कर चोरी रोकने और करों के सरलीकरण के लिए लागू की गयी GST में संगठित तौर से कर चोरी के लिए किसी और के दस्तावेजों ( आधार कार्ड , वोटरकार्ड , पान कार्ड ) का गलत तरीके से इस्तेमाल कर फर्म पंजीकृत करायी जाती है और उसके आधार पर बिलिंग कर गलत तौर से जीएसटी क्रेडिट क्लेम की जाती है। गुजरात में यह संगठित अपराध की जड़े नागरिक सुविधा केंद्र तक पहुंच चुकी है , जहां से आम आदमी आधार कार्ड , वोटर कार्ड बनवाता है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के माध्यम से संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, गुजरात में 2017-18 से 2020-21 (जनवरी 2021 तक) में GST धोखाधड़ी से संबंधित 2848 मामले दर्ज किए हैं। जो देश में चौथे नंबर पर है। दिल्ली में 3295 मामले तमिलनाडु 3220 और महाराष्ट्र 3195 मामले दर्ज किये गए थे।
पिछले चार साल में गुजरात में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके करोडो की कर चोरी की गयी थी। हाल ही में गुजरात राज्य जीएसटी विभाग ने एक नए तरीके के साथ एक घोटाले का खुलासा किया है जहां पिछले आठ महीनों में फर्जी जीएसटी पंजीकरण संख्या के लिए 1,500 आधार कार्ड का अवैध रूप से उपयोग किया गया था। सूरत, भावनगर, अहमदाबाद, आणंद और राजकोट सहित संदिग्ध फर्मों का स्पॉट सत्यापन किया। सूरत में 75 से अधिक फर्मों के संचालन के दौरान, यह पाया गया कि डुप्लीकेट दस्तावेज जैसे आधार और पैन कार्ड एक Android मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके बनाए गए थे।सूरत की 75 फर्मों के सत्यापन से पता चला कि 61 फर्जी बिलिंग गतिविधि में शामिल थीं। अहमदाबाद में सत्यापित 24 फर्मों में से 12 अवैध संचालन में शामिल पाई गईं
इस जाँच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सूरत के पलिताणा इलाके के आवासीय पते वाले एक आधार कार्ड धारक से आधार से जुड़े मोबाइल नंबर से जब संपर्क किया गया तो करके उनके नाम से प्राप्त जीएसटी पंजीकरण और पैन नंबर के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी।वाइब्स आफ इंडिया से एक ऐसे ही पीड़ित ने बताया कि वह तो आटो चलाता है उसे पता भी नहीं था कि उसके नाम से कोई फर्म चल रही है।
कैसे काम करता है रैकेट
आधार केंद्रों का इस्तेमाल कर पहले आधार कार्ड हासिल किया जाता है , फिर उस पते और नाम से फर्म बनाकर GST नंबर हासिल किया जाता है। जिस पर बिलिंग की जाती है।जिस फार्म के नाम पर बिलिंग होती है वह भी इसी तरह से फर्जी होती है , फर्जी बिलिंग के आधार GST क्रेडिट क्लेम किया जाता है। गुजरात के चर्चित 700 करोड़ के जीएसटी घोटाले में गिरफ्तार मोहम्मद अब्बास शब्बीरली सवजानी ने भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया था। उसने 121 फर्जी फर्म दूसरों के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर के बनायी थी। पिछले चार साल में गुजरात राज्य GST विभाग ने कम से कम 10 ऐसे मामलों का खुलासा किया है जिसमे सामूहिक तौर से फर्जी तौर से कंपनी बनायी गयी थी।
क्या कहते हैं टैक्स कंसल्टेंट
सीए प्रकाश कपूरिया के मुताबिक 2017 के मुताबिक 2017 में जब जीएसटी को लागू किया गया तब भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता था , केवल आवेदन के आधार पर जीएसटी नंबर आवंटित हो जाता था। उस दौरान बड़े पैमाने पर दूसरों के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर इस तरह की टैक्स चोरी की गयी। आधार कार्ड ज्यातादर उन लोगों का इस्तेमाल करते है जो गरीब और कम पढ़े लिखे होते हैं। जिनका स्थायी पता नहीं होता। ऐसे लोगों को ढूढ़ने में विभाग को भी बड़ी दिक्कत होती है।
सीए प्रिंस के डोसालिया के मुताबिक 27 दिसंबर, 2022 को जारी अधिसूचना संख्या 27/2022 के माध्यम से सीजीएसटी नियमों के नियम 8 (4ए) में संशोधन किया, जिसमें गुजरात राज्य में एक पायलट प्रोजेक्ट के साथ जीएसटी पंजीकरण देने के लिए बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण प्रदान किया जायेगा।
सरल शब्दों में कहें 2022 से GST पंजीयन के लिए ई आधार वेरिफिकेशन अनिवार्य किया गया है ,साथ ही विभाग के अधिकारी वेरिफिकेशन भी जगह पर जाकर करते हैं , अब इस तरह का घोटाला तभी हो सकता है जब जिसका आधार कार्ड इस्तेमाल किया गया हो वह ई वेरिफिकेशन में सहभागी बना हो सामान्य तौर पर नजदीकी रिश्तेदारों और कर्मचारियों का इसमें दुरुपयोग होता है ,लेकिन वह बिल्कुल अनजान हो ऐसा नहीं होता।
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