महाराष्ट्र में एक नया और बड़ा राजनीतिक वबाल मचा हुआ है। विपक्ष एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को घेर रहा है। इसलिए कि 1.54 करोड़ रुपये से अधिक का वेदांता फॉक्सकॉन सौदा (Vedanta Foxconn deal) महाराष्ट्र के हाथ से निकल कर गुजरात पहुंच गया है। वेदांता ने गुजरात में सेमीकंडक्टर बनाने की फैक्टरी लगाने की घोषणा की है।
ऐसा तब हुआ, जबकि महाराष्ट्र ने वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट के लिए 40,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी तक की पेशकश की थी। इसकी तुलना में गुजरात द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी 28,000 करोड़ रुपये की ही है। महाराष्ट्र इस प्रोजेक्ट के लिए पुणे जिले के तालेगांव में 1100 एकड़ जमीन की पेशकश कर रहा था, तो गुजरात ने अहमदाबाद में धोलेरा एसआईआर (Special Investment Region) में लगभग 200 एकड़ जमीन मौजूदा दर के 75 प्रतिशत (75 per cent of the going rate) पर देने की पेशकश की है। महाराष्ट्र ने पुणे जिले के तलेगांव फेज-IV में 1,100 एकड़ जमीन की पेशकश की थी। इनमें से 400 एकड़ मुफ्त और बाकी 700 एकड़ मौजूदा दर के 75 फीसदी पर देने की पेशकश की गई थी।
फिर भी यह परियोजना गुजरात की झोली में क्यों टपकी?
वेदांता के गुजरात आने के दो वास्तविक कारण हैं। एक तो गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है। फिर भाजपा शासित अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात कहीं अधिक संगठित और बेजोड़ (more consolidated and unrivalled) है, जो किसी भी औद्योगिक घराने को प्रोजेक्ट लगाने के लिए सुरक्षित और परेशानी से मुक्त बनाता है। गुजरात में मजदूरों का हंगामा (Labour unrest) और भी कम है। ऐसा तब भी है, जब अधिकांश मजदूरों को बिना किसी स्थायी रोजगार या सेवा लाभ (no permanent employment clause or service benefits ) के कांट्रैक्ट पर रखा जाता है।
दूसरे, वेदांता जब सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट (semiconductor project) लगाने के लिए महाराष्ट्र और गुजरात दोनों का आकलन कर रहा था; तभी महाराष्ट्र एक बड़े राजनीतिक संकट में घिर गया था। गुजरात ने मौके का फायदा उठाया, क्योंकि महाराष्ट्र लगातार राजनीतिक संकट में उलझा रहा। मौके की नजाकत को देख गुजरात में भाजपा सरकार ने आगे बढ़कर सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट लगाने में रुचि रखने वाले उद्योगों के लिए एक प्रोत्साहन नीति (incentive policy) तैयार कर ली।
पॉलिसी की औपचारिक रूप से घोषणा गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 27 जुलाई को की थी। पॉलिसी तैयार करने में शामिल अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि गुजरात को इस क्षेत्र में विशिष्ट नीति को चाक-चौबंद करने का विचार तभी आया, जब वेदांता ने औपचारिक रूप से प्रोजेक्ट लगाने के लिए गुजरात का आकलन करना शुरू किया। कहने की जरूरत नहीं है कि गुजरात भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसके पास विशेष रूप से सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए विशेष प्रोत्साहन और सब्सिडी पॉलिसी (specific incentive and subsidy policy exclusively dedicated for the semiconductor sector) है। इसका बड़ा क्रेडिट विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रभारी आईएएस अधिकारी (IAS officer in charge of science and technology) विजय नेहरा को भी जाता है।
बता दें कि धोलेरा पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उनके शब्दों में, “धोलेरा को दिल्ली से बेहतर और दिल्ली से चार गुना बड़ा और चीन की वित्तीय राजधानी शंघाई से छह गुना बड़ा विकसित (four times bigger than delhi and six times bigger than China’s Financial Capital Shanghai) किया जाएगा।” धोलेरा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन (DSIR) आठ उत्पादन वाले शहरों में से पहला और सबसे बड़ा है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (Delhi Mumbai Industrial Corridor) के पहले चरण के तहत विकसित किया गया है। इस तरह अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्मार्ट, टिकाऊ “ग्रीनफील्ड औद्योगिक शहर” (greenfield industrial town)बनने जा रहा है, जो 2 मिलियन की आबादी के लिए 2042 तक 8,00,000 से अधिक लोगों को रोजगार दे सकता है। गुजरात सरकार के अनुसार, धोलेरा का अपना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (international airport) भी होगा।
वेदांता इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र और गुजरात दोनों का आकलन कर रहा था। हालांकि, महाराष्ट्र कुछ महीने पहले एक बड़े राजनीतिक संकट में फंस गया था, जिसके कारण वहां सरकार भी बदल गई। इस बीच, भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सेमीकंडक्टर सेगमेंट को लुभाने के लिए एक आकर्षक नीति बनाई। नई नीति के अनुसार, भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता के अलावा (besides the assistance provided by the Government of India), राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से हासिल पूंजीगत सहायता (capital assistance) के 40 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। इस पॉलिसी के तहत धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (Dholera SIR) में धोलेरा सेमीकॉन सिटी की स्थापना की जाएगी और योग्य परियोजनाओं (eligible projects) को पहले 200 एकड़ भूमि खरीद पर 75 प्रतिशत और आईएसएम (ISM) के तहत स्वीकृत अन्य परियोजनाओं के लिए आवश्यक अतिरिक्त भूमि पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।
पॉलिसी के अनुसार, सभी योग्य परियोजनाओं (eligible projects) को पहले पांच वर्षों के लिए 12 रुपये प्रति घन मीटर (Rs.12 per cubic meter for the first five years) की दर से पानी दिया जाएगा। बाद के पांच वर्षों के लिए इसे वर्ष-दर-वर्ष (on a year-on-year basis) के आधार पर 10 प्रतिशत की दर से बढ़ाया जाएगा। बिजली टैरिफ सब्सिडी 2 रुपये प्रति यूनिट (A power tariff subsidy of Rs. 2 per unit) दी गई है। सभी योग्य परियोजनाओं को गुजरात विद्युत शुल्क अधिनियम (Gujarat Electricity Duty Act), 1958 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार बिजली शुल्क का भुगतान करने से छूट (exemption) मिलती है।
इसके अलावा, प्रोजेक्ट के उद्देश्य के लिए भूमि के पट्टे/ बिक्री/ हस्तांतरण (for lease/sale/transfer of land for the purpose of the project) के लिए पात्र परियोजनाओं द्वारा सरकार को भुगतान किए गए 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की एकमुश्त वापसी (one-time refund of 100 percent stamp duty and registration fee) का प्रावधान किया गया है। सुविधाजनक कामकाज के लिहाज से एकल खिड़की तंत्र (single window mechanism) स्थापित किया जाएगा।
सेमीकंडक्टर कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए आवश्यक चिप्स (are essential pieces of many electronic product) हैं। इनका इस्तेमाल कारों से लेकर मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड और रसोई के उपकरणों (from cars to mobile phones, ATM cards, and kitchen appliances) तक होता है। कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के कारण सेमीकंडक्टर की सप्लाई प्रभावित हुई थी। सेमीकंडक्टर की कमी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव (electronics and automotive sectors) क्षेत्रों सहित कई उद्योगों को बुरी तरह प्रभावित किया।
2021 में भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 27.2 बिलियन डॉलर था और 2026 में 64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए लगभग 19 प्रतिशत की स्वस्थ सीएजीआर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, इनमें से कोई भी चिप्स अब तक भारत में नहीं बना है। भारत सरकार ऐसे में ताइवान और चीन जैसे देशों से आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है। इसीलिए देश में सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के लिए वह एक वित्तीय प्रोत्साहन योजना लेकर आई है। यह वेदांता फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है।
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है, “यह गुजरात में अब तक का सबसे बड़ा निवेश (largest ever investment in Gujarat) है…देश में पहला सेमीकंडक्टर प्लांट होगा होगा।”साथ ही कहा कि स्थानीय स्तर पर चिप्स बनने (local manufacturing of chips) से लैपटॉप और टैबलेट सस्ते हो जाएंगे। उन्होंने आगे बताया कि गुजरात इकाई शुरू में प्रति माह 40,000 वेफर्स और 60,000 पैनलों का निर्माण करेगी।
इस प्रोजेक्ट के गुजरात आने का राजनीतिक असर होगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस प्रोजेक्ट के गुजरात चले जाने पर चिंता जताई है तो गलत नहीं किया है। यह मुख्य रूप से इसलिए है, क्योंकि प्रोजेक्ट चले जाने की घटना ने महाराष्ट्र में विपक्ष को एकजुट कर दिया है। राकांपा (NCP) की सुप्रिया सुले से लेकर शिवसेना के उद्धव और आदित्य ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के राज ठाकरे और कांग्रेस ने एकनाथ शिंदे सरकार को इसके लिए घेर लिया है। राज्य के लिए इस तरह की रोजगार देने वाली बड़ी परियोजना (employment oriented massive project) प्राप्त करने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं करने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, मुंबई में नगर निकाय बीएमसी (BMC) का महत्वपूर्ण चुनाव भी जल्द ही होना है।
वैसे तो तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र निवेश का केंद्र रहा है, लेकिन हाल ही में कई परियोजनाएं गुजरात की ओर खिसक गई हैं। एक सरसरी नजर डालें तो पता चलता है कि इसमें डायमंड बोर्स को मुंबई से गुजरात के सूरत (diamond Bourse from Mumbai to Surat) में स्थानांतरित करना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र (International Financial Centre) को मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थानांतरित करना शामिल है। महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर कहा है कि महाराष्ट्र के विकास और नौकरियों के लिए इस प्रोजेक्ट की आवश्यकता (project was needed for the growth of Maharashtra and jobs) थी।