- विपक्ष ने कहा श्वेतपत्र जारी करें सरकार , तब तक जारी रहेगा आंदोलन
- मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आदिवासियों को गुमराह करने का लगाया आरोप
- कांग्रेस विधायक आनंद चौधरी का पलटवार आदिवासी मुर्ख नहीं
गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले आदिवासी मतों पर निगाह जमाये बैठी भाजपा ने एक बार फिर पार नर्मदा तापी रिवर लिंक प्रोजेक्ट को रद्द करने का एलान किया है। इस बार घोषणा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रदेश प्रमुख सी आर पाटिल और दक्षिण गुजरात के आदिवासी नेताओं की उपस्थिति में सूरत सर्किट हॉउस में आयोजित पत्रकार परिषद के दौरान की।
पार नर्मदा ताप्ती रिवर लिंक प्रोजेक्ट को लेकर यह तीसरी बार एलान किया गया है। इसके पहले भाजपा प्रदेश प्रमुख सीआर पाटिल और पूर्व आदिमजाति कल्याण मंत्री गणपत वसावा भी एलान कर रहे है। इस परियोजना से तीन जिला तथा 90 हजार परिवार प्रभावित हो रहे हैं , जिसके कारण पिछले तीन महीने से आदिवासी समाज आंदोलनरत है।
इस मुहीम का नेतृत्व कर रहे वासदा के कांग्रेस विधायक अनंत पटेल ने कहा की मुख्यमंत्री की घोषणा चुनावी घोषणा है , हम पहले तीन से कह रहे हैं की यदि योजना रद्द हो गयी है तो नोटिफिकेशन जारी होना चाहिए , सरकार नोटफिकेशन जारी क्यों नहीं कर रही है , योजना भारत सरकार की है , वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा की है ,राज्य सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दी है , फिर जुबानी जमाख़र्च क्यों किया जा रहा है , कभी कहते है प्रोजेक्ट स्थगित कर दिया , कभी कहते रद्द कर दिया , फिर नोटिफिकेशन जारी क्यों नहीं करते , हम इस मामले पर श्वेत पत्र की मांग करते हैं , हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
आदिवासियों को गुमराह कर कराया गया आन्दोलन – भूपेंद्र पटेल
इसके पहले सूरत सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कहा कि केंद्र सरकार के इस साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई योजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें दमन-गंगा-पार -तापी नर्मदा नदी लिंक योजना की भी घोषणा की गई थी.
आदिवासी समाज के हित को ध्यान में रखते हुए योजना की घोषणा की गई थी। कुछ लोगों ने उपरोक्त योजना के संबंध में आदिवासी समाज को गुमराह किया कि यह योजना आदिवासियों के हित में नहीं है जिसके कारण इस योजना का विरोध किया गया केंद्र सरकार और राज्य सरकार आदिवासी समाज के लाभ के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है और सरकार भी बड़ी संख्या में आदिवासियों को लाभान्वित करने का प्रयास कर रही है।
राज्य सरकार ने नहीं दी है योजना को मंजूरी , ना देगी
मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने आगे कहा कि इस योजना को लेकर आदिवासी समाज को कुछ लोगों ने गुमराह किया जिससे आदिवासियो ने इस योजना पर नाराजगी व्यक्त की. केंद्र सरकार द्वारा किसी भी योजना को लागू करने के बाद योजना की घोषणा की जाती है और फिर संबंधित राज्य सरकार की मंजूरी के बाद योजना का काम आगे बढ़ता है। इस योजना के लिए गुजरात सरकार द्वारा कोई स्वीकृति नहीं दी गई है और गुजरात सरकार ने निर्णय लिया है कि इस योजना को किसी भी परिस्थिति में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
इस योजना के संबंध में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री , केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्य के जनजातीय विभाग के मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की बैठक में इस योजना को रद्द करने पर सहमति बनी है. आदिवासी भाइयों और बहनों की भावनाओं का सम्मान करते हुए दमन गंगा-पार-तापी नर्मदा लिंक परियोजना को रद्द करने का निर्णय लिया गया है.
क्या थी पार नर्मदा तापी लिंक प्रोजेक्ट ?
402 किमी लंबी पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक प्रोजेक्ट के माध्यम से नर्मदा परियोजना के कमांड क्षेत्र में सालाना अतिरिक्त 1350 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ले जाने के लिए 402 किमी लंबी परियोजना की योजना बनाई गई थी। पार तापी-नर्मदा लिंक नहर की योजना में दक्षिण गुजरात के पार, औरंगाबाद, अंबिका और पूर्णा नदियों के निर्वहन क्षेत्र में कुल सात जलाशयों का निर्माण शामिल था। दमनगंगा-पिंजाल लिंक को दमनगंगा नदी के निर्वहन क्षेत्र में कुल दो जलाशयों के निर्माण को शामिल करने की योजना बनाई गई थी।
आदिवासी समाज क्यों कर रहा है विरोध
पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना का आदिवासी समाज द्वारा दलीय हित से ऊपर उठकर विरोध कर रहा है , उसका मूल कारण विस्थापन का डर है।
आदिवासी समाज के लिए यह मुद्दा इतना संवेदनशील है की अभी तक 10 से अधिक बड़ी सभा और गांधीनगर में विधानसभा का घेराव हो चूका है ,साथ ही तापी के सोनगढ़ में आदिवासी समुदाय द्वारा एक रैली का आयोजन किया गया था, जहां पीएम मोदी के नाम परियोजना का विरोध करते हुए पोस्टकार्डअभियान चलाया गया था ,जिसमें पर-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को रद्द करने की मांग की गई थी।
पहले भी तीन बार हो चुकी है घोषणा
आदिवासियों के आक्रोश को देखते हुए पहले 28 मार्च को सरकार के मंत्रियों समेत नेता 28 मार्च को आदिवासियों के साथ बैठक करने वलसाड पहुंचे. जहां उन्होंने समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष से बातचीत की. वार्ता के बाद राज्य सरकार की ओर से मंत्रियों ने बताया गया कि वह फिलहाल किसी आदिवासी को विस्थापित नहीं करेगी. साथ ही परियोजना के निलंबन की घोषणा की गई थी। लेकिन उसके बाद भी विरोध का दौरा नहीं थमा इसके बाद प्रदेश प्रमुख सीआर पाटिल के नेतृत्व में आदिवासी सांसद – विधायको का प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी
उस दौरान भी घोषणा की गयी थी कि प्रोजेक्ट स्थगित कर दिया गया है , जबकि उसके पहले एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी , तब भी मुख्यमंत्री ने भरोषा दिया था की वह आदिवासी समाज के हिट का ख्याल रखेंगे।
नोटिफिकेशन में अटका है मुद्दा
आंदोलनकारियो को राज्य सरकार पर भरोषा नहीं है , वह चाहते हैं की अगर योजना रद्द हो गयी है तो उसका नोटिफिकेशन जारी किया है , कांग्रेस विधायक आनंद चौधरी कहते है सरकार आदिवासियों को मुर्ख समझ रही है यदि योजना बजट में बनी है , उसके लिए धन आवंटित हुआ है , तो राज्य सरकार लिखित में नोटिफिकेशन क्यों नहीं जारी करते , जैसे महाराष्ट्र्र सरकार ने किया है , सरकार पिछले दरवाजे से योजना लागु करना चाहती है , लेकिन विरोध से डरकर फिलहाल टाल मटोल कर रही है , लेकिन आदिवासी समाज अब गुमराह नहीं होगा , विरोध जारी रहेगा। यह आदिवासी के अस्तित्व का सवाल है।
गुजरात में आदिवासी मतों के लिए ” महाभारत “
नदी लिंक परियोजना के विरोध में सड़क पर उतरा आदिवासी समाज
सी आर पाटिल ने कहा लागु नहीं होगी नदी लिंक परीयोजना , अनंत पटेल ने कहा जारी करायें नोटिफिकेशन