जम्मू कश्मीर में प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त निदेशक तौर पर पदस्थ होने का दावा कर जेड प्लस सिक्योरिटी बुलेट प्रुफ स्कार्पियो का मजा लेने वाले किरण पटेल की गिरफ्तारी के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किरण पटेल को जेड प्लस सिक्योरिटी मिली कैसे ? क्यों किसी की पकड़ में नहीं आया ? किसी को कैसे मिलती है सिक्योरिटी ?कौन तय करता है ? जैसे सवाल सबके सामने उठ रहे हैं। विपक्ष की तरफ से भी मांग की गयी है कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुयी है , इसकी जाच होनी चाहिए और दोषी अधिकारीयों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
वाइब्स आफ इंडिया आपको बता रहा है भारत में सुरक्षा के कितने चरण है , और यह निर्णय करता है है कि किसे कौन सी सुरक्षा मिलेगी।
देश के विशिष्ठ लोगों औरसिक्युरिटी दी जाती है। ये सुरक्षा मिनिस्टर्स को मिलने वाली सिक्युरिटी से अलग होती है। इसमें पहले सरकार को इसके लिए आवेदन करना होता है , जिसके बाद सरकार खुफिया एजेंसियों के जरिए होने वाले खतरे का अंदाजा लगाती हैं। खतरे की बात कंफर्म होने पर सुरक्षा दी जाती है। होम सेक्रेटरी, डायरेक्टर जनरल और चीफ सेक्रेटरी की कमेटी ये तय करती है कि संबंधित लोगों को किस कैटेगरी में सिक्युरिटी दी जाए।
कितनी तरह की मिलती है सुरक्षा –
भारत में खतरे और पद के लिहाज से 7 तरह के सुरक्षा कवच है। राष्ट्रपति की सुरक्षा पीबीजी के हवाले होता है। जबकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा एसपीजी करती है। पहले यह सुरक्षा पूर्व प्रधानमत्रियों के परिजनों को भी मिलती थी, लेकिन अब बंद कर दी गयी है।
पीबीजी –
राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी पीबीजी ( प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड ) के पास होती है। वर्तमान समय में पीबीजी में सिर्फ कुछ ही सैनिकों का चयन होता है. इसमें चार ऑफिसर्स, 11 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (जेसीओ) और 161 जवान होते हैं जिन्हें एडमिनिस्ट्रेटिवस सपोर्ट हासिल होता है.
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) सुरक्षा :
यह सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर है। ये देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में से एक है। इसकी शुरुआत इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में की गई थी। यह सुरक्षा प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री को दी जाती है।
जेड प्लस सुरक्षा:
स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप की सुरक्षा के बाद जेड प्लस भारत की सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी है। इस श्रेणी में संबंधित विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में 36 जवान लगे होते हैं। इसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो के साथ दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो और राज्य के पुलिसकर्मी शामिल होते हैं। यह सुरक्षा गृह मंत्री , मुख्यमंत्री या ज्यादातर अतिखतरे वाले विशिष्ठ लोगों को मिलती है। उद्योगपति मुकेश अंबानी को भी जेड प्लस सिक्योरिटी मिली है ,जिसका खर्च वह खुद उठाते है। सोनिया गाँधी ,अमित शाह , राजनाथ सिंह ,फारुख अब्दुल्ला बड़े नेताओं के पास जेड प्लस सिक्योरिटी है। किरण पटेल भी इस स्तर की सिक्योरिटी का लुफ्त उठा रहा था।
जेड श्रेणी की सुरक्षा:
जेड श्रेणी की सुरक्षा में चार से पांच एनएसजी कमांडो सहित कुल 22 सुरक्षागार्ड तैनात होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।
वाई प्लस सुरक्षा:
इसमें 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं। इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 पीएसओ भी शामिल होते है. यह सुरक्षा पूर्व मुख्यमंत्रियों , और विशिष्ठ लोगों को मिलती है।
वाई श्रेणी की सुरक्षा:
इसमें कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। जिसमें दो पीएसओ (निजी सुरक्षागार्ड) भी होते हैं। इस श्रेणी में कोई कमांडो नहीं तैनात होता है। यह सुरक्षा ज्यादातर कैबिनेट मंत्री और उस स्तर के अधिकारीयों को या पदाधिकारियों को मिलती है।
एक्स श्रेणी की सुरक्षा:
इस श्रेणी में 2 सुरक्षा गार्ड तैनात होते हैं। जिसमें एक पीएसओ (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) होता है। यह सुरक्षा ज्यादातर विधायकों को मिलती है।
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