गुजरात के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केमिस्ट्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चुनावी अंकगणित ने ही गुजरात में भाजपा की ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित की है।
आम आदमी पार्टी यानी आप ने विशेष रूप से कांग्रेस को 16 सीटों पर सिमटाने में प्रमुख भूमिका निभाई। 2017 के चुनावों में भाजपा ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी। गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि 1960 में गुजरात के स्वतंत्र राज्य बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने अपना जनजातीय आधार पूरी तरह खो दिया। इसका श्रेय यकीनन भाजपा को जाता है। गुजरात में 27 आदिवासी सीटें हैं और भाजपा ने इनमें से 24 सीटों पर जीत हासिल की है।
मैं अहमदाबाद से दिल्ली की यात्रा कर रही थी और एक एयर होस्टेस ने मुझे फोन पर गुजराती में बात करते सुन लिया। मुझसे मिलीं। वह डांग के एक पिछड़े जिले की आदिवासी थीं। भाजपा कल्याण और छात्रवृत्ति (scholarship) योजना के जरिये उसने एयर होस्टेस बनने का अपना सपना पूरा क या था। वह ईसाई थी।
बेशक, जब अधिकतर गुजराती वोट डालने जाते हैं, तो विकास, शासन और प्रशासन ही निर्णायक फैक्टर नहीं होते हैं। यह हिंदुत्व है, जिसे अब मोदित्व के रूप में नया नाम दिया गया है। कहना ही होगा कि अगर कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा में गुजरात को शामिल किया होता तो पार्टी की हार इतनी शर्मनाक नहीं होती। इसे गुजरात की राजनीति में राहुल गांधी की अरुचि के रूप में देखा गया। इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ।
सभी हार के लिए वर्तमान कांग्रेस को ही दोष देना ठीक नहीं होगा। शुरुआत करने के लिए माधवसिंह सोलंकी ने KHAM सिद्धांत पेश किया। इससे 1985 में कांग्रेस को 182 सीटों में से 149 सीटें मिलीं। लेकिन इसने उच्च वर्ग (upper class) का मोहभंग कर दिया, जिसके पास पैसा, बाहुबल (muscle) और जनशक्ति (manpower) थी। उन्होंने 1990 के चुनावों में भाजपा का पलड़ा भारी करते हुए कांग्रेस को 33 सीटों पर सिमटा दिया। मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने ओबीसी, दलित, आदिवासी और अन्य सभी को हिंदुत्व की छत्रछाया में ला दिया। यह अब बढ़िया डिविडेंड है।
हिंदुत्व गुजरात में बहुत भयानक तरीके से काम करता है। संस्कारी रेपिस्ट बोलने वाले सीके राउलजी जीत गए हैं। नरोदा के एक दोषी की बेटी डॉ. पायल को भी मेडिकल आधार पर जमानत मिल गई है। मोदी के हिंदुत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने मोरबी में भी जीत हासिल कर ली, जहां हाल ही में पुल गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मोदी को भगवान के रूप में देखा जाने लगा है, जो किसी भी गलती के लिए जिम्मेदार नहीं है।
इसे भुनाने के लिए पीएम मोदी ने पिछले सात महीनों में 90 से अधिक सभाएं कीं। राहुल गांधी ने सिर्फ दो सभाओं को संबोधित किया। भाजपा अपने अभियान पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रही थी और वह रिकॉर्ड बनाने के लिए सीटों को चुन रही थी। उन्होंने ऐसा करके भी दिखा दिया। मध्य गुजरात में ब्रॉड और दक्षिण गुजरात में व्यारा पारंपरिक कांग्रेस के गढ़ थे, जिन्हें गुजरात की स्थापना के बाद से पार्टी ने कभी नहीं खोया था। प्रचंड वोटों के साथ भाजपा ने इन दोनों गढ़ों को हथिया लिया। आप को केवल पांच सीटें ही मिली हैं। वैसे इस पर नजर रखने की जरूरत है। इसलिए कि यह आप ही है, न कि कांग्रेस जो आक्रामक रूप से भाजपा से लड़ती दिखाई देती है।
गुजरात चुनाव से एक सीख भी मिली है। वह यह कि 2024 का चुनाव विकास और विश्वास का होगा। गुजरात में यही काम किया है और गुजरात में जो भी काम करता है, उसे भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर दोहराती है। हमें केवल यह आशा करनी चाहिए कि गुजरात के कट्टर हिंदुत्व मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर दोहराया न जाए।
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