आंबेडकर जयंती यानि 14 अप्रैल को, गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्वयं सैनिक दल नामक संगठन द्वारा वृहद धर्मांतरण समारोह आयोजन किया गया जिसमे देश भर से लगभग 50 हजार दलितों के शामिल होने का दावा किया गया। गांधीनगर के रामकथा मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में गुजरात के विभिन्न हिस्सों से दलित समाज के लोग शामिल हुए , जिसमे सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के लोगो की बहुलता रही। साथ ही राजस्थान , मध्यप्रदेश ,दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों से प्रतिनिधिमंडल उपस्थित रहा। समारोह का आयोजन स्वयं सैनिक दल (एसएसडी) नामक संगठन द्वारा किया गया . इस मौके पर महा रैली और महा सभा भी आयोजित की गयी। इस दौरान उपस्थित लोगो ने अम्बेडकर द्वारा बताई 22 प्रतिज्ञाओं की पालना का संकल्प लिया।
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका जताते हुए आयोजन की निंदा की , इस दौरान उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि” जिन राजनीतिक ताकतों की दुकानें बंद हुईं, वे बीजेपी और हिंदुत्व को बदनाम करती हैं , कुछ तथाकथित संगठनों की सोच हिंदू विरोधी है। उन्होंने कहा कि यह एक साजिश है, यह एक अंतरराष्ट्रीय साजिश भी हो सकती है।”
वही राज्यसभा के पूर्व सदस्य और भाजपा नेता शंभुनाथ टूंडिया ने कहा कि “स्वतंत्र भारत में कानून ने व्यक्ति को यह छूट दी है कि वह किस धर्म का पालन करे, किस धर्म को अपनाए, किस जीवन पद्धति का पालन करे , व्यक्ति धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन जब धर्मांतरण के साथ यह आरोप लगाया जाता है कि यहां मेरे साथ ऐसा अन्याय हुआ है तो यह आरोप बेतुका है। मैं समाज के भीतर ऐसे तत्वों की भी निंदा करता हूं जो इस तरह की भ्रांतियां फैलाते हैं।”
जिस पर स्वयं सैनिक दल के डाह्या भाई चासिया ने कहा ” कोई साजिश नहीं है , बुद्ध को पूरा विश्व मानता है। भारत का मूल धर्म बौद्ध है। भारत के संविधान के मुताबिक समानता ,शिक्षा और संगठन पर आयोजन में जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री विदेश जाते है तो बुध्द का उल्लेख करते है। प्रशासनिक अनुमति से आयोजन किया गया है।
आयोजकों के अनुसार, लगभग 15,000 लोगों ने अपने-अपने जिलों में कलेक्टर कार्यालयों में पहले ही धर्म परिवर्तन हेतु आवेदन दायर कर दिए थे । आवेदक बिना किसी लालच, प्रलोभन या धमकी के स्वैच्छिक धर्मांतरण का विकल्प चुन रहे हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया भी की गयी है। धर्मांतरण में राज्य के गजेट में विवरण का प्रकाशन भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार 1700 आधिकारिक रजिस्ट्रेशन हुए थे ,जबकि कार्यक्रम में 40 हजार से अधिक लोग शामिल थे ,जिन्होंने डॉ भीमराव आम्बेडकर द्वारा की गयी 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया है।
क्या है स्वयं सैनिक दल , कैसे करता है काम
वर्ष 2006 में राजकोट में 50 समान विचारधारा वाले दलित सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा स्थापित स्वयं सैनिक दल (एसएसडी) खुद को एक गैर राजनीतिक संगठन बताता है। जिसका कोई प्रमुख नहीं है , और ना ही संगठन में आधिकारिक तौर से कोई पद है , यह संगठन में समानता के भाव को बरकरार रखने के लिए किया गया है। एसएसडी अब तक कई बड़े आयोजन कर चूका है। एसएसडी के अनूठे पहलों में से एक संगठन के भीतर पारंपरिक पदानुक्रमित संरचनाओं और पदों की अस्वीकृति है। एसएसडी में कोई नामित नेता या पदाधिकारी नहीं हैं, और सभी सदस्यों के साथ समान व्यवहार किया जाता है, भले ही वे दल में स्थापना से जुड़े हो या हाल में सदस्य बने हैं। इसके अलावा, संगठन के पास गोपनीयता के संबंध में सख्त नियम हैं और यह व्यक्तिगत नामों का प्रचार नहीं करता है। एसएसडी के सदस्यों का ड्रेस कोड है ,जिसमे हरे रंग की वर्दी और सफ़ेद बेल्ट शामिल है। आरएसएस की तरह स्वयं सैनिक दल के सदस्य भी लाठी रखते हैं।
SSD ने अपनी जनसभाओं के लिए एक सरल और समतावादी दृष्टिकोण अपनाया है, जिसे चिंतन शिविर के रूप में जाना जाता है, जो आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित की जाती हैं। उन्होंने अपने नेताओं या आयोजकों के लिए विशेष व्यवहार या बैठने की व्यवस्था की प्रथा को समाप्त कर दिया है। इसके बजाय, जब स्वयं सैनिक गांवों का दौरा करते हैं, तो वे स्थानीय लोगों के साथ जमीन पर बैठते हैं, और जिसे सभा को संबोधित करने की आवश्यकता होती है, वह खड़ा होकर बोलता है। नतीजतन, आयोजकों या समूह के नेताओं के लिए कोई मंच या कुर्सियां आरक्षित नहीं हैं। यह दृष्टिकोण एसएसडी की समानता के प्रति प्रतिबद्धता और संगठन के भीतर उनकी स्थिति या स्थिति की परवाह किए बिना सभी सदस्यों के बीच भाईचारा और आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा देने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।
SSD के एक सदस्य के मुताबिक SSD चंदा नहीं लेता और निजी खर्च से संगठन के सदस्य संगठन को संचालित करते है। गांधीनगर की सभा में भी निजी खर्च से आने के लिए प्रेरित किया गया था। अब संगठन की जड़े कई राज्यों तक पहुंच चुकी है। यह संगठन भी मीडिया से दुरी बनाकर चलता है। गोपनीयता का खास ध्यान रखा जाता है।