एक्सपोर्ट में आगे होने के बावजूद निर्यातकों (exporters) को लोन देने में गुजरात का प्रदर्शन खराब है। यह जानकारी नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के 2023-24 की रिपोर्ट में दी गई है। गांधीनगर में पिछले सप्ताह जारी किए गए इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल क्रेडिट प्रदान करने में गुजरात से आगे हैं।
क्रेडिट ऑफ-टेक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में दिल्ली, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का क्रमशः 5.31 प्रतिशत, 2 प्रतिशत और 1.08 प्रतिशत का निर्यात ऋण (export credit) प्रदान करते हैं, जो 0.6 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।
नाबार्ड ने कहा, दूसरी ओर गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख निर्यात राज्य, जो बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के मामले में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के बराबर हैं, अपेक्षाकृत कम निर्यात ऋण प्रदान करने के कारण पिछड़ गए हैं। नाबार्ड ने गुजरात को निर्यातकों के लिए ऋण प्रवाह (credit flow) को बढ़ावा देने के लिए GIFT सिटी में IFSC प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।
स्टेट फोकस पेपर में नीति आयोग की ‘निर्यात तैयारी सूचकांक रिपोर्ट’ (Export Preparedness Index Report)का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि गुजरात में जीएसडीपी के अनुपात में एक प्रतिशत का निर्यात ऋण है।
निर्यात ऋण बढ़ाने में GIFT सिटी की क्षमता का इस्तमाल करने के लिए किए जा सकने वाले उपायों को लिस्ट करते हुए नाबार्ड ने कहा कि सरकार को भारतीय निर्यातकों और आयातकों को विदेशी मुद्रा बांड जारी करने और सूचीबद्ध करने के माध्यम से अपने धन उगाहने वाले कार्यक्रम के लिए IFSC एक्सचेंजों का उपयोग करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए।
बता दें कि गुजरात से कुल व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात का 50 प्रतिशत के करीब पेट्रोलियम उत्पाद, जैविक रसायन, कृषि रसायन, दवा निर्माण, रंग और प्लास्टिक सामग्री जैसी पांच से छह वस्तुएं शामिल हैं। निर्यात की इन प्रमुख वस्तुओं का सामान्य पहलू कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर उनकी निर्भरता है, जो राज्य से निर्यात का मुख्य आधार है। कच्चे तेल पर निर्भर अन्य सहायक उद्योग उर्वरक (fertiliser) उद्योग, सिंथेटिक कपड़े, ऑटोमोबाइल और रसायन हैं। इसलिए इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की ऋण जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने से निर्यात की उच्च विकास दर प्राप्त करना सुनिश्चित होगा। इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में भी बढ़िया योगदान हो जाएगा।