ब्लॉकचेन तकनीक का अपनी डिग्री में ” ब्लॉकचेन तकनीक ” का उपयोग करने वाला देश का पहला राज्य विश्वविद्यालय बन गया | राज्य शिक्षा मंत्री जीतू
वाघाणी की उपस्थिति में आयोजित दीक्षांत समारोह में 49528 छात्रों को सांकेतिक रूप से ब्लैकचेन तकनीक युक्त डिग्री प्रदान की गयी |
इस दौरान अधिकारियों ने कहा कि 2021 के स्नातक छात्रों को जारी किए गए डिग्री प्रमाणपत्र ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके बनाए गए हैं जो दस्तावेज़ को छेड़छाड़-प्रूफ, सुरक्षित और दुनिया के किसी भी हिस्से से सुलभ बना देगा।
गुजरात विश्वविधालय का 70वां वार्षिक दीक्षांत समारोह वर्चुअल मोड में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल थे। गुजरात के कुलपति और राज्यपाल आचार्य देवव्रत, शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी ,राजयमंत्री कुबेर डिंडोर, प्रमुख शिक्षा सचिव एसजे हैदर, गुजरात विश्वविद्यालय हिमांशु पंड्या, मौजूद रहे।
छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा, आप ऐसे समय में पेशेवर दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जब भारत आत्मनिर्भर होता जा रहा है। यह आपके लिए गुजरात और भारत को आत्मानिर्भर बनाने का अवसर है।
पंड्या ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने कर्मचारियों और छात्रों के लिए टेलीमेडिसिन की सुविधा प्रदान करने के लिए एक ऐप लेकर आया है। ऐप को शनिवार को लॉन्च किया गया।
“ब्लॉकचेन तकनीक ” क्या है
ब्लॉकचेन एक तकनीक है। हम इस तकनीक के जरिए करेंसी ही नहीं बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल फॉरमेट में बदलकर स्टोर कर सकते है। ये प्लेटफॉर्म लेजर की तरह है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये एक तरह का एक्सचेंज प्रोसेस है, जो डेटा ब्लॉक पर काम करता है।
इसमें हर एक ब्लॉक एक-दूसरे से कनेक्ट होते हैं और इन्हें हैक नहीं किया जा सकता है। इस तकनीक का उद्देश्य डॉक्यूमेंट्स को डिजिटली सुरक्षित रखना है। आपको बता दें सन 1991 में स्टुअर्ट हबर और डब्ल्यू स्कॉट स्टोर्नेटो ने ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल किया था।