गुजरात के चार भौगोलिक क्षेत्रों में से दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र कच्छ के 19 जिलों की 89 सीटों पर चुनाव 1 दिसंबर को हो गया। अब 5 दिसंबर को उत्तरी गुजरात और मध्य गुजरात के 14 जिलों की 93 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे। सभी सीटों के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।
उत्तर गुजरात ने 2007 में बीजेपी को 32 में से 25 सीटें दी थीं। हालांकि, 2017 में कांग्रेस के 17 पर पहुंचने के साथ ही यह संख्या घटकर 14 रह गई। तब निर्दलीय जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस के समर्थन से वडगाम सीट जीती थी।
उत्तर गुजरात में 16 सीटें ऐसी हैं, जहां मार्जिन अन्य जगहों से कम रहा। बीजेपी ने कांकरेज, चश्मा, कड़ी, मेहसाणा, विसनगर, हिम्मतनगर और विजापुर में 9000 से कम वोटों से जीत हासिल की थी। कलोल, बयाड, वाव, गांधीनगर उत्तर, प्रांतिज, धनेरा, मोडासा, दियोदर और मनसा सीटों पर कांग्रेस की जीत का अंतर 7000 से कम था।
इस बार धानेरा, दीसा, बयाड और खेरालू सीटों पर भाजपा के बागी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान दिलचस्प होगा। इसलिए कि धानेरा में बीजेपी के बागी मावजी देसाई, दीसा में लेबजी ठाकोर और खेरालू में रामसिंह ठाकोर मैदान में डटकर खड़े हैं।
बीजेपी में शामिल हो गए पूर्व कांग्रेसी धवलसिंह जाला भी एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बेअद से चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि पार्टी ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया। बीजेपी और कांग्रेस ने धानेरा में एक ही समुदाय और दीसा में पूर्व विधायकों के बेटों को उम्मीदवार बनाया है।
बीजेपी के दिग्गज और गुजरात में सबसे शिक्षित पार्टी नेताओं में से एक जयनारायण व्यास कांग्रेस में चले गए हैं। उन्होंने उस सिद्धपुर में कांग्रेस उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है, जिसकी उन्होंने भाजपा विधायक के रूप में देखरेख की थी।
अल्पेश ठाकोर इस बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र के तहत गांधीनगर दक्षिण से आसान चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद अल्पेश ठाकोर राधनपुर उपचुनाव में हार गए थे। वह पहले कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। कांग्रेस के सीनियर नेता सीजे चावड़ा ने अपना निर्वाचन क्षेत्र गांधीनगर उत्तर से बदलकर विजापुर कर लिया है।
Also Read: गुजरात में भगवान ने नेक इरादे वाले नेता ही नहीं दिए : भगवंत मान