गुजरात चुनाव में भाजपा के लिए दो बातें सबसे प्रमुख हैं। जीतने की क्षमता (Winnability) और जाति का गणित (caste combination )। यह गुरुवार को जारी 160 उम्मीदवारों की पहली सूची से भी स्पष्ट हो गया। पहली सूची से यह भी साफ हो गया कि उम्मीदवारों के लिए अंतिम फैसले में निर्णायक भूमिका किसी अन्य की नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ही है।
गुजरात में 182 विधानसभा क्षेत्र हैं। वोटिंग दो चरणों में होनी है- 1 और 5 दिसंबर को। नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे। यूं तो गुजरात की राजनीति अभी तक दो दलीय (dual-party) वाली रही है, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी आक्रामक रूप से इंट्री ले ली है।
शहंशाह की मुहर
जैसा कि सूत्रों ने भी बताया कि पहली सूची यकीनन यह स्पष्ट करती है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपलब्ध उम्मीदवारों में से सबसे बढ़िया को चुनने के लिए हर संभव समय और ध्यान दिया है। वास्तव में, सूची में कई नाम तो साफ संकेत दे रहे हैं कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के सुझावों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है।
भाजपा में आए एक पूर्व कांग्रेस नेता ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा, “जब मैंने कांग्रेस को भाजपा के लिए छोड़ा था, तो मुझे टिकट का आश्वासन दिया गया था। वास्तव में, मैं कम से कम पांच अन्य कांग्रेस विधायकों को जानता हूं जिनसे ऐसा ही कहा गया था। वैसे, इस दौरान गुजरात भाजपा के प्रमुख सीआर पाटिल ने सार्वजनिक बयान दिए और हमें निजी तौर पर भी टिकट नहीं मिलने के संकेत दिए।
सौराष्ट्र के इस विधायक के अनुसार, “जब हम कांग्रेस के साथ अपने दशक से अधिक पुराने संबंध को तोड़ते हुए भाजपा में शामिल हुए थे, तो अमितभाई शाह ने हमारे साथ सम्मान से पेश आने और टिकट देने का आश्वासन दिया था। हालांकि, हम काफी समय से सहज महसूस (comfortable) नहीं कर रहे थे।” विधायक ने केंद्रीय मंत्री शाह की प्रशंसा की और कहा, “अमितभाई अपने कहे (commitment) पर कायम हैं। जिन लोगों को उन्होंने टिकट देने का वादा किया था, उन्हें मिल भी गया है। यह सिर्फ प्रतिबद्धता (commitment) से नहीं है, बल्कि वह जातिगत गणित (caste combinations) को बहुत बढ़िया तरीके से जानते हैं।
कई वर्तमान और पूर्व मंत्रियों के कटे टिकट
इसमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, पूर्व गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा के नाम नहीं हैं। इनके अलावा सूची में पांच वर्तमान मंत्री- जैसे कानून मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता (social justice and empowerment) मंत्री प्रदीप परमार, परिवहन (transport) मंत्री अरविंद रैयानी, ग्रामीण विकास (rural development) मंत्री अर्जुनसिंह चौहान, श्रम और रोजगार (labour and employment) मंत्री बृजेश मेरजा और सामाजिक न्याय (social justice) राज्य मंत्री राघवजी मकवाना- के भी नाम नहीं हैं।
अब सवाल यह है कि महमदाबाद के विधायक और वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री अर्जुनसिंह चौहान को टिकट मिलेगा भी या नहीं। उनके नाम की घोषणा अभी नहीं की गई है।
पुराने और नए का घालमेल
भाजपा की पहली सूची में 38 मौजूदा विधायकों के बदले 38 नए नाम शामिल हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि सूची में घोषित सभी 38 नाम राजनीतिक नौसिखिए (political novices) हैं। उनमें से कम से कम 19 पहले विधायक रह चुके हैं। भाजपा ने पहले चरण की 89 में से 84 सीटों पर और दूसरे चरण में 93 में से 76 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। इस तरह कम से कम 38 मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ कर दिया गया है।
हार्दिक पटेल को टिकट
गुजरात में पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल को भी टिकट दिया गया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सत्ता से बेदखल कर बीजेपी को शर्मसार कर देने वाले हार्दिक अब वीरमगाम से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। हार्दिक पहले कांग्रेस में थे, लेकिन जून 2022 में पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।
ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर को भी “इनाम”
एक अन्य युवा नेता अल्पेश ठाकोर को भी भाजपा ने टिकट दिया है। उन्होंने कभी भाजपा सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। दावा किया था कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर गुजरात में शराब कारोबारियों (bootleggers) को धंधा करने दिया और युवाओं को नैतिक रूप से भ्रष्ट (morally corrupt) करने दिया। 2017 में अल्पेश और उनकी ठाकोर सेना ने शराबबंदी वाले गुजरात में नकली शराब (spurious liquor) के धंधे के खिलाफ एक उत्साही लड़ाई छेड़ी थी। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हार गए थे। अब अल्पेश को गांधीनगर दक्षिण से भाजपा का टिकट दिया गया है।
जिग्नेश मेवानी को मिलेगी कड़ी टक्कर
अनुसूचित जाति (scheduled caste) के लिए रिजर्व और सामाजिक कार्यकर्ता जिग्नेश मेवानी की विधानसभा सीट वडगाम पर भाजपा ने मणिभाई वाघेला को मैदान में उतार दिया है। इससे मेवानी के लिए मुकाबला कठिन हो सकता है। मणिभाई 10 साल से अधिक समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे।
वैसे 2017 में निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी को कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद मणिभाई धीरे-धीरे खुद को मेवानी और कांग्रेस पार्टी द्वारा उपेक्षित (neglected) महसूस करने लगे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने चालाकी से उन्हें उत्तरी गुजरात के वडगाम से टिकट दे दिया है।
इस बार पार्टी ने अनुसूचित जाति (scheduled caste) के 13, अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe) के 24, 14 महिलाओं और विधानसभा के 69 मौजूदा सदस्यों को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। पार्टी ने 38 उम्मीदवारों की जगह नए चेहरों को उतारा है।
टिकट के लिए सीआर पाटिल के पहले वाले फार्मूले पर अमल नहीं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने टिकटों के लिए कई शर्तों और पार्टी में उम्र और पदों सहित विभिन्न पैमानों (parameters) की घोषणा की थी। उन्होंने एक बार यह भी उल्लेख किया था कि जो लोग चार बार से अधिक विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं या दो बार हार चुके हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि पहली वरीयता (first preference) पार्टी कार्यकर्ताओं और कैडरों को दी जाएगी, न कि उन लोगों को जिन्होंने “कांग्रेस से खुद को भाजपा में निर्यात (exported) किया।”
हालांकि पार्टी बदलने वाले सभी 16 कांग्रेस विधायकों को टिकट दिया गया है। साथ ही कम से कम आधा दर्जन उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने चार बार से अधिक बार विधानसभा चुनाव लड़ा है। इनमें केशुभाई नाकरानी शामिल हैं, जो 1995 से लगातार भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह भी मुख्य रूप से सौराष्ट्र के गरियाधर से। इनके अलावा दसक्रोई के बिल्डर बाबू जमना पटेल भी हैं, जिन्हें 2002 से टिकट दिया जा रहा है।
लकी रहीं क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी
क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को सौराष्ट्र के जामनगर से टिकट दिया गया है। उन्हें टिकट देने के लिए कुख्यात (notorious ) विधायक हकुभा जडेजा का नाम काट दिया गया है।
लेकिन खंभालिया से भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा?
भाजपा दरअसल इंतजार कर रही है और देख रही है। आप ने इसुदान गढ़वी को अपना सीएम चेहरा घोषित किया है। इसुदान खंभालिया के ही रहने वाले हैं और यहां लोकप्रिय भी काफी हैं। हालांकि खंभालिया में पहले चरण में मतदान होना है, लेकिन भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। वह यहां सुरक्षित खेलना चाहती है। सूत्रों ने वाइब्स ऑफ इंडिया (Vo!) को बताया कि अगर आप खंभालिया से इसुदान को मैदान में उतारती है, तो बीजेपी आप के सीएम उम्मीदवार को टक्कर देने के लिए किसी हाई प्रोफाइल सांसद को मैदान में उतार सकती है। ऐसी चर्चा है कि अगर इसुदान खंभालिया से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा जामनगर की सांसद पूनमबेन मैडम को मैदान में उतार सकती है, जो गढ़वी के खिलाफ काफी मजबूत उम्मीदवार होंगी। आप सूत्रों का दावा है कि आप दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से गढ़वी को मैदान में उतार सकती है। चर्चाओं के मुताबिक, उनके लिए खंभालिया, द्वारका और कच्छ में से कोई एक सीट है। भाजपा के एक सीनियर नेता ने कहा, ‘भाजपा बिल्कुल स्पष्ट है। वह नहीं चाहती कि इसुदान किसी भी कीमत पर चुनाव जीतें। वास्तव में, हम चाहते हैं कि वह अपनी जमानत तक खो दें।” उनका मानना है कि आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को बुरी तरह हराने से 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी बहुत सकारात्मक (positive) संकेत मिलेगा।
बिलकिस बानो कांड से चर्चित हुए रावलजी को टिकट
बिलकिस बानो के बलात्कारियों की जल्द रिहाई की जांच के लिए बनी समिति के सदस्य सीके राउलजी को दोबारा टिकट मिला है। गोधरा से भाजपा के मौजूदा विधायक को वहीं पर “दोहराया” गया है। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा, “हमने ‘समझदारी’ दिखाई है। हमारे सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि वह अच्छी तरह से जीतेंगे। इसीलिए उन्हें टिकट दिया गया है।”
टिकट बंटवारे में भाजपा का वंशवाद
भाजपा भले ही दिल्ली में वंशवाद (dynasty) को लेकर चिल्ला रही हो, लेकिन गुजरात में पार्टी ने खुले तौर पर राजवंशों का समर्थन किया है। इसलिए कि वह सिर्फ जीतने की क्षमता और जाति संयोजन को देखती है। जो कम से कम दो मामलों में इसे हासिल कर सकता है, वही मायने रखता है।
लगातार चौथी बार गोंडल के जडेजाओं को टिकट दिया गया है। इसी तरह जयराजसिंह को दोबारा टिकट दिया गया। अबकी उनकी पत्नी गीताबा को दोहराया गया है और उन्हें टिकट दिया गया है। इसी तरह गुजरात में कोलियों के महत्व को देखते हुए पुरुषोत्तम सोलंकी और उनके भाई हीरा सोलंकी दोनों को क्रमश: भावनगर और कोडिनार (अमेरेली जिला) से दोबारा टिकट दिया गया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सीनियर सोलंकी यानी पुरुषोत्तमभाई तो विजय रूपाणी कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। उन्हें तब हटा दिया गया था, जब पिछले साल पूरे मंत्रिमंडल को भूपेंद्र पटेल के साथ बदल दिया गया था।
विडंबना यह है कि पिछले पांच वर्षों में पुरुषोत्तम सोलंकी ने विधानसभा में केवल एक बार चर्चा में भाग लिया है। यह आंकड़ा वाइब्स ऑफ इंडिया को मिले सदन के रिकॉर्ड के अनुसार है।
ऐसे बदकिस्मत, जिन्हें टिकट नहीं मिला
पार्टी ने निवर्तमान (outgoing) विधानसभा अध्यक्ष निमाबेन आचार्य के अलावा कैबिनेट मंत्री प्रदीप परमार, राजेंद्र त्रिवेदी सहित 38 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। पार्टी ने 160 उम्मीदवारों की पहली सूची से 38 मौजूदा विधायकों को हटा दिया और पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और पूर्व सीएम विजय रूपाणी सहित पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों को चुनाव से बाहर कर दिया। भाजपा के ये शीर्ष नेता चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस के उलट भाजपा के सदस्य पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत नहीं करते हैं। एक व्यक्ति की जीतने की क्षमता और जातिगत अंकगणित हर चीज से ज्यादा मायने रखता है।
मोरबी हादसे में जान बचाने वाले को भी टिकट
मोरबी में पुल गिरने के बाद मच्छू नदी में कूदने वाले पहले व्यक्ति कांतिलाल अमृतिया को टिकट दिया गया है। 2017 में यहां से बृजेश मेरजा ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने 2022 में उपचुनाव जीता था। कांतिलाल अमृतिया हत्या के एक मामले में जेल में थे। मोरबी में जब पुल टूट कर गिरा, तब लोगों की जान बचाने के लिए कांतिलाल पानी में कूदने वालों में सबसे पहले थे। इससे उनकी छवि को फायदा हुआ। खूब वाहवाही मिली। ऐसे में मेरजा को यहां से हटाया जा सकता है या किसी दूसरी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। बहरहाल, मोरबी के लिए भाजपा ने कांतिलाल अमृतिया को चुन लिया है।
भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस प्रत्याशी
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कुल 16 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। कांग्रेसियों के अलावा भाजपा में आयातकों (imports) में प्रद्युम्नसिंह जडेजा हैं, जो 2020 में सत्ताधारी पार्टी में आए। इसी तरह आदिवासी विधायक अश्विन कोतवाल हैं, जो इस साल जुलाई में भगवा खेमे में शामिल हुए। फिर हर्षद रिबाडिया हैं, जो पिछले महीने ही भाजपा में शामिल हुए। इनके अलावा भागा बराड़ और राजेंद्र सिंह राठवा हैं, जिनके पिता गुजरात के सबसे सीनियर विधायक मोहनसिंह राठवा हैं।
भाजपा की सूची में जातिगत गणित
भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची में 42 पटेल, 13 ब्राह्मण, 14 क्षत्रिय, 13 कोली, 14 ठाकोर, 13 एससी और 24 एसटी शामिल हैं।