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गुजरात के शिक्षा मंत्री ने मोरारी बापू के ईसाई शिक्षकों और धर्मांतरण के आरोपों पर दिया बयान

| Updated: March 17, 2025 18:27

गुजरात के शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने कहा है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों द्वारा धर्मांतरण की शिकायतों को संकलित किया जाएगा और इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उनका यह बयान प्रसिद्ध राम कथाकार मोरारी बापू के हालिया विवादास्पद बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि गुजरात के 75% सरकारी स्कूलों के शिक्षक ईसाई हैं और वे धर्मांतरण में संलिप्त हैं।

गौरतलब है कि पंशेरिया उस कथा में मौजूद थे, जहाँ बापू ने ये बयान दिए। उनके इस बयान की आलोचना गुजरात के एकमात्र ईसाई विधायक और भाजपा के पहले ईसाई विधायक मोहन कोकनी ने भी की है।

मोरारी बापू का विवादास्पद बयान

तापी जिले के सोनगढ़ में 13-14 मार्च को आयोजित कथा के दौरान, एक वायरल वीडियो में मोरारी बापू को यह कहते सुना जा सकता है, “यह अच्छा है कि छात्रों को भगवद गीता पढ़ाई जाती है। लेकिन समस्या यह है कि 75% शिक्षक ईसाई हैं जो इसे होने नहीं देते। वे सरकार से वेतन लेते हैं और लोगों का धर्मांतरण कराते हैं। हमें इस बारे में सचेत रहने की आवश्यकता है।”

बापू का यह बयान गुजरात सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में भगवद गीता को अनिवार्य किए जाने की पहल के संदर्भ में आया। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें एक सरकारी शिक्षक से एक पत्र मिला है, जिसमें इस तरह की गतिविधियों की शिकायत की गई है, और उन्होंने यह पत्र मंत्री पंशेरिया को सौंप दिया, जो कथा के दौरान मौजूद थे।

मंत्री पंशेरिया का जवाब

मंत्री पंशेरिया ने पुष्टि की कि उन्हें एक हस्तलिखित, गुमनाम पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें एक शिक्षक ने जबरन धर्मांतरण की शिकायत की थी। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों द्वारा छात्रों का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है। मैंने भी स्थानीय शिक्षकों और निवासियों से ऐसी ही बातें सुनी हैं। इसके अलावा, ईसाई नेता अंधविश्वास फैला रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “पहले, पूरा आदिवासी क्षेत्र शबरी माता की पूजा करता था, लेकिन पिछले 40 वर्षों में, विशेष रूप से तापी जिले में, बड़ी संख्या में आदिवासी ईसाई बन गए हैं। इसी कारण स्कूलों में भी ईसाई शिक्षक हैं, जो छात्रों को भगवद गीता पढ़ाने से रोक रहे हैं, जबकि इसे इस शैक्षणिक सत्र से अनिवार्य कर दिया गया है।”

हालांकि, पंशेरिया ने स्पष्ट किया, “हम किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि दुर्भावनापूर्ण इरादे से धर्मांतरण किया जा रहा है, तो इसकी जांच होगी और इसे रोका जाएगा। हम शिकायतें एकत्र करेंगे, उन्हें सत्यापित करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।”

भाजपा के ईसाई विधायक ने आरोपों को नकारा

व्यासा के भाजपा विधायक मोहन कोकनी ने बापू के दावों को खारिज करते हुए कहा, “इन आरोपों का कोई आधार नहीं है। हमें जिले में ईसाई शिक्षकों द्वारा धर्मांतरण की कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि बापू के पास कोई सबूत है, तो उन्हें प्रस्तुत करना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “1970 से पहले, हमारा आदिवासी क्षेत्र स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं से वंचित था। मिशनरियों ने यहां स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं प्रदान कीं, जिसे लोगों ने स्वीकार किया। उन्होंने किसी को धर्मांतरण के लिए मजबूर नहीं किया।”

विपक्ष और ईसाई समुदाय की प्रतिक्रिया

कांग्रेस विधायक डॉ. तुषार चौधरी ने भी मोरारी बापू के बयान की आलोचना करते हुए कहा, “शिक्षकों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है और वे निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं। हमें आज तक किसी ईसाई शिक्षक के धर्मांतरण में शामिल होने की कोई शिकायत नहीं मिली है। ये बयान हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच तनाव पैदा करने के लिए दिए गए हैं।”

तापी जिले के पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी ने कहा, “तापी जिले में कहीं भी हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच कोई टकराव नहीं है। 2009 में, मैंने एक गांव में एक चर्च की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के समारोह में भाग लिया था, जो दर्शाता है कि ईसाई इस क्षेत्र में सदियों से मौजूद हैं।”

समस्त क्रिस्टी समाज, भारत (गुजरात और महाराष्ट्र में कार्यरत एक संगठन) के तापी अध्यक्ष हरेश गामित ने भी इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, “यदि जबरन धर्मांतरण हो रहे होते, तो कम से कम एक एफआईआर दर्ज होती या सरकार के पास कोई सबूत होता। हम यहां बहुसंख्यक हैं, और यही कारण है कि इस तरह के विवाद खड़े किए जा रहे हैं।”

उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, “हम खुलेआम बहस के लिए तैयार हैं। वे वर्षों से ये आरोप लगाते आ रहे हैं, लेकिन कोई प्रमाण नहीं है। हम यह कहते हैं कि आदिवासी मूल रूप से हिंदू नहीं हैं, तो फिर धर्मांतरण का सवाल ही कहां उठता है?”

जांच की मांग

इस बीच, राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भीखाभाई पटेल ने भी इस मामले की जांच की मांग की। उन्होंने कहा, “डांटा से उमरगाम तक पूरे आदिवासी क्षेत्र के स्कूलों की जांच की जानी चाहिए। यदि शिक्षकों को जबरन धर्मांतरण में लिप्त पाया जाता है, तो सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।”

कौन हैं मोरारी बापू

मोरारी बापू भारत के प्रसिद्ध राम कथाकार हैं, जो दशकों से रामचरितमानस और भारतीय संस्कृति पर प्रवचन देते आ रहे हैं। उनका जन्म 25 सितंबर 1946 को गुजरात के भावनगर जिले के तलगाजरडा गांव में हुआ था।

बचपन से ही मोरारी बापू को रामायण और संत साहित्य में रुचि थी। उन्होंने अपने दादा त्रिभुवनदास जी से रामचरितमानस का अध्ययन किया और किशोरावस्था में ही कथाएं कहनी शुरू कर दीं। आज, वे न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में रामकथा का प्रचार करते हैं।

उनकी कथाओं में अध्यात्म, भक्ति और सामाजिक समरसता का संदेश होता है। वे गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित हैं और अहिंसा, प्रेम और सद्भावना पर जोर देते हैं। हालांकि, समय-समय पर उनके बयानों को लेकर विवाद भी खड़े हुए हैं, जैसे कि हाल ही में सरकारी स्कूलों के ईसाई शिक्षकों और धर्मांतरण को लेकर दिया गया बयान।

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