6 वर्षीय नर चीता उदय, दक्षिण अफ्रीका के वॉटरबर्ग क्षेत्र में मतलाबास नदी (Matlabas River) के पास के क्षेत्र से 18 फरवरी को 12 चीतों के साथ भारत लाया गया था।
कूनो में चीता उदय (Cheetah Uday) की मौत कैसे हुई यह रहस्य बना हुआ है। विशेषज्ञ इस बात की जांच में लगे हैं कि कहीं यह मौत सर्पदंश से तो नहीं हुई है। हालांकि, ऑटोप्सी रिपोर्ट से स्थिति साफ हो जाएगी। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के महानिरीक्षक (National Tiger Conservation Authority inspector-general) अमित मल्लिक ने सोमवार को कूनो पहुंचे और उनकी मौजूदगी में उदय के शव का पोस्टमार्टम किया गया। स्थति स्पष्ट हो इसलिए फोरेंसिक जांच के लिए ब्लड सैंपल भी भेजे गए हैं।
6 वर्षीय नर चीता उदय, दक्षिण अफ्रीका के वॉटरबर्ग क्षेत्र में मतलाबास नदी (Matlabas River) के पास के क्षेत्र से 18 फरवरी को 12 चीतों के साथ भारत लाया गया था।
रविवार को चीतों की निगरानी करने पहुंचे वन्यजीव विशेषज्ञ (wildlife experts) उस समय सतर्क हो गए, जब चीते उदय को अपनी गर्दन नीचे झुकाए स्थिर रूप में हुए देखा गया। जिसके बाद उसे तुरंत इलाज के लिए ट्रैंकुलाइज किया गया लेकिन कुछ ही घंटों में उसकी मौत हो गई। इस घटना से प्रोजेक्ट चीता के अधिकारी हैरान थे क्योंकि उदय पिछले दिनों में एकदम स्वस्थ्य था।
“विशेषज्ञों के रूप में, हम किसी निष्कर्ष पर आने से पहले नेक्रोप्सी के परिणामों (necropsy results) की प्रतीक्षा करने में विश्वास रखते करते हैं। इस बिंदु पर हम जो जानते हैं वह यह है कि लक्षणों के पहली बार देखे जाने के कुछ ही घंटों बाद और उदय को तत्काल पशु चिकित्सा देखभाल मिलने के बावजूद मृत्यु अचानक हुई। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम समस्या को समझें ताकि हम रोकथाम योग्य मौतों से बचने के लिए कार्रवाई कर सकें,” चीता संरक्षण कोष (सीसीएफ) के कार्यकारी निदेशक लॉरी मार्कर ने बताया।
उन्होंने कहा कि नामीबियाई चीते (Namibian cheetahs) जल्दी से इस क्षेत्र के अनुकूल हो गए, स्वतंत्र रूप से शिकार कर रहे हैं और भारतीय शिकार पर बढ़ रहे हैं।
यह भी पढ़ें: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के थलतेज स्थित बंगले पर लगेगा “व्यू कटर “