गुजरात में दो बेहद दुखद घटनाओं के कारण कामकाजी माताएं काफी डरी हुई हैं। अहमदाबाद में एक कामकाजी जोड़े ने पिछले तीन महीनों से बिंदू शर्मा को काम पर रखा था, लेकिन पता चला कि बिंदू और उसके पति अमित बच्चे को पश्चिम बंगाल में एक परिवार को बेचने की कोशिश में थे। जिस 11 महीने की बच्ची की वह देखभाल कर रही थी, उसे बेचने का सौदा करने के आरोप में आया को गिरफ्तार किया गया था।
गुजरात पुलिस ने महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग से पुणे निवासी और मामले के प्राथमिक आरोपी प्रशांत कांबले को ट्रैक करने में कामयाबी हासिल की। पुलिस ने तकनीकी निगरानी के आधार पर जांच कर मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद पाया कि दो आरोपी प्रशांत कांबले और बिंदु शर्मा ने पहले भी दो बच्चों को गोद लेने के नाम पर बेचा था. महाराष्ट्र के दलाल कांबले को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक दंपती को अपने जैविक बच्चे को दो लाख रुपये में बेचने के आरोप में भी गिरफ्तार किया गया था।
एक युवा मां के रूप में वृंदा सराफ शहर में हाल ही में उजागर हुए गोद लेने के घोटाले की जानकारी के बाद सो नहीं पा रही हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंट सराफ ने 10 महीने के बेटे की देखभाल के लिए किसी केयरटेकर को रखने के बजाय अपना पेशा छोड़ने की सोच रही। गोद लेने वाले घोटाले ने कामकाजी महिलाओं को संकट में डाल दिया है। बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित कई माताएं अपने कॉर्पोरेट जीवन पर भी पुनर्विचार कर रही हैं।
इस मुद्दे को समझने के लिए वाइब्स ऑफ इंडिया ने गुजरात क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रेमवीर सिंह को आमंत्रित किया। इस दौरान कामकाजी महिलाएं भी थीं, जिन्होंने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंताएं रखीं।
पेश हैं बातचीत के अंश-
“महिलाओं के पास अपने करियर से समझौता करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”
सीएलओ असिस्ट की संस्थापक डेंकी शाह पांच साल की बेटी की मां हैं। उन्होंने अपनी बच्ची के लिए एक आया रखा हुआ है। उन्होंने कहा, “गुजरात को सबसे सुरक्षित राज्य माना जाता है, लेकिन इस तरह के मामलों से माता-पिता में विश्वास की कमी बढ़ जाती है। माताओं के रूप में अगर हम काम करना जारी रखना चाहते हैं, तो हमें भरोसेमंद बेबीसिटर्स की जरूरत है। सरकारी हो या निजी क्षेत्र में, गुजरात में बच्चों की देखभाल की व्यवस्था नहीं है। इसके अभाव में हमारे पास आया रखने के अलावा कोई चारा नहीं होता। अगर केयरटेकर भरोसेमंद नहीं हैं, तो हम कहां जाएं? अगर इसका कोई समाधान नहीं है तो महिलाओं के पास अपने करियर से समझौता करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”
वृंदा सराफ ने कहा, “ऐसे मामले के बाद रातों की नींद हराम हो रही है। मेरी चिंता का स्तर बढ़ गया है। क्या मुझे अपना काम छोड़ देना चाहिए और अपने बेटे के साथ कम से कम तब तक रहना चाहिए, जब तक कि वह बोलना शुरू न कर दे? मैं दुविधा में हूं और पति के साथ इस पर चर्चा कर रही हूं। मैं अपने बच्चे के साथ कुछ साल रहने की सोच रही हूं, क्योंकि मैं उसकी सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहती।”
क्या हम पितृत्व अवकाश दे सकते हैं?
डेंकी शाह ने कहा, “बच्चे का जन्म अक्सर एक महिला के करियर को रोक देता है। अधिकतर बच्चा पूरी तरह से महिला की ही जिम्मेदारी होती है। लेकिन अगर कॉरपोरेट्स पितृत्व अवकाश (पैटरनिटी लीव) का लाभ देते हैं तो पिता भी घर पर रह सकते हैं और अपने बच्चों का पालन-पोषण कर सकते हैं। यदि जिम्मेदारियों को साझा किया जाए तो काम छोड़ने वाली महिलाएं कम हो जाएंगीं। सुरक्षा की बात हो या बच्चों की परवरिश की, जिम्मेदारी महिलाओं पर ही क्यों पड़ती है?”
माताएं और उनका अपराधबोध
विशेष शिक्षा विभाग, उद्गम स्कूल की वाइस प्रिंसिपल विधि बोस डेढ़ साल की बेटी की मां हैं। उन्होंने कहा, “एक मां के रूप में मेरे अंदर निरंतर यह अपराध बोध रहता है। अगर मैं ऑफिस में हूं तो मुझे अपने बच्चे की चिंता है और अगर मैं घर पर हूं तो मुझे लगता है कि काम करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे रही हूं। मंदिर, जिम, मॉल सब खुल गए हैं, लेकिन डेकेयर सेंटर अभी भी कोविड के कारण बंद हैं। दो साल हो गए हैं। माताओं के रूप में हम थक चुकी हैं।
गुजरात क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रेमवीर सिंह इस बात पर जोर देते हैं कि पालन-पोषण एक संवेदनशील मामला है। लेकिन हमें पागल नहीं, व्यावहारिक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें समाधान तलाशना होगा। हमारे पास बच्चा है, तो नौकरी भी है और इनमें से किसी को छोड़ने का विकल्प भी नहीं है। सबसे पहले, हमें अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पारंपरिक विकल्पों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। हमारे पड़ोसी और सामाजिक समितियां हमारे लिए सबसे अधिक उपयोगी हैं। जब हम काम पर होते हैं तो वे सतर्क होकर चौकसी कर सकते हैं। इस दिशा में सबसे पहले हमें उनसे संपर्क करना चाहिए।”
ये हैं कुछ महत्वपूर्ण एहतियाती उपाय, जिन पर प्रेमवीर सिंह ने जोर दिया:
1. प्रौद्योगिकी का प्रयोग करें
सीसीटीवी कैमरे आपको अपनी निजता के हनन की तरह लग सकते हैं, लेकिन बच्चे की सुरक्षा के लिए आप अपने घर की निगरानी के लिए हमेशा सीसीटीवी कैमरे और बायोमेट्रिक डिवाइस लगा सकते हैं।
2. बैकग्राउंड की जांच करें
आया को काम पर रखने से पहले हमेशा उसकी और उसके परिवार की पृष्ठभूमि की व्यापक जांच करने के लिए किसी एजेंसी की मदद लें। माता-पिता के रूप में यदि आप अपने बच्चे को किसी अजनबी को सौंप रहे हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप यह जानें कि वह किस तरह की है। अगर आया का परिवार और रिश्तेदार शहर में हैं तो आपको व्यक्तिगत रूप से कम से कम एक बार उनसे मिलने जाना चाहिए। यह न केवल विश्वास बढ़ाने का काम करता है, बल्कि आपको उस व्यक्ति के बारे में आश्वस्त भी करता है।
3. पुलिस वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट (पीवीसी)
हाउसकीपिंग स्टाफ और घरेलू सहायिका का पुलिस में पंजीकरण होना चाहिए। उनके पहचान-पत्र और वैध दस्तावेज हमारे रिकॉर्ड में होने चाहिए। पीवीसी दाखिल करने पर जोर देने के बावजूद अहमदाबाद में इस पर अमल लगभग शून्य है। इसे ठीक करने की जरूरत है। कई बार माता-पिता को अपनी आया का असली नाम भी नहीं पता होता है। वे सिर्फ चेहरा या उपनाम जानते हैं और यह गैरजिम्मेदाराना है।
बहुत से लोग अपने जीवन में पुलिस स्टेशन नहीं आने पर गर्व करते हैं, लेकिन अस्पतालों या स्कूलों की तरह ही हम नागरिकों की मदद करने के लिए एक सरकारी सुविधा हैं। अगर उन्हें मदद की जरूरत है, तो माता-पिता को हमसे संपर्क करना चाहिए।
4. सिटीजन पोर्टल पर रजिस्टर करें
गुजरात सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली एक और सुविधा सिटीजन पोर्टल है। यहां आप आया, ड्राइवर, कुक आदि को रजिस्टर कर सकते हैं। अविश्वास और भय के माहौल में रहने के बजाय सभी को अपने घर में काम करने वाले सभी के प्रासंगिक दस्तावेज सरकारी रिकॉर्ड पर रखना चाहिए। ऐसे में हमारे लिए आपकी मदद करना आसान हो जाएगा।
5. इमरजेंसी नंबर को सेव करके रखें
इमरजेंसी नंबर 100 को हमेशा अपने परिवार में सबको बता कर रखें। साथ ही अपने बच्चों को जरूरत पड़ने पर इसे डायल करना भी सिखाएं। हमारा कंट्रोल रूम हर दिन 24 घंटे काम करता है और हर कोई बेझिझक कॉल कर सकता है या हमारे पास आ सकता है। हमारे लोग आपको संबंधित अधिकारियों से संपर्क कराएंगे और इमरजेंसी में हम कुछ ही मिनटों में आप तक पहुंच जाएंगे।
6. महिला टीमें
महिलाओं से संबंधित अपराध हमेशा रडार पर रहेंगे, क्योंकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए महिला टीमों का गठन किया गया है। माता-पिता हमेशा हमारी महिला अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं, जो हमेशा लोगों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और बच्चों की देखभाल के लिए होती हैं।
7. सतर्क रहें
बच्चों के व्यवहार में थोड़े-से बदलाव पर भी गौर करें। क्या वे आया से बहुत अधिक जुड़ रहे हैं? क्या वे केयरटेकर के साथ रहने के लिए अनिच्छुक हैं? क्या वे किसी शारीरिक समस्या की शिकायत कर रहे हैं?
सिर्फ अपने बच्चे पर ही नहीं, बल्कि केयरटेकर के व्यवहार पर भी नजर रखना जरूरी है। क्या वे आपके बच्चे को सेल फोन दे रही/रहे हैं? क्या वे बच्चे को डांट रही/रहे हैं? सब कुछ नोट किया जाना चाहिए।
किसी घरेलू सहायिका को तभी काम पर रखें, जब आप उसके साथ नियमित रूप से बातचीत कर सकें और धीरे-धीरे उसमें विश्वास विकसित कर सकें। यदि आपको संदेह है तो बेहतर होगा कि आप उसे नौकरी पर नहीं रखें। केयरटेकर के साथ खुलकर चर्चा करें और कुशलता से बातचीत करें, क्योंकि इससे आधी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। समस्याओं से ज्यादा समाधान हैं, हमें बस उन्हें तलाशने की जरूरत है।