गुजरात सरकार के शहरी विकास विभाग के खिलाफ सबसे अधिक भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें दर्ज की गई हैं, इसके बाद राजस्व और पंचायत विभागों का स्थान है। यह जानकारी राज्य सतर्कता आयोग की 2023 की रिपोर्ट में दी गई, जिसे गुरुवार को विधानसभा में पेश किया गया। आयोग को विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कुल 11,196 शिकायतें प्राप्त हुईं।
दोषियों पर कार्रवाई
24 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, जिसमें 20 राजपत्रित अधिकारी और दो गैर-राजपत्रित अधिकारी शामिल हैं। इनमें से एक वर्ग-1 अधिकारी को बर्खास्त कर दिया गया, जबकि पांच वर्ग-2 अधिकारियों के वेतन में कटौती की गई। इसके अलावा, 73 अधिकारियों की पेंशन रोकी गई और 119 वर्ग-3 कर्मचारियों के वेतन पर असर पड़ा।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 194 मामलों में कार्रवाई की, जिसमें सात वर्ग-1 और 29 वर्ग-2 अधिकारी, 132 वर्ग-3 और सात वर्ग-4 कर्मचारी शामिल थे। इन मामलों में 108 निजी व्यक्तियों को भी दोषी पाया गया।
इसके अतिरिक्त, 60 मामले और 72 आरोप-पत्र गृह विभाग से जुड़े थे, 32 मामले और 33 आरोप-पत्र पंचायत विभाग से, 20 मामले और 30 आरोप-पत्र राजस्व विभाग से, तथा 20 मामले और 22 आरोप-पत्र शहरी विकास विभाग से जुड़े थे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि किसी भी आईएएस और आईपीएस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विभागवार शिकायतें
शहरी विकास विभाग के खिलाफ सबसे अधिक 2,170 शिकायतें दर्ज की गईं, जो कुल शिकायतों का 19% हैं। इसके बाद राजस्व विभाग में 1,849 शिकायतें, पंचायत एवं ग्रामीण आवास एवं विकास विभाग में 1,418 मामले, गृह विभाग में 1,241 और शिक्षा विभाग में 496 शिकायतें दर्ज की गईं।
शहरवार शिकायतों में, सूरत सबसे आगे रहा, जहां 1,586 शिकायतें दर्ज हुईं, इसके बाद अहमदाबाद (1,268), राजकोट (700), गांधीनगर (688) और वडोदरा (656) का स्थान रहा।
सरकारी बोर्ड भी निगरानी में
आयोग को विभिन्न सरकारी बोर्डों और निगमों से जुड़ी 3,022 शिकायतें भी प्राप्त हुईं। इनमें गुजरात जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के खिलाफ सबसे अधिक 54 मामले दर्ज हुए, इसके बाद गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (46), सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (42) और एसटी कॉर्पोरेशन (30) का स्थान रहा। पश्चिम गुजरात विज कंपनी लिमिटेड और दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड में भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए।
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए आयोग ने नागरिकों की शिकायत दर्ज करने के लिए एक ई-पोर्टल स्थापित किया है। इसके अलावा, विभिन्न विभागों में सतर्कता उपायों को बेहतर बनाने और अधिकारियों को मार्गदर्शन देने के लिए नियमित कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।
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