अहमदाबाद। गुजरात में नए बने ‘लव जिहाद’ कानूनों के तहत पहली शिकायत दर्ज किए जाने के लगभग चार महीने बाद चार आरोपियों को गुजरात हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। इनमें पीड़िता का पति, शादी कराने वाले मौलवी और दो गवाह शामिल हैं। यह मामला वडोदरा के गोत्री पुलिस थाने में दर्ज कराया गया था।
सुनवाई के दौरान मंगलवार को जस्टिस आईजे वोरा ने कहा था कि वह आरोपी पति समीर कुरैशी, मौलवी इस्लामुद्दीन शेख और शादी के दो गवाहों- नौशाद शेख और इरशाद शेख- को जमानत देने पर विचार कर रहे हैं। न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि मौलवी और दो गवाह इस मामले में बेकसूर लगे हैं, हालांकि वे लंबे समय तक सलाखों के पीछे रहे। इसके बाद बुधवार को जज ने इन चारों को जमानत दे दी। आरोपियों के वकील ने कहा कि अदालत के आदेश की प्रति उपलब्ध होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।
उनके खिलाफ एफआईआर गुजरात विधानसभा द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन और अंतर्धार्मिक विवाह द्वारा धर्म परिवर्तन को दंडनीय अपराध बनाने वाली धाराओं को शामिल करने के दो दिन बाद 17 जून को दर्ज कराई गई थी। पीड़िता ने पहले जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए और फिर बलात्कार, यौन शोषण और जातिगत अत्याचार के आरोप लगाए।
इस मामले में आठ आरोपी हैं, जिनमें से सात को गिरफ्तार कर लिया गया है। अदालत ने पति के माता-पिता और बहन को जमानत दे दी थी।
सभी सातों आरोपियों और पीड़िता ने खुद अगस्त में आरोपों को रद्द करने और जमानत का अनुरोध करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी “अति उत्साही” थे और उन्होंने ही उसकी शिकायत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के तहत दंडनीय अपराध को शामिल कर दिया। दूसरी ओर, पुलिस ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पीड़िता ने खुद लिखित शिकायत के माध्यम से ये आरोप लगाए थे।
इस मामले में एक और आरोपी मेहर मालेक है, जिन पर उकसाने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने भी अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
उनके वकील हितेश गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक पुलिस को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और चार्जशीट दाखिल करने से रोक दिया है।