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विवादों के बीच एमएसयू के कुलपति का इस्तीफा, अंतरिम कुलपति की नियुक्ति

| Updated: January 9, 2025 13:07

गुजरात उच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले विवादों में घिरे एमएस यूनिवर्सिटी (एमएसयू) के कुलपति वी. के. श्रीवास्तव ने इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ घंटों बाद, गुजरात सरकार ने टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग विभाग के डीन प्रोफेसर धनेश पटेल को अंतरिम कुलपति नियुक्त किया।

गुजरात शिक्षा विभाग द्वारा बुधवार देर शाम जारी अधिसूचना के अनुसार, पटेल को “गुजरात सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 2023” के तहत स्थायी कुलपति की नियुक्ति तक कार्यवाहक कुलपति बनाया गया है। यह नियुक्ति 8 फरवरी तक होने की संभावना है।

विवादों के बीच इस्तीफा

गुजरात के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को सूचित किया कि श्रीवास्तव ने मंगलवार शाम को अतिरिक्त मुख्य सचिव को अपना इस्तीफा सौंपा था। बुधवार को सुनवाई के दौरान, त्रिवेदी ने अदालत को आश्वस्त किया कि इस्तीफा प्राप्त हो गया है और गुरुवार तक, चार्ज सौंपने की प्रक्रिया के बाद, इसे औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया जाएगा।

श्रीवास्तव का इस्तीफा वरिष्ठ प्रोफेसर सतीश पाठक द्वारा उनके फरवरी 2022 के नियुक्ति आदेश को चुनौती देने के बाद आया है। पाठक ने आरोप लगाया कि श्रीवास्तव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्धारित पात्रता मानदंडों का पालन नहीं करते, जिसमें 10 वर्षों के प्रोफेसर पद का अनुभव अनिवार्य है। श्रीवास्तव के पास केवल तीन साल और तीन महीने का अनुभव है।

कानूनी चुनौती और आरोप

पाठक की जनहित याचिका (पीआईएल) में आरोप लगाया गया है कि श्रीवास्तव की नियुक्ति यूजीसी के नियमों का उल्लंघन है। पाठक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मुख्य आपत्ति यह है कि श्रीवास्तव 10 वर्षों के अनुभव की अनिवार्यता को पूरा नहीं करते।” याचिका में यह भी कहा गया है कि खोज समिति ने उनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं किया और केवल उनके बायोडाटा पर भरोसा किया।

याचिका में श्रीवास्तव के शैक्षणिक और प्रशासनिक दावों में विसंगतियों की ओर भी इशारा किया गया है, जिसमें उनके पिछले संस्थानों में उनकी भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें 2022 में सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए समान मामले का संदर्भ दिया गया।

विवादों से घिरा कार्यकाल

श्रीवास्तव का तीन वर्षीय कार्यकाल विवादों और विरोधों से भरा रहा। पाठक, जो दो बार सीनेट सदस्य रह चुके हैं, ने विश्वविद्यालय को सक्षम और नैतिक प्रशासक की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह इस्तीफा एमएसयू के लिए एक सकारात्मक कदम है। अंतरिम अवधि में चार्ज ऐसे वरिष्ठ प्रोफेसर को दिया जाना चाहिए, जो विश्वविद्यालय के प्रति जुनून रखते हों।”

गुजरात सरकार ने अदालत को सूचित किया कि कुलपति पद के लिए खोज समिति को 80 आवेदन प्राप्त हुए हैं। नई नियुक्ति श्रीवास्तव के कार्यकाल की समाप्ति के साथ 8 फरवरी तक होने की उम्मीद है।

आगे क्या?

पाठक ने भविष्य में यूजीसी मानकों के पालन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय को एक ऐसे नेता की आवश्यकता है, जो न केवल पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो, बल्कि उसमें विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने की दृष्टि और ईमानदारी भी हो।”

अदालत का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि अगली नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और नियमों के अनुरूप हो। इस बीच, एमएसयू प्रशासन और श्रीवास्तव की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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