इसमें कुछ गलत नहीं लगता , उनके मुताबिक इससे छात्रों को प्रेरणा मिलेगी। प्रस्ताव को सदन में मंजूर कराया गया है।
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महानगर पालिका के पदाधिकारियों के कक्ष में भी प्रधानमंत्री की फोटो है , भारत माता की तस्वीर क्या संवैधानिक है, पूछने पर वह कहते है की गाड़ी चला रहा हु , बाद में फ़ोन करता हु लेकिन बाद में ना तो फ़ोन करते ना फ़ोन उठाते।
तस्वीर हटी तो होगा विरोध
वही सूरत कांग्रेस के पूर्व पार्षद और गुजरात प्रदेश कांग्रेस के सचिव असलम सायकलवाला के मुताबिक सरकारी खर्च से यह अपने लोंगो को टेंडर देने और आरएसएस की विचारधारा को थोपने की भाजपा की पुरानी परंपरा है।
सायकलवाला के मुताबिक पूरे गुजरात में ये हो रहा है, गोडसे का महिमामंडन करने वाले से ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती लेकिन अगर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर हटायी जाती है तो इसका विरोध किया जायेगा।