दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना (Delhi LG VK Saxena ) को अगर कोर्ट से राहत नहीं मिली तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। सक्सेना ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर कथित हमले के मामले में अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटन कोर्ट से केस की कार्यवाही को स्थगित रखने की अपील की है।
उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने अदालत से कहा है कि संवैधानिक पद हैं, जब तक वे दिल्ली के उप राज्यपाल हैं। तब तक इस मामले के ट्रायल को स्थगित रखा जाए। सक्सेना ने हवाला दिया है कि वे राष्ट्रपति द्वारा इस पर नियुक्त किए गए हैं। सक्सेना पिछले साल मई में दिल्ली के उपराज्यपाल बने थे।
21 साल पुराने इस मामले की सुनवाई अहमदाबाद में अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत में चल रही है। सक्सेना की अपील के बाद इस मामले की कोर्ट में अगली सुनवाई नौ मार्च को होगी। इस मामले में वी के सक्सेना के साथ बीजेपी के विधायक अमित शाह सहित तीन अन्य पर 21 साल पुराने मामले में दंगा, हमला, गलत तरीके से रोकना, आपराधिक धमकी और जानबूझकर अपमान के सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था। अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गोस्वामी के समक्ष दाखिल अर्जी में सक्सेना ने संविधान के अनुच्छेद 361 (1) के तहत उपराज्यपाल को दी गई छूट का हवाला देते हुए अदालत से उनके खिलाफ मुकदमे को स्थगित रखने की प्रार्थना की। एलजी के वकील अजय चोकसी ने कहा कि अर्जी एक मार्च को दायर की गई थी।
क्या था पूरा मामला
21 साल पहले 7 मार्च, 2002 अहमदाबाद स्थित गांधी आश्रम में आयोजित एक शांति बैठक के दौरान कुछ लोगों के समूह ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का विरोध किया था। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने वी के सक्सेना और दूसरे लोगों पर हमला करने का आरोप लगाया था। इसके बाद सक्सेना समेत चार लोगों के खिलाफब साबरमती पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज थी। अब इसी मामले में मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में केस की सुनवाई होनी है।
कौन-कौन हैं आरोपी
इस मामले में जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उसमें वीके सक्सेना अब दिल्ली के उपराज्यपाल हैं। तो वहीं अमित शाह अहमदाबाद के मेयर रहने के बाद अब एलिसब्रिज से विधायक हैं। इसके अलावा इस मामले में आमित ठाकर भी आरोपी हैं। वे पहली बार वेजलपुर से बीजेपी के विधायक बने हैं। चौथे आरोपी के तौर पर एडवोकेट राहुल पटेल का नाम है।
सक्सेना की क्या है दलील
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के वकील अजय चोकसी ने दलील दी है कि जब तक वे भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 के तरह उपराज्यपाल के पद हैं, तब तक उनके खिलाफ आपराधिक मामले की कार्यवाही नहीं हो सकती है। सक्सेना ने इसी का हवाला देते हुए कोर्ट से इस मामले को स्थगित रखने की गुजरिश की है।