अहमदाबादः गुजरात सरकार ने राज्य भर में ऐसी 344 मांस दुकानों को बंद करने का नोटिस जारी किया है, जिन्हें लेकर हाई कोर्ट ने सवाल किए थे। पूछा था कि मांस की दुकानों को अपने परिसर में बिना लाइसेंस के जानवरों को मारने की अनुमति क्यों (why meat shops are allowed to slaughter animals at their premises without licences) है। संबंधित अधिकारियों को कानून का पालन नहीं करने वाली सभी मांस की दुकानों के खिलाफ आपराधिक या दीवानी (criminal or civil) कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्राधिकरण के संयुक्त आयुक्त (the joint commissioner of the Food and Drug Control Authority) द्वारा दायर एक हलफनामे(affidavit) में हाई कोर्ट को शुक्रवार को सूचित किया गया था कि संबंधित अधिकारियों ने मांस की दुकानों और छोटे बूचड़खानों की व्यापक जांच की है। ऐसा राज्य के विभिन्न जिलों में संचालित कथित अवैध बूचड़खानों के बारे में (about alleged illegal slaughterhouses operating in various districts) धर्मेंद्र फोफानी द्वारा दायर जनहित याचिका में दी गई जानकारी के आधार पर किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि कैसे छोटे खाद्य व्यवसायों को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और 2011 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मांस बेचने और एक दिन में 10 से कम जानवरों के वध के लिए लाइसेंस जारी किए (selling meat and slaughtering of fewer than 10 animals a day under different provisions of Food Safety and Standards Act) जाते हैं। हालांकि, मांस बेचने की अनुमति वाले लगभग 344 ‘छोटे खाद्य व्यवसायों’ (petty food businesses) को 2011 के नियमों का उल्लंघन करते हुए जानवरों के वध में शामिल पाया गया है, और उन्हें बंद करने के नोटिस जारी किए गए हैं।
इस बीच, खाद्य एवं औषधि आयुक्तालय (the commissionerate of food and drugs) ने सभी खाद्य निरीक्षकों और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किया कि वे मांस की दुकानों और खाद्य व्यवसायों के सभी गलत मालिकों के खिलाफ अधिनियम की धारा 42 के तहत आपराधिक या सिविल मुकदमा शुरू करें, जो कानून नहीं (against all errant owners of meat shops and food businesses, who fail to show compliance with the law) मानते।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वैसे तो केवल आठ बूचड़खानों को पशु काटने के लिए लाइसेंस दिए गए है। जबकि हकीकत में लगभग 300 ऐसे बूचड़खाने हैं और उनके पास लाइसेंस हैं। इस पर राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्य में आठ बड़े बूचड़खाने ही हैं। उनमें से एक काम नहीं कर रहा है, चार के पास लाइसेंस हैं और तीन अपने लाइसेंस का इंतजार कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में 29 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की है।
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