अहमदाबाद: गुजरात में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। 2022 में कैंसर से संबंधित 40,356 मौतें हुई हैं, जबकि 2021 में कैंसर से हुई मौतों की संख्या 39,328 थी। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा में दी है। वह सवालों के जवाब दे रहे थे।
उनके अनुसार, पिछले तीन वर्षों में गुजरात में कैंसर के मामले लगातार बढ़े हैं। राज्य में 2020 में कैंसर के मामले जहां 69,660 थे, वहीं 2021 में यह संख्या 71,507 और 2022 में बढ़कर 73,382 हो गई है। अपने लिखित जवाब में मंत्री ने कहा, “आईसीएमआर – राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (ICMR) के अनुसार, 2020 से 2022 के दौरान देश में कैंसर के मामलों की घटनाओं और मृत्यु दर की अनुमानित संख्या बढ़ रही है।” उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में गरीबों के लिए कैंसर का इलाज या तो मुफ्त है या काफी अधिक सब्सिडी वाला है। इसके अलावा पीएम-जेएवाई (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) के तहत भी कैंसर का इलाज किया जाता है।
देश में पुरुषों से अधिक महिलाओं में कैंसरः
इस बीच, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि भारत में पुरुषों की तुलना में कैंसर से महिलाएं अधिक पीड़ित हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसकी चपेट में इस साल 1.46 मिलियन से 2025 में 1.57 मिलियन होने की आशंका है।
इन परेशान करने वाले आंकड़ों में भारत के दो सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों- उत्तर प्रदेश और बिहार के डेटा शामिल नहीं हैं। 2022 के लिए कैंसर के मामलों का राष्ट्रीय औसत 100.4 प्रति 100,000 है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं (105.4 प्रति 100,000) में स्तन कैंसर का इलाज किया जा रहा है, जो एक रोकथाम वाली बीमारी है। तुलनात्मक रूप से प्रति 100,000 में 95.6 पुरुषों में फेफड़े के कैंसर का इलाज किया गया है।
यह अध्ययन आईसीएमआर के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च, बेंगलुरु में किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ भारतीयों में से एक को अपने जीवनकाल में यानी जब वे 74 वें साल में पहुंचते हैं, तब कैंसर होने की आशंका रहती है।
महिलाओं में सबसे अधिक मामले कैंसर स्तन कैंसर के थे। इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा (cervix), अंडाशय (ovary) और कॉर्पस गर्भाशय (corpus uteri) के थे। पुरुषों में फेफड़े, मुंह और जीभ के कैंसर आम थे, जो सभी धूम्रपान (smoking) और तम्बाकू के अन्य उपयोग से जुड़े थे।
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