2030 तक गुजरात के कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक रोडमैप का अनावरण करते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि 35 एपीएमसी, जो कुल एपीएमसी का 15 प्रतिशत है, को बाजार के मौजूदा हालात में आत्मनिर्भर बनने के लिए “मदद की आवश्यकता है”।
आणंद कृषि विश्वविद्यालय (एएयू) में मंगलवार को प्री-वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य देवव्रत “गुजरात के आत्मानिर्भर किसान: रोडमैप 2030” का अनावरण किया। इसमें बताया है कि गुजरात में 35 एपीएमसी “संघर्ष” कर रहे हैं, जबकि राज्य सरकार ने निजी व्यापार को समायोजित करने और राज्य में निजी एपीएमसी की स्थापना की अनुमति देने के लिए सितंबर 2020 में गुजरात कृषि उत्पाद बाजार अधिनियम, 1963 में संशोधन किया। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के अधिनियम पर आधारित गुजरात में ये संशोधन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र के निर्णय के बावजूद लागू हैं।
इस प्रकाशन के सह संपादक कृषि, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग के सचिव मनीष भारद्वाज हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात में 35 एपीएमसी हैं जो “मंडी परिसर में कोई लेनदेन नहीं करते हैं।” इस रोडमैप दस्तावेज के मुताबिक, “इन 35 एपीएमसी में से 23 एपीएमसी के पास बिक्री की सुविधा के लिए एक भौतिक बाजार यार्ड है, लेकिन मंडी में कोई आवक नहीं है,” दस्तावेज़ में कहा गया है। शेष 12 एपीएमसी के पास भौतिक रूप से बाजार के लिए यार्ड नहीं है। “इन 35 एपीएमसी को आत्मनिर्भर बनने के लिए मौजूदा बाजार परिदृश्य में मदद की आवश्यकता है।”
गुजरात में 224 एपीएमसी हैं, जहां किसान अपनी उपज ला और बेच सकते हैं। एपीएमसी ने लगभग 37,000 करोड़ रुपये का लेनदेन दर्ज किया है, जहां कृषि उपज खुली नीलामी के माध्यम से बेची जाती है।
यह गुजरात में कृषि उत्पादन के कुल मूल्य का मात्र 26 प्रतिशत है, जो 1.4-1.5 लाख करोड़ रुपये के बीच है। जहां 78 फीसदी प्याज और 79 फीसदी मसाले एपीएमसी में आते हैं, वहीं कपास और मूंगफली जैसी फसलों की एपीएमसी में आवक क्रमश: 16 फीसदी और 14 फीसदी है।
रोडमैप ने गुजरात में एपीएमसी को “आत्मनिर्भर और लाभदायक” बनाने के लिए कदमों को भी सूचीबद्ध भी किया है। इसमें कहा गया है कि एपीएमसी के भौतिक और डिजिटल दोनों बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाएगा, ताकि उन्हें अधिक किसानों (उनकी उपज बेचने) और अधिक खरीदारों और व्यापारियों (जो उपज खरीद सकते हैं) को आकर्षित करने में मदद मिल सके।
राज्य सरकार ने अगले 10 वर्षों में मौजूदा 12 लाख मीट्रिक टन में 5,00,000 मीट्रिक टन वेयरहाउसिंग स्पेस जोड़ने का लक्ष्य रखा है। यह सालाना 50000 मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता जोड़कर किया जाएगा।
रोडमैप दस्तावेज में कहा गया है, “वेयरहाउसिंग क्षमता की आवश्यकता और उपलब्धता के अंतर को दूर करने के लिए एपीएमसी सबसे अच्छे संस्थान हैं। गुजरात सरकार ने चिन्हित एपीएमसी में गोदामों के विकास में सहायता के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वर्तमान में 39 एपीएमसी ने अपने प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं, जो क्षमता में लगभग 2.27 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि करेंगे। ”
अनुकूलित ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाने के अलावा राज्य सरकार वास्तविक कृषि बाजार सूचना प्रणाली बनाने की भी बात करती है, जो राज्य भर में उत्पादन, उपलब्धता और मूल्य की जानकारी का समय पर संग्रह और प्रसार सुनिश्चित करती है। इससे गुजरात में किसानों को मौजूदा कीमत जानने में मदद मिलेगी और उन्हें यह तय करने में भी मदद मिलेगी कि उन्हें अपनी उपज बेचनी है या उधार लेना है या नहीं।