अहमदाबाद: लोगों को गलत तरीके से विदेश भेजने वाले अमेरिका के साथ तू डाल-डाल मैं पात-पात वाला खेलने में लगे हैं। डिंगुचा हादसे के बाद अमेरिका ने वीजा नियमों को कड़ा कर दिया तो मानव तस्कर (human smugglers) पतली गली यानी वैकल्पिक कार्यप्रणाली (alternate modus operandi) अपनाने लगे। वे अपने ग्राहकों को शेंगेन देश पुर्तगाल भेजने के लिए नकली पुर्तगाली पहचान हासिल कर लेते हैं, जहां से उन्हें अमेरिका ले जाया जाता है।
माइग्रेशन रैकेट की जांच कर रहे गुजरात और दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि मानव तस्कर फर्जीवाड़े की शुरुआत नकली बर्थ सर्टिफिकेट से करते हैं। इसके जरिये बताया जाता है कि ग्राहक पुर्तगाली वंश का था और पूर्व पुर्तगाली उपनिवेश (Portuguese colonies) दमन या गोवा में पैदा हुआ था।
सूत्रों ने कहा कि पुर्तगाली पहचान मिल जाने से किसी भी व्यक्ति को आसानी से 27 शेंगेन देशों में वीजा मिलने में आसानी हो जाती है। दरअसल शेंगेन देश दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त वीजा क्षेत्र होते हैं, जहां से अप्रवासी (immigrant) आसानी से अमेरिका जा सकते हैं।
कनाडा-अमेरिका सीमा पर 19 जनवरी, 2022 को कड़ाके की ठंड से डिंगुचा निवासी जगदीश पटेल (39), उनकी पत्नी वैशाली (37) और उनके बच्चों विहंगी (12) और धार्मिक ( 3) की मौत के बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने अवैध प्रवासी रैकेट (illegal migrant) का पर्दाफाश करने के लिए हाथ मिलाया।
जांच से जुड़े गुजरात के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमें दो गिरोह मिले- एक अहमदाबाद के राणिप इलाके में काम कर रहा था और आणंद में उमरेठ के कुछ हिस्से से लोगों को पुर्तगाली पासपोर्ट पर विभिन्न देशों में भेज रहा था।”
अतीत में जामनगर के एक गैंगस्टर सहित कई अपराधी दमन में अपना जन्मस्थान दिखाकर और पुर्तगाली राष्ट्रीयता का दावा करके पुर्तगाल भाग गए थे।
हाल के दिनों में वलसाड के रहने वाले नीलेश प्रजापति को अहमदाबाद हवाई अड्डे पर 10 नवंबर, 2022 को एक पुर्तगाली पासपोर्ट के साथ पकड़ा गया था। उसने आर्मेनिया और फिर सर्बिया की यात्रा की थी, जहां 2018 में एक पुर्तगाली नागरिक का पासपोर्ट प्राप्त किया था। उसने इसका इस्तेमाल अमेरिका जाने के लिए किया। हालांकि, कुछ कानूनी मुद्दों के कारण वह 2021 में भारत लौट आया। लेकिन वापस अमेरिका जाते समय पर पकड़ लिया गया।
गौरतलब है कि जिन स्थानों पर पुर्तगाली शासक सत्ता में थे, वहां जन्मों का विशेष रजिस्ट्रीकरण होता था। यदि कोई इन प्रदेशों में पैदा हुआ है, तो उसका नाम पुर्तगाल की नागरिकता रजिस्ट्री (citizenship registry of Portugal) में दर्ज है, और वह पुर्तगाली नागरिक माना जाता है।
दिल्ली के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मानव तस्करों के पास गोवा और दमन के नागरिकों के पासपोर्ट का एक पूल है। नकली बर्थ सर्टिफिकेट के साथ वे इन पासपोर्ट का उपयोग अपने ग्राहकों को विदेश भेजने के लिए करते हैं।
कुछ दिन पहले 2 नवंबर को पोरबंदर के बेरान गांव के मूल निवासी लखंशी केशवाला को पुर्तगाली पासपोर्ट पर यात्रा करते हुए पकड़ा गया था। तब वह ब्रिटेन की फ्लाइट से अहमदाबाद में उतरा था।
माइग्रेशन अधिकारी को संदेह तब हुआ, जब उन्होंने देखा कि 44 वर्षीय व्यक्ति के पास पुर्तगाली पासपोर्ट था, जबकि उसका जन्मस्थान पोरबंदर था। पासपोर्ट ब्रिटेन के लीसेस्टर के रहने वाले महेंद्र लकमाने के नाम पर था।
केशवाला ने अधिकारियों को बताया कि उसने सेनेगल के एक एजेंट विपुल कुमार से धोखे से पासपोर्ट हासिल किया था। दिल्ली में IGI हवाई अड्डे से बाद के पासपोर्ट पर यात्रा करने के लिए। 23 मई, 2022 को आणंद के खंभात के रहने वाले 34 वर्षीय कार्तिक पटेल ने गोवा के 39 वर्षीय हैरीलन लोबो की पहचान हासिल कर ली। इसलिए कि आगे की यात्रा वह लोबो के पासपोर्ट पर कर सके।
उसे दिल्ली पुलिस ने पकड़ा और मामला दर्ज किया। और जांच से पता चला कि उसने भारत लौटने से पहले 2021 में उसी पासपोर्ट पर डबलिन की यात्रा की थी।
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