गुजरात कांग्रेस कार्यकारी प्रमुख और किसी दौर में राहुल गांधी- प्रियंका गांधी के नजदीकी हार्दिक पटेल कांग्रेस से असंतुष्ट है यह , जगजाहिर है , असंतुष्ट होने का कारण हार्दिक खुद की उपेक्षा बता रहे हैं , लेकिन राजनीति में जो बताया जाता है वह होता नहीं और जो होता है वह बताया नहीं जाता। हार्दिक के मामले में भी ऐसा ही है।
गुजरात कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष हार्दिक पटेल लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद हार्दिक पटेल 12 मार्च 2019 को राहुल गांधी का हाथ पकड़कर सरकार के खिलाफ लड़ने की मानसिकता के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे ,शुरुआत में हार्दिक पटेल देश की सबसे पुरानी पार्टी की तारीफ करते नहीं थकते.
इसे देखते हुए कांग्रेस ने हार्दिक को सबसे कम उम्र में गुजरात राज्य का कार्यवाहक अध्यक्ष भी बना दिया। हार्दिक भले ही 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए हो लेकिन 2015 के स्थानीय निकाय चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में हार्दिक कांग्रेस के लिए पारस पत्थर साबित हुए , जब उनकी उम्र विधानसभा चुनाव लड़ने की नहीं थी। लेकिन समय के साथ, हार्दिक का कांग्रेस से मोहभंग हो गया , लेकिन ऐसा क्यों हुआ इसका ठोस कारण है।
1 – हार्दिक अपने लिए चाहते हैं वीरमगाम विधानसभा की सीट
कांग्रेस के उच्च सूत्रों के मुताबिक हार्दिक पटेल पहली बार चुनाव लड़ने के योग्य हुए है। आयु की सीमा से भी , और उनके सजा के लंबित मामले में अदालत द्वारा चुनाव लड़ने की दी गयी अनुमति के बाद। विदित हो की उनके बगावती तेवर उच्चतम न्यायलय द्वारा दिए फैसले के बाद ही शुरू हुए हैं। वह अपने लिए वीरमगाम की सुरक्षित सीट चाहते है। जिसका आधार जातीय समीकरण है।
लगभग 2. 65 लाख मतदाताओं के मुताबिक यहा ठाकोर 55000 , पाटीदार 50000 , दलित 25000 ,कोली पटेल 20000 ,दरबार 20000 मुस्लिम 19000 तथा 10000 अन्य मतदाता है। जातीय लिहाज से यह युवा नेता के लिए अपना राजनीतिक सफर शुरू करने के लिए हरा मैदान सामान है।
पिछले 2 चुनाव से यह सीट कांग्रेस के पास है , जिसमे 2012 में डॉ तेजश्री पटेल ने भाजपा उम्मीदवार को 1698 मतों से पराजित किया था , जबकि 2012 में तेजश्री के भाजपा में शामिल होने के बाद वह कमल चुनाव चिन्ह मैदान में थी लेकिन कांग्रेस के लाखा भारवाड ने उन्हें 6548 मतों से पराजित किया था 41. 25 प्रतिशत के साथ लाखा भरवाड को 76178 मत हासिल हुए थे , जबकि तेजश्री को 69630 मत , 37 . 71 प्रतिशत के लिहाज से मिले थे।
लेकिन पेंच यही फसा है। लाखा भरवाड़ भले ही पहली बार विधायक बने हो लेकिन कांग्रेस में वह भारत सिंह सोलंकी के सबसे करीबी में से एक है।
साथ ही आर्थिक प्रबंधन में माहिर है। कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा से भी उनके अच्छे तालुकात हैं। प्रदेश प्रमुख जगदीश ठाकोर भी भरत सिंह सोलंकी कैम्प के ही माने जाते हैं। पार्टी नेतृत्व चाहता है की हार्दिक मेहसाणा या सूरत की वराछा से लड़े जहा से पास खड़ा हुआ है और पार्टी कमजोर है।
2 – जीपीसीसी में हो हार्दिक समर्थको का समावेश
गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति में कार्यकारी प्रदेश प्रमुख के बावजूद हार्दिक पटेल समर्थकों का समावेश नहीं हुआ , ना ही जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में उनको सलाह प्रक्रिया में शामिल किया गया। इसलिए वह चाहते है की उनके लोगों का भी समावेश हो , जिस पर आलाकमान से भी सहमति है। इसलिए कांग्रेस सचिव और जिला प्रमुखों की दूसरी सूची लंबित है।
3 – निर्णय में सहभागिता
वाइब्स आफ इंडिया ने पहले खबर की थी की ज्यादातर निर्णय प्रभारी रघु शर्मा और जगदीश ठाकोर ले रहे है। युवा पटेल नेता ने राष्ट्रीय महासचिव संगठन को भी इसकी शिकायत की है , जिसके समाधान के लिए कहा गया था लेकिन समाधान अभी तक हुआ नहीं है। साथ ही कार्यकारी प्रमुख के तौर पर अतिरिक्त प्रभार चाहते हैं।
4 – लंबित मामले बड़ी मुसीबत
हार्दिक की सबसे बड़ी समस्या उनके खिलाफ दर्ज मामले हैं , जिसमे देश द्रोह का आरोप भी शामिल है , भाजपा से उनकी नजदीकी का आधार यही मामले है। एक मामले में सरकार निचली अदालत के फैसले के खिलाफ जिला न्यायालय में अपील करके भी मामला वापस लेने में सफल रही है , वही भाजपा हार्दिक को लेकर बेहद नरम है , जबकि हार्दिक भी भाजपा के खिलाफ आक्रामकता नहीं नहीं अपना रहे हैं।
गुरुवार को राहुल से मुलाकात पर तय हो जायेगा हार्दिक – नरेश पटेल का सियासी भविष्य
युवा पटेल नेता हार्दिक पटेल और नरेश पटेल के बीच हुयी मुलाकात के दौरान ही राहुल गांधी से मुलाकात के मुद्दे तैयार हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक हार्दिक पटेल गुरुवार को राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात के दौरान हार्दिक को अगर आलाकमान का भरोसा हासिल हो जाता है तो वह कांग्रेस में नयी पारी खेलेंगे अन्यथा वह नई भूमिका के लिए भी तैयार हैं जिसमे नरेश पटेल की भी सहमति है। दोनों नेता 2017 में एक ही मंच से एक ही दिशा में लड़ने का मन बना चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक दो दिन पहले हार्दिक के खिलाफ कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख सहित तीन पूर्व प्रमुख आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया था ,जिससे बचने का निर्देश दिल्ली से नेताओं को प्राप्त हुआ। मुलाकात के परिणाम में वीरमगाम सबसे बड़ा पेंच हैं। जबकि बाकी मुद्दों पर दिल्ली सहमत है।
राहुल गांधी का यह दावा कि केवल कांग्रेस ही भाजपा को टक्कर दे सकती है, जमीनी हकीकत से है कोसों दूर