गुजरात के बनासकांठा जिला स्थित प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ स्थल अंबाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर विवाद शुरू हो गया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मंदिर समिति ने मोहनथाल की जगह चिकी का प्रसाद देने का निर्णय किया ,जिसको लेकर भक्तों में खासा आक्रोश रोष है। इस मामले में सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल की मोहनथाल के समर्थन में एक जुट है। मोहनथाल एक तरह की मिठाई है। प्रसाद बदलने के पीछे मंदिर प्रबंधन का तर्क चिकी का लम्बे समय तक उपयोग करना है। चिकी के अमूल और बनास डेयरी से संपर्क किया जा रहा है।
मोहनथाल का चढ़ावा बंद करने के फैसले का भी ग्रामीणों ने विरोध किया है। साथ ही अंबाजी मंदिर देवस्थान ट्रस्ट को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। मंदिर में मोहनथाल का प्रसाद 48 घंटे के अंदर शुरू करने की मांग की गई है। अगर 48 घंटे के भीतर मोहनथाल का प्रसाद शुरू नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन की भी धमकी दी गई है. इतना ही नहीं मोहनथाल का प्रसाद बंद होने पर आंदोलन की धमकी दी गयी है।
गुजरात भाजपा मीडिया कन्वीनर डॉ यग्नेश दवे ने मोहनथाल के समर्थन में ट्वीट किया ” एक ब्राह्मण के रूप में मेरी व्यक्तिगत भावना यह है कि अंबाजी मंदिर में मोहनथाल का प्रसाद जारी रखा जाना चाहिए और चेकी का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।”
कांग्रेस के मीडिया सह कन्वीनर हेमांग रावल ने पत्रकार परिषद कर आरोप लगाया कि मोहनथाल का प्रसाद आस्था से जुड़ा हुआ है। मोहनथाल के तौर अम्बाजी का प्रसाद विदेशों में भी जाता है। अंबाजी मंदिर में एक साल पहले 10 रुपये में मिलने वाले मोहनथाल प्रसाद के पैकेट की कीमत बढ़ाकर पहले 18 रुपये और अब 25 रुपये कर दी गई है।
महंगाई के बहाने प्रसाद की कीमत में 150 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुयी है। इसके साथ ही छह-आठ माह पहले चिकी का प्रसाद भी बिकने लगा था। एक तरफ बीस करोड़ का मोहनथाल प्रसाद बिका तो दूसरी तरफ डेढ़ करोड़ का चिकी प्रसाद बिका।
रावल ने आरोप लगाया कि चिकी प्रसाद में कमाई ज्यादा है , इसलिए इस तरह का फैसला लिया गया है।
मंदिर में 25 रुपये में बिकने वाला चिकी प्रसाद के डिब्बे में चिकी के चार पीस होते है। ऐसा ही एक चिकी का पीस पूरे भारत में परिवहन लागत और जीएसटी सहित ब्रांडेड कंपनी के पांच रुपये और अनब्रांडेड कंपनी के दो रुपये में मिलते है।
अंबाजी देवस्थान ट्रस्ट के माध्यम से पिछले 11 वर्षों में श्रद्धालुओं द्वारा दान की गई धनराशि में से 21 लाख रुपये से अधिक का खर्च मेहमानों, मंत्रियों, अधिकारियों, मंत्रियों के रिश्तेदारों, अधिकारियों के रिश्तेदारों, के आवभगत में किया गया है।
विधानसभा में दांता विधायक कांति खराड़ी ने कहा अम्बा जी मंदिर उनके क्षेत्र में है। यह निर्णय भक्तों की भावना के अनुरूप नहीं है। इसलिए मोहनथाल के प्रसाद को ही जारी रखना चाहिए। खराड़ी के मुताबिक निर्णय के पहले उनसे पूछा भी नहीं गया। उन्होंने इस मसले को विधानसभा में उठाने का भरोसा दिलाया।
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