भारत की सबसे पुरानी पार्टी यानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास परेशानियों की कोई कमी नहीं है। अब इसमें गुजरात में उसके उपाध्यक्ष हार्दिक पटेल के विद्रोह का भी तड़का लग गया है। राज्य में विधानसभा चुनाव से नौ महीने पहले हार्दिक ने काम नहीं करने देने के लिए “राज्य पार्टी नेतृत्व” के खिलाफ मन की बात कहनी शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा, “गुजरात में कांग्रेस की हालत खराब है। मैंने अपने राज्य के नेताओं से कई बार अनुरोध किया है कि हमें एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन वे काम नहीं करते हैं। और तो और, वे मुझे भी काम नहीं करने दे रहे हैं।”
ऐसी चर्चा है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हार्दिक को गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति देने के फैसले ने उन्हें विकल्पों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। गुजरात में राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने हार्दिक पटेल के भाजपा में शामिल होने और दिसंबर में होने वाले चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया है।
बता दें कि पहले भी हार्दिक पटेल का परिवार आरएसएस से जुड़ा था। 28 वर्षीय पटेल नेता ने कहा, “मैं अपने पिता की पहली पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में जल्द ही भगवद् गीता की 4,000 प्रतियां बांटने जा रहा हूं। ऐतिहासिक रूप से हम लव और कुश के बच्चे हैं, जिसका अर्थ है कि हम भगवान राम के वंशज हैं और रघुवंशी हैं। एक कट्टर हिंदू होने और अपनी जातिगत पृष्ठभूमि पर गर्व करने में क्या गलत है?”
उन्होंने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन कुछ नीतियों की प्रशंसा की है। विशेष रूप से भाजपा के निर्णय लेने की क्षमता की। उन्होंने कहा, “कहा जाता है- अपने दुश्मन को दोस्त से बेहतर जानें।” उन्होंने कहा, “केवल मुझे ही नहीं, पूरी गुजरात कांग्रेस को यह कवायद करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि गुजरात कांग्रेस की आत्मसंतोष ने यह सुनिश्चित किया है कि पार्टी राज्य में 30 साल तक सत्ता से बाहर रहे। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस का गुजरात में ज्यादा भविष्य है, अगर वह इसी तरह से काम करती रहती है तो। जबकि गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) खुद को लगातार मजबूत कर रही है। उसका सदस्यता अभियान पूरी ताकत से चल रहा है। उधर भाजपा अपनी जमीनी रणनीति, बूथ प्रबंधन और एक विजेता की मानसिकता के साथ तैयार है। ऐसे में हम यानी कांग्रेस गुजरात के चुनावी परिदृश्य में कहीं हैं ही नहीं।”
पाटीदार नेता ने आगे कहा कि जब कोई सदस्य अपने मुद्दों को रखता है तो नेताओं को चर्चा करनी चाहिए। देखना चाहिए कि समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है। इसके बजाय, सभी प्रकार की झूठी धारणाएं फैलाई जाने लगती हैं। उन्होंने कहा, “मैं केवल गुजरात के लोगों के कल्याण के लिए बोलता हूं। अगर हम देखते हैं कि सत्ताधारी पार्टी लोगों से संबंधित किसी खास मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही है, तो विपक्ष के रूप में हमें लोगों की ओर से आवाज उठानी चाहिए। इसके बजाय, कांग्रेस पार्टी न केवल फैसलों में देरी करती है, बल्कि अगर मैं लोगों के कल्याण के लिए गुजरात में प्रचलित बेरोजगारी या भ्रष्टाचार या किसी अन्य मुद्दे के खिलाफ अपनी आवाज उठाना चाहता हूं, तो मुझे ऐसा करने की अनुमति भी नहीं है।”
उन्होंने जोर देकर कहा, “गुजरात ने मुझे सब कुछ दिया है। ये सभी मुझे केजरीवाल से जोड़ते हैं लेकिन बीजेपी, कांग्रेस, मेरे सभी विकल्प खुले हैं। मेरा इरादा स्पष्ट है। वह यह है कि मैं इस राज्य के लोगों के कल्याण के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, वह करूंगा।” इसके बाद वह मुस्कुराए और कहा कि अभी कांग्रेस छोड़ने की उनकी कोई योजना नहीं है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हार्दिक पटेल कड़ी और बड़ी सौदेबाजी के लिए जाने जाते हैं। जब दिवंगत राजीव सातव गुजरात के पर्यवेक्षक थे, तो हार्दिक पटेल ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर उनके जन्मदिन से पहले उन्हें उपाध्यक्ष नहीं बनाया गया तो वे कांग्रेस छोड़ देंगे। विडंबना यह है कि पार्टी आलाकमान मान गया और हार्दिक को रातोंरात उपाध्यक्ष बना दिया गया। हार्दिक अब नरेश पटेल को पार्टी में लाने पर तुले हैं। सौराष्ट्र के एक मजबूत पटेल नेता नरेश पटेल ने कथित तौर पर हार्दिक के माध्यम से कांग्रेस में किसी उच्च पद के साथ शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन पार्टी आलाकमान ने अब तक चीजों को स्पष्ट नहीं किया है।
इस बीच, खुद को कट्टर हिंदुवादी बताते हुए हार्दिक पटेल ने कहा कि वह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भाजपा के फैसले से वास्तव में खुश हैं।