पहली बार विधायक के बाद मुख्यमंत्री भी बन जाने वाले भूपेंद्र पटेल ने अपने कैबिनेट सहयोगियों का जब चयन किया या उनकी घोषणा की, तो बहुप्रतीक्षित और बेजोड़ ‘नो रिपीट थ्योरी’ पर अड़े रहे, जिसका मतलब था कि मुख्यमंत्री पूरी तरह से अनुभवहीन नई टीम के साथ 2022 के महत्वपूर्ण चुनावों के लिए गुजरात में नेतृत्व करने जा रहे हैं। ऐसे में सवाल हैं कि क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा व्यक्तिगत रूप से तैयार की गई सोची-समझी रणनीति है या जुआ, जो उलटा भी पड़ सकता है। भाजपा के लिए गुजरात एक आदर्श राज्य रहा है और यह भारत में पहली बार है कि कैबिनेट गठन में ‘नो रिपीट थ्योरी’ लागू की गई है। यानी पुरानी कैबिनेट के किसी भी मंत्री को नई सरकार में शामिल नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री सहित पूरी मंत्रिपरिषद अब 26 सदस्यीय टीम है। हालांकि, इन # स्पेशल 26 में से केवल तीन लोग: राघवजी पटेल, किरीटसिंह राणा और राजेंद्र त्रिवेदी के पास ही सरकार में काम करने का अनुभव है। करीब एक दर्जन तो ऐसे मंत्री हैं, जो मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की तरह ही पहली बार विधायक बने हैं।
इस मंत्रिमंडल में सबसे अधिक महत्व पटेलों को दिया गया है। इसका अर्थ है कि भाजपा ने स्वीकार लिया है कि पटेलों का पारंपरिक वोट बैंक उसके हाथ से फिसल रहा है। पटेल यानी गुजरात का धनी और प्रभावशाली समुदाय अगस्त 2014 से सरकारी नौकरियों में आरक्षण या ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। पाटीदार आंदोलन ने दो मुख्यमंत्रियों: आनंदीबेन पटेल, जो खुद एक पाटीदार हैं और जैन समुदाय के विजय रूपाणी को गद्दी से उतरते देखा है।
2014 में आनंदीबेन को बेवजह हटा दिए जाने के बाद भाजपा आलाकमान पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग को मानने के मूड में नहीं था, जो उनके धन और प्रभाव को देखते हुए बहुत सतही प्रतीत होता है, लेकिन जैसा कि युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा, “हमारे पास ऑडी हो या मर्सिडीज, लेकिन कल्पना कीजिए कि हमारे गांव का कोई व्यक्ति हमें रोक रहा है और जानबूझकर हमसे कागजात दिखाने के लिए कह रहा है। सरकारी सेवा में हमारा दबदबा लगातार गिर रहा है।”
हार्दिक पटेल को लगता है कि भूपेंद्र पटेल का नया मंत्रिमंडल दरअसल कांग्रेस के लिए मिलकर काम करने का अवसर है।
यह पहली बार है कि 2022 में गुजरात वास्तव में तितरफा लड़ाई का सामना कर रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) का मानना है कि विजय रूपाणी को छोड़ना और भूपेंद्र पटेल का अभिषेक करना उसकी ही जीत है, क्योंकि आप विजय रूपाणी को बतौर मुख्यमंत्री लगातार विफल बता रही थी। इतना ही नहीं, इस बीच बड़ी संख्या में शहरी और ग्रामीण युवा आप में शामिल हो रहे हैं, जिसका नेतृत्व गुजरात में गोपाल इटालिया, इसुदन गढ़वी और निखिल सवानी जैसे युवा कर रहे हैं।
पाटीदार दरअसल मंत्रिमंडल के गठन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के अलावा कम से कम आठ अन्य पटेल नेताओं ने महत्वपूर्ण मंत्री के रूप में शपथ ली है। इसका मतलब है कि सीएम सहित 25 लोगों में से नौ पटेल हैं, जो कि नए मंत्रिमंडल का 36 प्रतिशत है। गुजरात में कुल पटेल आबादी 12.8 है। इसका मतलब यह है कि बीजेपी पटेलों को खोने से डरती है और इसलिए “उन्हें जाने से रोकने” के लिए अपनी आबादी की तुलना में समुदाय को तीन गुणा अधिक प्रतिनिधित्व दिया है।
गुजरात में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने हालांकि दावा किया कि “भाजपा का जो भी गणित हो, गुजरात में यह आखिरी भाजपा सरकार है।”
हार्दिक पर विश्वास करना मुश्किल है, क्योंकि भाजपा ने एक सुचारु परिवर्तन के तहत अपने मुख्यमंत्री को बदल दिया है; जबकि राजीव सातव की असामयिक मृत्यु के बाद 16 महीने से खाली पड़े एक पद पर प्रभारी महासचिव को चुनने में कांग्रेस अनिर्णय से घिरी हुई है। इतना ही नहीं, स्वशासी निकाय चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता अमित चावड़ा और परेश धनानी दोनों ने इस्तीफा दे दिया है। यह भी सात महीने पुरानी बात है। कांग्रेस का दावा है कि “गुजरात हमारे लिए बहुत ही संवेदनशील राज्य है, क्योंकि 2022 में मोदी को उनके गृह राज्य में हराना 2024 के युद्ध की शुरुआत होगी,” फिर भी उन्होंने अभी तक पार्टी को पुनर्जीवित करने के कोई संकेत नहीं दिखाए हैं।
कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल का जहां यह कहना है कि यह गुजरात में आखिरी भाजपा सरकार है, वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया का दावा है कि राज्य की जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों से थक गई है। इसलिए इस बार लोग आप की ओर रुख कर रहे हैं।
हालांकि, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “युवा भारत का चेहरा है। मेरा मंत्रिमंडल गुजरात के इतिहास में अब तक का सबसे युवा है। हमारे पास पीएम मोदी, गृहमंत्री अमितभाई, प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल और निश्चित रूप से आनंदीबेन पटेल का मार्गदर्शन है। हमारे विजय जुलूस को कोई नहीं रोक सकता। हम न केवल जीतेंगे, बल्कि हम गुजरात से कांग्रेस और आप को पूरी तरह से मिटा देंगे। दिलचस्प बात यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की सभी 26 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। इसी तरह गुजरात में 33 जिला पंचायतों में से 31 में जब भाजपा ने जीत हासिल की तो गुजरात लगभग कांग्रेस मुक्त हो गया।
नए मंत्रिमंडल का विश्लेषण करने पर लगता है कि अधिकांश नए मंत्री अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बेहद लोकप्रिय हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल 2017 के चुनावों में 1.17 लाख से अधिक मतों से विजयी रहे थे। कांग्रेस का दावा है कि यह कोरोना की लहर से पहले की बात है। फिर भी यह ध्यान देने योग्य है कि फरवरी 2021 में सभी छह नगर निगमों और 31 जिला पंचायतों में भी बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि राज्य में पहली लहर के बाद कोविड-19 का प्रकोप बहुत ज्यादा था।
बहरहाल, औसत पाटीदार राज्य सरकार में इतना बड़ा प्रतिनिधित्व पाकर खुश हैं। सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात, जहां अधिकांश पाटीदार रहते हैं, उन्हें कभी भी इतना प्रभावशाली प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
लेकिन दो प्रमुख चिंताएं बनी हुई हैं।
सर्वप्रथम, नए मंत्रियों की अनुभवहीनता के मद्देनजर नौकरशाह एक बार फिर गुजरात पर अधिकार कर लेंगे और इस तरह से शासन करेंगे जो एक पार्टी के रूप में भाजपा के लिए फायदेमंद नहीं है। दूसरा, पार्टी शत-प्रतिशत कैसे सुनिश्चित हो सकती है कि विजय रूपाणी सरकार के जिन मंत्रियों को फिर मौका नहीं दिया गया है, वे वास्तव में 2022 में भाजपा का समर्थन करेंगे ही।
केवल एक चीज निश्चित है कि यह मंत्रिमंडल इतना अनुभवहीन है कि पीएम मोदी या गृहमंत्री अमित शाह गुजरात में जल्द चुनाव का सपना देख भी नहीं सकते।
गुजरात के सभी मंत्रियों को निर्देश दिया गया है कि वे मंत्रालय या अपने विभागों का विश्लेषण न करें। हालांकि, उत्तर गुजरात के एक वरिष्ठ मंत्री, जिन्हें ‘नो रिपीट थ्योरी’ के तहत हटा दिया गया था, ने बताया- “मैं वास्तव में भाजपा में चार दशक बिताने के बाद निराश महसूस कर रहा हूं। हालांकि, मुझे यह स्वीकार करना होगा कि पूरी तरह से अनुभवहीन टीम के साथ विधानसभा चुनाव का सामना करना एक कठिन मसला है। वैसे पीएम मोदी इतने स्पष्ट हैं कि उन्होंने पहले से ही कोई रणनीति तैयार कर ली होगी। वह ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी कोई रुचि नहीं है और दिन-रात वह राजनीतिक मंथन में ही जीते रहते हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि अगर गुजरात में बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल को हटा दिया जाता है, तो पार्टी के लिए चीजें आसान हो जाएंगी।”
हालांकि, मंत्री नहीं बनाए गए दक्षिण गुजरात के एक विधायक ने कहा कि नई कैबिनेट को देखने से लगता है कि सीआर पाटिल इसके किंग पिन होंगे। अब हर्ष संघवी को ही लीजिए। हर्ष उनके आदमी हैं और महज 39 वर्ष के ही हैं। वह नौवीं पास हैं, फिर भी उन्हें स्वतंत्र प्रभार के साथ गृह विभाग दे दिया गया है। सीआर के सभी करीबी पुरुषों और महिलाओं को समायोजित किया गया है और यह आने वाले दिनों में उनके प्रभाव में वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र पटेल दरअसल सुपर कठपुतली मुख्यमंत्री होंगे, जिन्हें बहुत सारे ऑपरेटर चलाएंगे।