गुजरात में मोरबी जिले के त्राजपार ग्राम पंचायत के सरपंच बने जयंती वरानिया को दो से अधिक बच्चे होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इनमें से एक का जन्म 2005 के बाद हुआ था। वह दो महीने से भी कम समय पहले भाजपा विधायक परसोत्तम सबरिया की पत्नी जशुबेन सबरिया को पराजित कर सरपंच बने थे।
मोरबी के तालुका विकास अधिकारी (टीडीओ) का आदेश सोमवार को जशुबेन की शिकायत पर आया। इसमें कहा गया था कि वरानिया के चार बच्चों में से एक का जन्म 2007 में हुआ था। इस तरह वह गुजरात पंचायत अधिनियम 1993 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी पद पर रहने के योग्य नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया।
भाजपा विधायक परसोत्तम सबरिया की पत्नी जशुबेन सबरिया को पराजित कर सरपंच बने थे
शिकायत का संज्ञान लेते हुए दोनों पक्षों को सुनने के बाद मोरबी टीडीओ टीपा कोटक ने सोमवार को एक आदेश जारी कर वरानिया को ट्राजपार के सरपंच पद से अयोग्य घोषित कर दिया।
टीडीओ के मुताबिक, “गांव के रजिस्टर में 2007 में वरानिया के चौथे बच्चे का जन्म दर्ज किया गया है। स्कूल के प्रिंसिपल ने भी प्रमाणित किया कि उक्त बच्चे का जन्म 2007 में दर्ज किया गया था। यह मौजूदा कानूनों का उल्लंघन था। इसलिए, गुजरात पंचायत अधिनियम- 1993 की धारा 32 के तहत हमने वरानिया को त्राजपार गांव के सरपंच के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया। ”
बता दें कि दिसंबर 2021 में ग्राम पंचायत के चुनाव में जशुबेन की हार को ध्रांगधरा विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा भाजपा विधायक परसोत्तम सबरिया के लिए शर्मिंदगी के रूप में देखा गया था। वरानिया के उम्मीदवारों के पैनल ने ग्राम पंचायत के 16 चुनाव वार्डों में से 11 पर जीत हासिल की थी।
टीडीओ के आदेश के खिलाफ अपील करेंगे
वरनिया ने हालांकि कहा कि वह टीडीओ के आदेश के खिलाफ अपील करेंगे। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे का जन्म 2004 में हुआ था और मैं उस घोषणा पर कायम हूं। मैं टीडीओ के अयोग्य ठहराने के आदेश के खिलाफ अपील करूंगा। ”
इस बीच कोटक ने कहा कि उनके कार्यालय के आदेश के बाद त्राजपार के ग्राम सरपंच का पद खाली हो गया है। ऐसे में अब उप सरपंच पदभार संभालेंगे। टीडीओ ने कहा, “नए सरपंच के चुनाव के लिए उपचुनाव कराया जाएगा।”
गुजरात पंचायत अधिनियम की धारा-32 के अनुसार, एक व्यक्ति जिसके दो से अधिक बच्चे हैं और यदि उनमें से किसी का जन्म 4 अगस्त 2005 के बाद हुआ है, तो वह राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है और उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
कोटक ने कहा, “शिकायतकर्ता ने अधिनियम की धारा-31 के तहत वरानिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। लेकिन हमारे कार्यालय के पास कार्यवाही शुरू करने की शक्ति नहीं है। इसलिए हमने शिकायतकर्ता से कहा कि हम केवल निर्वाचित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। इसलिए शिकायतकर्ता ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया, जहां मामला अभी भी लंबित है। ” गौरतलब है कि धारा-31 चुनाव विवादों के मामलों में न्यायिक कार्रवाई का प्रावधान करती है।