गुजरात के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। राज्य में अपराजेय लगने वाली सत्तारूढ़ भाजपा को मुखर विपक्ष के सामने घुटने टेकने पड़ गए, जिससे राज्य सरकार को विवादास्पद हेड क्लर्क की परीक्षा रद्द करनी पड़ी। पेपर लीक साबित हो ही गया।
और यह जीत- भाजपा को चाहे पसंद हो या न हो- गुजरात में नई-नवेली आम आदमी पार्टी (आप) की है। फरवरी में सूरत नगर निगम चुनावों में पार्टी ने कांग्रेस को मुख्य विपक्षी के स्थान से उतार दिया था। इसके बाद आप के सामने गुजरात में यह नया अवसर पैदा हुआ।
इस विश्वास को तब और बल मिला, जब इसने हाल के गांधीनगर नगर निगम चुनावों में कांग्रेस के साथ वोट शेयर को समान रूप से विभाजित कर दिया। हालांकि इससे भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की। यह चुनाव महत्वपूर्ण था, क्योंकि भाजपा ने कभी भी जीएमसी चुनाव नहीं जीता था। इसलिए पहली बार यहां की सत्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस शासित निकाय को गिरा दिया था।
वैसे पेपर लीक विवाद में कांग्रेस पार्टी ने विरोध प्रदर्शन जरूर किए। यहां तक कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से भी मुलाकात की, लेकिन शायद ही इस पर ध्यान दिया गया।
इस मामले में आप सबसे आगे रही। सबसे पहले आप युवा विंग के एक नेता ने सरकारी परीक्षा के पेपर को लीक करने के एक बड़े रैकेट के खुलासा किया। फिर जोशीले नेताओं, जिनकी स्थानीय स्तर पर खास पहचान भी नहीं है, की संयुक्त ताकत ने सरकार को इस घोटाले की पुलिस से जांच कराने का आदेश देने के लिए मजबूर किया।
इसके साथ ही मंगलवार को 186 उम्मीदवारों की 12 दिसंबर को होने वाली परीक्षा रद्द कर दी गई। यह नौकरी चाहने वाले दो लाख लोगों ने आवेदन भेजे थे और 88,000 से अधिक उम्मीदवार इस परीक्षा में बैठे थे।
वैसे भाजपा सरकार ने अंततः स्वीकार कर लिया था कि पेपर वास्तव में लीक हो गया था और तुरंत पुलिस जांच शुरू करा दी। एक हफ्ते से भी कम समय में गांधीनगर स्थानीय अपराध शाखा और साबरकांठा पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार कर प्राथमिकी भी दर्ज कर ली।
गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने मंगलवार को गांधीनगर में परीक्षा रद्द होने की पुष्टि की। साथ ही कहा कि इसे पुनर्निर्धारित किया जाएगा। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि पेपर लीक के मामले को “मिसाल बनाते हुए फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाने की कोशिश की जाएगी।”
गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (जीएसएसएसबी) के अध्यक्ष असित वोरा के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर संघवी ने कहा, “पेपर लीक में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। यहां तक कि लीक हुए पेपर को खरीदने वालों को भी नहीं बख्शा जाएगा।”
उन्होंने बताया कि रैकेट में शामिल आरोपियों से 30 लाख रुपये तक बरामद किए गए हैं। मंत्री ने कहा कि परीक्षा एक नए प्रारूप में “फुलप्रूफ तरीके से आयोजित की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी कोई खामी नहीं है, जिनका दुरुपयोग किया जा सकता है।”
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सीएम ने लगभग 88,000 उम्मीदवारों के बड़े हित में परीक्षा रद्द करने का फैसला किया, जो इसके लिए उपस्थित हुए थे।
मंत्री ने कहा, “मार्च 2022 में अधिक पारदर्शी तरीके से और एक अलग पद्धति का उपयोग करके नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाएगी। पिछली परीक्षा के लिए फॉर्म भरने वाले सभी उम्मीदवारों को नई परीक्षा के लिए योग्य माना जाएगा।”
गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल ने भी इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इस मौके पर उन्होंने कहा, “आरोपों के अलावा असित वोरा की संलिप्तता पर अभी तक कोई सबूत नहीं है। यह स्वाभाविक है कि उन पर शक किए जाएं, लेकिन अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस रैकेट में शामिल पाया जाता है, तो हम उन्हें या किसी को भी नहीं बख्शेंगे, भले ही वह बीजेपी से ही क्यों न हो।
गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (जीएसएसएसबी) द्वारा 186 हेड क्लर्क की भर्ती के लिए 12 दिसंबर को राज्य भर के विभिन्न केंद्रों पर लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 88,000 उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी।
इस बीच गांधीनगर पुलिस ने सोमवार रात पेपर लीक रैकेट के मुख्य आरोपी जयेश पटेल (39) को गिरफ्तार कर लिया।
साबरकांठा के पुलिस अधीक्षक नीरज बडगुजर ने कहा कि बाद में उसे साबरकांठा पुलिस को सौंप दिया गया, क्योंकि अपराध के संबंध में वहीं प्रांतिज पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एक अधिकारी ने बताया कि जयेश पटेल और उसके साथियों से लीक हुआ पेपर हासिल करने के बाद परीक्षा में शामिल हुए दो उम्मीदवारों रितेश प्रजापति और रौनक साधु को भी साबरकांठा पुलिस ने सोमवार रात गिरफ्तार कर लिया।
इसके साथ ही इस मामले में अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह पहले प्रांतिज पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “जयेश पटेल साबरकांठा के ऊंचा गांव का मूल निवासी है। पेपर लीक मामले में उसका नाम सामने आने के बाद से वह भाग रहा था। हमने दो उम्मीदवारों- प्रजापति और साधु – को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने लीक हुए पेपर का इस्तेमाल किया था। जबकि प्रजापति ने 12 लाख रुपये का भुगतान करने की पेशकश की थी। साधु ने पेपर के लिए 5 लाख रुपये का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की थी। हालांकि पैसे का भुगतान किया जाना बाकी था। “
उन्होंने कहा कि दो अन्य व्यक्ति- देवल पटेल और सतीश पटेल- दोनों जयेश पटेल से जुड़े हैं, अभी भी फरार हैं और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस टीमों का गठन किया गया है।
जांच से पता चला है कि जयेश पटेल और अन्य आरोपियों ने कथित तौर पर परीक्षा से पहले एक प्रिंटिंग प्रेस के प्रबंधक से प्रश्न पत्र हासिल करने में कामयाब रहे। उन्होंने कथित तौर पर इसे 15 से अधिक उम्मीदवारों को बेच दिया और परीक्षा से एक दिन पहले विभिन्न स्थानों पर पेपर हल करने में भी उनकी मदद की।
पेपर फिर विभिन्न उम्मीदवारों तक पहुंचा, जिन्हें तीन समूहों में विभाजित किया गया और 11 दिसंबर को प्रांतिज के पास तीन अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया। वहां जयेश पटेल और अन्य ने प्रश्नपत्र हल किए।
प्राथमिकी में कहा गया है कि परीक्षा के दिन आरोपियों ने इन उम्मीदवारों को उनके संबंधित परीक्षा केंद्रों तक छोड़ने के लिए परिवहन की व्यवस्था भी की थी।
12 दिसंबर की परीक्षा के एक दिन बाद आप की युवा शाखा के नेता युवराज सिंह जडेजा ने आरोप लगाया कि परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र लीक हो गया था।
उन्होंने प्रमाण के तौर पर परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों के हस्तलिखित उत्तर वाले नोटबुक के पन्ने भी दिए।