केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना तापी पार नर्मदा लिंक ( tapi-paar-narmda link project ) परियोजना का आदिवासी ( TRIBAL )समुदाय द्वारा विरोध का सिलसिला लगातार जारी है , सोमवार को वलसाड के कपराडा में दक्षिण गुजरात तथा दादरा नगर हवेली के हजारो आदिवासी एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया ,साथ ही 25 मार्च को विधानसभा में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
इस दौरान विशाल जनसम्मेलन को सम्बोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा की आदिवासी विरोधी सरकार आदिवासियों को उजाड़ना चाहती है , हमने विधानसभा में भी विरोध किया है , किसी हाल में आदिवासियों को बेघर नहीं होने दिया जायेगा।
वही पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ तुषार चौधरी ने कहा की गुजरात सरकार पूरी तरह से झूठ बोल रही है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सैद्धांतिक मंजूरी दी है , राज्य सरकार ने इसी बजट में 500 करोड़ की सैद्धांतिक मंजूरी तथा 94 करोड़ का बजट आवंटित किया है , यह प्रोजेक्ट तभी रुक सकता है जब केंद्र सरकार प्रोजेक्ट को रद्द करे या राज्य सरकार आपत्ति दर्ज कराये। सरकार के मंत्री झूठ बोल रहे हैं।
अनंत पटेल, एक आदिवासी नेता, जिन्होंने विरोध आंदोलन का नेतृत्व किया, और अन्य नेताओं ने सरकार की परियोजना का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार आदिवासी समुदाय की नाराजगी के बावजूद इस परियोजना को लागू करती है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
इस दौरान दादरा नगर हवेली के शिवसेना प्रमुख गौरव पंड्या , विधायक अनंत पटेल , विधायक आनंद चौधरी , विधायक पुना जी गमित ,गौरव पंड्या, प्रभु टोटिया समेत आदिवासी नेता शामिल थे। इस समेत फैसले के विरोध में डांग जिले ( Dang DISTRICT ) के वाघई में जनजातीय लोगों ने रैली पहले ही आयोजित की जा चुकी है । कहा जाता है कि आदिवासी समुदाय ( TRIBAL )के अस्तित्व का सवाल है ,बांध बनने से सब कुछ बर्बाद हो जायेगा गांव डूब जायेगा।
आदिवासी नेताओं (TRIBAL LEADERS ) का कहना है कि 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तीन विशाल बांधों के निर्माण से आदिवासी ( TRIBAL )बेघर हो जाएंगे। तापी पर नर्मदा लिंक नदी परियोजना ( tapi-paar-narmda RIVER link project ) बनी तो आदिवासी विस्थापित होंगे,
क्या है समस्या
विरोध करने वाले संगठनों और लोगों के मुताबिक सरकार पर तापी और नर्मदा नदी लिंक परियोजना को लागू करने जा रही है. इस परियोजना से वलसाड जिले के धरमपुर तालुका में पार नदी पर चसमंडवा गांव के पास एक बांध का निर्माण किया जा सकता है।
यदि बांध बन जाता है, तो क्षेत्र के कई आदिवासी परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है, जिससे आदिवासी समुदाय और राजनीतिक और सामाजिक नेता भी सरकार की प्रस्तावित नदी लिंक परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
90 हजार आदिवासी परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है
यदि बांध बन जाता है, तो क्षेत्र के 90 हजार आदिवासी परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है, जिससे आदिवासी समुदाय और राजनीतिक और सामाजिक नेता भी सरकार की प्रस्तावित नदी लिंक परीयोजना का विरोध कर रहे हैं। इस योजना के विरोध में आदिवासी समुदाय द्वारा विरोध सभा आयोजित करने के बाद ,धर्मपुर के असुर चौकड़ी में भी एक विशाल रैली का आयोजन किया गया था ।
तापी पार नर्मदा लिंक परियोजना के विरोध में आदिवासी समाज ने किया शक्ति प्रदर्शन