आयकर जांच के गुजरात मॉडल से दिल्ली स्थित केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) पूरी तरह प्रभावित है। इसलिए उसने आयकर जांच विभाग के सभी महानिदेशकों के लिए इस सिलसिले में दिशानिर्देश जारी किए हैं। जांच निदेशालयों को एक मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा गया है। इसमें सर्च और जब्ती कार्रवाई की तैयारी के चरण से लेकर उसके निष्कर्ष तक की कुछ प्रक्रियाएं शामिल हैं।
जांच में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के श्रेष्ठ चलन को शामिल करने की पहल गुजरात आयकर विभाग द्वारा की गई थी।
हाल ही में गुजरात में आयकर विभाग ने राजकोट में रियल एस्टेट की एक प्रमुख हस्ती के कई परिसरों पर छापे के बाद 300 करोड़ रुपये से अधिक की कथित काली कमाई का पता लगाया था। आयकर भवन के एक अधिकारी ने कहा, “इस छापे के दौरान जांच करने वाले एक अधिकारी सुरेंद्रनगर में एक दुर्घटना के शिकार हो गए। तब वह अहमदाबाद से राजकोट जा रहे थे। वह घायल हो गए थे और उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत थी। उस समय हमें एक मानक संचालन प्रक्रिया स्थापित करने की जरूरत महसूस हुई। अक्सर जांच अधिकारियों को आधी रात को निकलना पड़ता है और विषम समय पर जांच स्थल पर पहुंचना पड़ता है। ऐसे में हम इस काम में जोखिम को कम करना चाहते थे। ”
आयकर कर्मचारी संघ की संयुक्त परिषद और आयकर राजपत्रित अधिकारी संघ के सदस्यों ने इस मामले को उठाया। उन्होंने घोषणा कर दी कि वे किसी भी जांच के लिए तब तक नहीं जाएंगे जब तक कि उनके लिए निर्धारित प्रक्रिया तय नहीं कर दी जाती है। अधिकारी ने बताया, “मामला गुजरात आयकर विभाग द्वारा उठाया गया था और इसे दिल्ली स्थित CBDT के सामने रखा गया। जांच प्रक्रिया नियमावली को अपडेट करने के बारे में तो भूल ही जाएं, हमारे पास ऐसी किसी चीज का वजूद ही नहीं था। पिछली सभी जांच बिना सावधानियों और अधिकारियों की सुरक्षा पर विचार किए बगैर की गई थी। ”
आयकर कर्मचारी संघ (आईटीईएफ), आयकर राजपत्रित अधिकारी संघ (आईटीजीओए) और भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद बनाए गए नए 20-सूत्रीय दिशानिर्देश अधिकारियों के लिए चिकित्सा सहायता पर जोर देते हैं। इसमें उल्लेख किया गया है कि नियंत्रण कक्ष को किसी भी आपात स्थिति में पर्याप्त चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में नियंत्रण कक्ष को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए और नियंत्रण कक्ष द्वारा शीघ्र आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। आयकर विभाग के अधिकारी ने कहा, “यह एसओपी जीवन रक्षक साबित होगा। इससे अगर एक की भी जान बच जाती है, तो हमारे प्रयास सफल माने जाएंगे।”
“अब आगे हमें छापेमारी की कार्रवाई के दौरान भी एक दुर्घटना नीति की आवश्यकता है। आदर्श स्थिति यह है कि यदि कोई अधिकारी दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो उसे नजदीकी ट्रॉमा सेंटर में तत्काल भर्ती कराया जाना चाहिए; लेकिन अगर वह अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र आयकर विभाग की अनुमोदन सूची में नहीं है, तो अधिकारी द्वारा दिए गए बिल को मंजूरी नहीं मिल पाती है। यह एक और गड़बड़ी है, जिसे दूर करने की जरूरत है।”
जांच अधिकारियों के लिए दुर्घटना नीति
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में निम्न बातें शामिल हैं:
(1) जिन मामलों में एक दिन पहले ही सर्च के बारे में सूचित करना है, अधिकारियों और सहयोगी स्टाफ को रिपोर्ट करने के लिए पर्याप्त समय देते हुए, मांग को संबंधित फील्ड फॉर्मेशन को भेजा जाना चाहिए। जहां उनके ठहरने की व्यवस्था की गई है, वहां एक रात पहले ही कम से कम 7:30 बजे तक बता देना चाहिए।
(2) रात में 11 बजे से तड़के 3.30 तक कार से लंबी दूरी की यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि ऐसा करना ही हो तो ऑपरेशन में भाग लेने वाले स्टाफ सदस्यों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
(3) यदि रिपोर्टिंग स्थान पर यात्रा का समय छह घंटे से अधिक है, तो संबंधित अधिकारियों और सहयोगी स्टाफ को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए, ताकि एक दिन पहले की शाम तक या अधिक से अधिक रात नौ बजे तक वहां पहुंच जाएं।
(4) लंबी यात्राओं से बचने के लिए जहां तक संभव हो, आस-पास के फील्ड कार्यालयों (जांच निदेशालयों के अलावा) से अधिकारियों और सहयोगी स्टाफ को मांगा जा सकता है।
(5) तलाशी और जब्ती/सर्वे कार्रवाई में भाग लेने वाले सभी अधिकारियों के लिए पर्याप्त वाहनों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके अलावा, वाहनों की उचित फिटनेस भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
(6) जहां तलाशी की कार्रवाई की जाती है, वहां फ्रेश होने के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
(7) सर्च किट में सभी निर्धारित प्रपत्र, स्टेशनरी, प्राथमिक चिकित्सा किट आदि अनिवार्य रूप से होने चाहिए, जिन्हें विशेष किट के रूप में अलग से पहचाना जाना चाहिए।
(8) अधिकृत अधिकारियों को उचित ब्रीफिंग दी जानी चाहिए, ताकि बाद में वे टीम के सदस्यों को पर्याप्त रूप से जानकारी दे सकें।
(9) तलाशी दल द्वारा परिसर में अचानक पहुंचने के बाद, यदि ऐसा लगता है कि अधिक लोगों की जरूरत है, तो परिसर की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त लोगों को तैनात किया जाना चाहिए।
(10) यदि किसी अधिकारी या सहयोगी स्टाफ को तीन दिन से अधिक की अवधि के लिए लगातार तलाशी ड्यूटी पर उपस्थित होना है, तो जहां तक संभव हो, तीन दिन के बाद उसे बदल देना चाहिए। बदलने के ऐसे मामलों में, कार्यमुक्त होने वाले अधिकारी/कर्मचारी को नियंत्रण कक्ष को सूचित करते हुए आने वाले अधिकारी/कर्मचारी को उस परिसर के सभी विवरणों के बारे में उचित रूप से जानकारी देनी चाहिए।
(11) तलाशी शुरू होने से लेकर पूरी होने तक खाने के पैकेट और पीने के पानी की व्यवस्था मौके पर ही की जानी चाहिए।
(12) नियंत्रण कक्ष को किसी भी आपातकालीन स्थिति में पर्याप्त चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए। किसी भी तरह की दुर्घटना की स्थिति में तुरंत नियंत्रण कक्ष को सूचित किया जाना चाहिए और नियंत्रण कक्ष द्वारा तुरंत आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।
(13) जहां तक संभव हो, महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को मुख्य रूप से आवासीय परिसरों/कार्यालयों में प्रतिनियुक्त किया जाना चाहिए।
(14) टीम की महिला सदस्यों के लिए यात्रा की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। शहर की सीमा/मुफस्सिल क्षेत्रों से परे यात्रा के मामले में, उनके लिए अलग से वाहन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। महिला सदस्यों की टीम में एक पुरुष सदस्य हो सकता है।
(15) कंट्रोल रूम की संचालन टीम और अधिकारियों, टीम के नेताओं और टीम के सदस्यों को महिला अधिकारियों की सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। महिला अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा बताई गई किसी भी समस्या के मामले में प्राथमिकता के आधार पर उसका निराकरण किया जाना चाहिए।
(16) तलाशी कार्रवाई में भाग लेने वाली महिला सदस्यों द्वारा की गई फील्ड कार्रवाई से उत्पन्न होने वाली किसी भी शिकायत के मामले में उचित जांच की जानी चाहिए।
(17) तलाशी पूरी होने के बाद संचालन दल और नियंत्रण कक्ष द्वारा पूरी सावधानी बरती जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी महिला सदस्य अपने घरों तक सुरक्षित पहुंच सकें। इसके लिए पहले से परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।
(18) सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि तलाशी समाप्त होने के बाद रात 11 बजे से सुबह पांच बजे के बीच अपने-अपने मंजिल की यात्रा से बचें। ऐसे मामलों में रात में ठहरने के लिए आवास और सुबह निकलने के लिए आवश्यक परिवहन सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए। जो लोग सर्च ऑपरेशन खत्म करने के बाद तड़के ही यात्रा करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे होंगे।
(19) जांच निदेशालयों के अनुभवी अधिकारियों को नियंत्रण कक्ष को संभालने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए और ऑपरेशन सामग्री को ‘सर्च और जब्ती’ मैनुअल में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सौंप दिया जाना चाहिए।
(20) इन निर्देशों की एक प्रति तलाशी और जब्ती/सर्वे कार्रवाई में भाग लेने वाली प्रत्येक टीम की किट बैग में अवश्य होनी चाहिए।