वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, अंबानी परिवार की विदेशी संपत्ति पर एक महत्वपूर्ण स्टोरी पर काम कर रहे थे, और उसी वक्त पेगाससने उनके फोन को हिट कर दिया और उनके द्वारा की जा रही प्रत्येक गतिविधि को ट्रैक किया जा रहा था। वैसे आईफोन दुनिया में सबसे सुरक्षित फोन के रूप में जाने जाते हैं और इसलिए ठाकुरता इस चीज़ को लेकर निश्चिंत थे। उन्हें यह जानने में एक साल लग गया कि उन पर लगातार नजर रखी जा रही है। एक भारतीय पत्रकार संध्या रविशंकर, जो फ्रांस स्थित फॉरबिडन स्टोरीज से जुड़ी है , उन्होंने ठाकुरता को सूचित करने के लिए उनसे संपर्क किया और उन्हें बताया की वह घातक स्पाइवेयर पेगासस का शिकार हैं , उन्हें अपना फोन फॉरेंसिक जाँच के लिए देना चाहिए।फोन की फोरेंसिक जाँच कनाडा में टोरंटो यूनिवर्सिटी स्थित सिटीजन लैब में एमनेस्टी इंटरनेशनल की तकनीकी टीम द्वारा की गयी ।
इस बारे में और जानने के लिए जाह्नवी सोनैया और पूजा कांजानी ने परंजॉय ठाकुरता से बात की.
ठाकुरता ने कहा कि “मैं स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी की विदेशी संपत्ति के मामले की जांच कर रहा था,जो रिलायंस इंडस्ट्री के लिए एक संवेदनशील कहानी थी।”
‘प्रोजेक्ट पेगासस’ के शिकार ‘परंजॉय गुहा ठाकुरता ने वाइब्ज़ ओफ़ इंडिया के साथ हुई बातचीत में बताया की ,”स्व. धीरूभाई अम्बानी की विदेशों में बनी सम्पति के करों से जुड़े मामले पर मैं खोज कर रहा था, उसकेबारे में अधिक जानकारी के लिए मैंने मुकेश अम्बानी को सवाल लिख कर ईमेल भेजा, जिसका कोई भी जवाब नहीं आया।मई 2019 में न्यूज़क्लिक वेबसाइट में उसी पर लेख छपा।” ठाकुरता मार्च-अप्रेल-मई के मध्य इसस्टोरी पर काम कर रहे थे, और यही उनके फ़ोन के पेगासस की गिरफ़्त में आने का कारण बना।
दूसरी वजह उस वक्त वो एक और संवेदनशील किताब पर काम कर रहे थे, जिसमें फेसबुक और व्हाट्सएपके माध्यम से फैलाए गए भारत सरकार द्वारा नागरिकों के मध्य घृणा प्रचार के बारे में था।
ठाकुरता ने पूजा कांजानी व जानवी सोनैया को बताया की ,”सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अभद्रभाषा, फर्जी संदेश फैलाने के लिए किया जा रहा था और राजनीतिक संगठनो द्वारा इसका इस्तेमाल व्यक्तिगतप्रचार प्रसार के किया जा रहा था ।यह एक और संवेदनशील चीज थी जिसके ऊपर में काम कर रहा था।”
“मुझे पेगासस की जानकारी कल ही मिली।”
ठाकुरता ने बताया की,“स्पायवेयर के फ़ोन में लगने के बाद भी किसी भी तरह यह मालूम नहीं होता की, फ़ोनमें कोई जासूसी करने वाले किसी सॉफ़्टवेयर को लगाया गया है । फिर फ़ॉर्बिडेन स्टोरीज़ फ़्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था के एक प्रतिनिधि जो अभी चेन्नई में रहते है और खोजी पत्रकार है संध्या रविशंकर उन्होंने इसकीसूचना दी और बताया की आपका फ़ोन हमारी लिस्ट में आया है और इसमें जासूसी सॉफ़्टवेयर है , उन्होंने डेटाके लिए बात की शुरूआत में काफ़ी हिचकिचाहट हुई पर फिर सोचा जनहित में हम यह करेंगे ।फिर डेढ़ महीनेबाद जानकारी मिली की मेरे फ़ोन पर पेगासस का हमला हो चुका है।”
क्यूँ सरकार ने साधी है चुप्पी?
जब ठाकुरता से सरकार के निरुतर होने के पीछे वजह पूछी गयी तो उन्होंने बताया ,”यह तो हमें सरकार सेसवाल करना है , की आख़िर पत्रकारों के साथ क्यूँ किया गया ? क्या यह सॉफ़्टवेयर ख़रीदा गया भी है या नहीं? और यह मेरा देश के नागरिक होने के नाते अधिकार बनता है जानने का, की मेरी तरफ़ से टैक्स दिया गया हैतो क्या इसमें मेरा पैसा लगा है ?
क्या पेगासस से बचने के लिए गोदी मीडिया में होना ज़रूरी है?
NOS की वेबसाइट पर स्पष्ट लिखा है की पेगासस का इस्तेमाल अपराधी को पकड़ने के लिए है, जोपिडोफ़ाइल है, जो नशीली वस्तुओं का ट्रेफ़ीकिंग करते है, यह गोदी मीडिया नहीं है, जहाँ अर्नब गोस्वामी सरकार का गुणगान करता है, या फिर अक्षय कुमार की तरह सवाल पूछता है की आम चूस कर खाते है या काट कर?नकारियों के लिए किया जाता है ।अब सवाल यह है जिन 49 पत्रकारों का फ़ोन ट्रैप किया गया है क्या वोदेशद्रोही है? क्या वो आतंकवादी है? यह जो सच्चाई कि खोज कर रहे पत्रकार है, क्यूँ निशाने पर आए ? क्यूँकिवे सरकार से सवाल कर रहे है ?
यह गोदी मीडिया नहीं है, जहाँ अर्नब गोस्वामी सरकार का गुणगान करता है, या फिर अक्षय कुमार की तरहसवाल पूछता है की आम चूस कर खाते है या काट कर?
इसमें वायर,हिंदू के पत्रकारों को क्यूँ निशाने पर लिया गया ? क्या वो देश द्रोही है ? यह भारत देश के भविष्यकी बात है, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात है, जो हर नागरिक का मौलिक अधिकार है ।