राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा कि वह 2011 और 2021 के बीच 11 चुनावों से जुड़े रहे। इनमें से सिर्फ 2017 में उत्तर प्रदेश में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। वह भी सिर्फ कांग्रेस के कारण। किशोर ने कहा, “तब से मैंने फैसला किया है कि अब मैं उन (कांग्रेस) के साथ काम नहीं करूंगा, क्योंकि उन्होंने मेरा ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया है।” बता दें कि वह 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस-समाजवादी गठबंधन के चुनावी रणनीतिकार थे, जिसे हार का सामना करना पड़ा था।
एनडीटीवी के मुताबिक, उन्होंने कांग्रेस नेताओं को ऐसा बताया जो खुद तो नीचे जाएंगे ही, साथ भी दूसरों को भी ले जाएंगे। उन्होंने कहा, “अगर मैं कांग्रेस में शामिल हो गया, तो मैं भी डूब जाऊंगा।”
किशोर ने 20 मई को कहा था कि 13 मई से 15 मई तक उदयपुर में आयोजित कांग्रेस की तीन दिवसीय चिंतन शिविर या आत्मनिरीक्षण बैठक सार्थक परिणाम प्राप्त करने में विफल रही है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “मेरे विचार से यह यथास्थिति को बढ़ाने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा। कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाली चुनावी हार तक।”
यह बैठक पांच राज्यों- गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में हुई थी। इससे पहले अप्रैल में किशोर ने बताया था कि उन्होंने अधिकार प्राप्त कार्य समूह 2024 के सदस्य के रूप में कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया। यह समूह 2024 के आम सभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए बनाया गया है।
किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को परिवर्तनकारी सुधारों के जरिये अपनी “गहरी जड़ें वाली संरचनात्मक समस्याओं” को ठीक करने के लिए नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।