अहमदाबाद: दिल और फेफड़ों पर कोविड-19 का असर ही नहीं पड़ता, बल्कि कई रोगियों को तो लंबे समय तक कोविड के प्रभाव का सामना करना पड़ा है। वैसे कोरोना संक्रमणों में कमी आई है, फिर भी 2022 में हृदय और सांस संबंधी इमरजेंसी में आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गई।
2022 के लिए EMRI 108 एम्बुलेंस डेटा ने संकेत दिया कि उन्हें सांस संबंधी इमरजेंसी के लिए पांच साल में सबसे अधिक कॉल आए। जबकि कार्डियक इमरजेंसी के कॉल की संख्या तीन साल के उच्च स्तर पर थी। गुजरात में 2020 और 2021 में सांस संबंधी समस्याओं के लिए औसत 65,000 वार्षिक कॉल की तुलना में, 2022 में EMRI 108 पर 74,780 कॉल दर्ज की गईं।
इसी तरह 2020 और 2021 के लिए कार्डियक मुद्दों के औसत 43,000 मामलों की तुलना में पिछले वर्ष 56,277 मामले दर्ज किए गए। जबकि चार साल के औसत (2018-2021) की तुलना में सांस की बीमारी में 14% की वृद्धि हुई, तो हृदय संबंधी मामलों के लिए यह वृद्धि 10% थी।
अहमदाबाद के विशेषज्ञों ने हृदय और फेफड़ों की आपात स्थितियों में वृद्धि को स्वीकार किया। शहर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कमल शर्मा ने कहा कि कई अध्ययनों में दिल पर कोविड के गंभीर प्रभाव को देखा गया है। लेकिन उनका मानना है कि इसमें अन्य पारंपरिक कारण भी जुड़े हो सकते हैं। इसके अलावा, जीवन शैली और तनाव आदि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने माना कि ऐसे रोगियों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि हुई है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. तुषार पटेल ने कहा कि दूसरी कोविड लहर के बाद सांस की बीमारियों के कई मरीज थे, और 2022 में भी यह सिलसिला जारी रहा।
वैसे जो आंकड़े हैं, उसके हिसाब से ट्रैफिक संबंधी दुर्घटना के मामले पांच साल में सबसे अधिक रहे। चार साल के औसत 1.22 लाख की तुलना में 2022 में 1.46 लाख मामले या एक घंटे में 17 मामले देखे गए। डायबिटीज रोगियों के लिए चार साल के औसत की तुलना में 31% की वृद्धि के साथ यह एक कठिन वर्ष था। अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में 2022 में राज्य में 12.85 लाख आपात स्थितियों में से 35% या एक तिहाई से अधिक का योगदान था।
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