कक्षा-7 की गुजराती किताब में पाठ्यपुस्तक मंडल की घोर लापरवाही सामने आई है। इस किताब में मनुबेन गांधी की जगह कस्तूरबा गांधी की तस्वीर छपी है. 2013 से प्रकाशित इस पुस्तक को अभी तक संशोधित नहीं किया गया है।
7वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को 10 साल से गलत तरीके से पढ़ाया जा रहा है। पाठ्यपुस्तक के बोर्ड के कारण छात्रों को गलत ज्ञान हो रहा है। कक्षा 7 के गुजराती विषय में मनुबेन गांधी के चित्र के स्थान पर कस्तूरबा गांधी का चित्र छपा है। पहले सत्र के पाठ संख्या 4 में लेखक मनुबेन गांधी हैं, लेकिन चित्र गांधीजी की पत्नी का प्रिंट है। इसके अलावा मनुबेन गांधी के पिता का नाम जयसुखलाल था, जिनका नाम जसवंतलाल से छाप दिया गया है।
पिछले 10 वर्षों से प्रकाशित यह पुस्तक अभी भी गुजराती भाषा में आ रही है। पाठ्यपुस्तक मंडल की लापरवाही से छात्रों को गलत पाठ पढ़ाया जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार मातृभाषा के अध्ययन पर जोर दे रही है, वहीं मातृभाषा की किताब को ही 10 साल हो गए हैं, लेकिन इसे संशोधित नहीं किया जा रहा है।
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने नई पाठ्यपुस्तकों में भौतिक विज्ञान में पृष्ठों की संख्या घटाकर 170, रसायन विज्ञान में 165 और गणित में 165 कर दी है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि नए पाठ्यक्रम में कुछ विषयों को बाहर करने से जेईई, नीट में छात्रों को फायदा होगा, जबकि बीएससी, इंजीनियरिंग में दिक्कतें आएंगी।
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