अहमदाबादः गुजरात हाई कोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (NID) को उस छात्रा को प्रवेश देने का आदेश दिया, जिसने मास्टर कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा में (entrance exam for the master’s course) टॉप किया था। अदालत ने शुक्रवार को “निर्देशों और पुस्तिका में स्पष्टता की कमी” (lack of clarity in the instructions and the handbook) के कारण छात्र की उम्मीदवारी को रद्द करने का बचाव करने के लिए अपना रुख बदलने पर संस्थान की आलोचना की।
यह मामला अनन्या जोशी की है, जिन्होंने यूपी में श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी के डिजाइन विलेज से स्नातक किया (graduated from Design Village of Sri Venkateshwara University in UP) है। उन्होंने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए मास्टर ऑफ डिजाइन (सिरेमिक और ग्लास डिजाइन) के लिए एनआईडी की प्रवेश परीक्षा दी थी, जिसमें ओपन कैटेगरी में पहले नंबर पर रहीं।
उन्हें एक अस्थायी सीट (provisional seat) दी गई थी। चूंकि उनके अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा में देरी हो रही थी, और रिजल्ट सितंबर में आने की उम्मीद थी, इसलिए उन्हें यूनिवर्सिटी से एक प्रामाणिक प्रमाण पत्र (bona fide certificate from the university) जमा करने के लिए कहा गया था। उन्होंने अपने कॉलेज के डीन द्वारा जारी प्रमाण पत्र और पिछले सेमेस्टर की मार्कशीट जमा करा दी।
उनके कागजातों की जांच के बाद (After her documents were verified), उन्हें 21 जुलाई को बताया गया कि आवश्यक दस्तावेजों के अभाव में उन्हें एडमिशन नहीं दी जा रही है। एनआईडी ने उन्हें बताया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यूनिवर्सिटी से कॉलेज संबद्ध (there was no proof that the college was affiliated to the university) है। इसलिए, उन्हें यूनिवर्सिटी की मुहर के साथ मार्कशीट या एक सर्टिफिकेट जमा करना (she should provide the marksheet with the seal and stamp of the university or a bona fide certificate from the university) होगा।
इस पर छात्रा ने हाई कोर्ट पहुंच गई। वहां एनआईडी ने कहा कि सभी छात्रों को बता दिया गया था कि यदि वे दस्तावेजों के सत्यापन से पहले अंतिम योग्यता परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं हुए थे, तो वे प्रवेश के लिए पात्र नहीं (if they had not appeared for the final qualifying exam before the verification of documents, they would not be eligible for admission) होंगे। एनआईडी ने अपनी प्रवेश पुस्तिका (admission handbook) का हवाला दिया। कहा कि याचिकाकर्ता भारत में मान्यता प्राप्त किसी भी यूनिवर्सिटी या संस्थान से डिजाइन कोर्स के स्नातक के लिए पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती (petitioner did not meet the eligibility criteria for bachelor of design course from any university or institute recognised by law in India) हैं। जब मामला अदालत में लंबित था, तब छात्रा ने मार्कशीट और डिग्री प्रमाण पत्र प्राप्त किया और उन्हें संस्थान में जमा करा दिया। हालांकि, उसके प्रवेश का विरोध जारी रहा।
मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संगीता विशन ने अपने आदेश में कहा कि छात्रा ने एनआईडी में यूनिवर्सिटी से जारी मार्कशीट या डिग्री प्रमाण पत्र जमा करा दिया था। लेकिन शायद स्पष्टता की कमी के कारण संस्थान “अपना रुख बदल रहा (“has been changing its stand, possibly owing to lack of clarity ) है।”
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