- 67 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले राज्य में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 2 प्रतिशत से भी कम है , और महिलाओ के मामले में संख्या शून्य है। 1985 के बाद से यह संख्या पांच को पार नहीं कर सकी। कैबिनेट में भी तबसे अकाल है। सत्ताधारी भाजपा टिकट देने लायक भी अल्पसंख्यक समाज के सबसे बड़े तबके को नहीं समझती। जबकि कांग्रेस की भी हिस्सेदारी के मामले में इच्छाशक्ति कमजोर हो जाती है।
1960 में गुजरात की स्थापना के बाद 1962 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 8 मुस्लिम विधायक निर्वाचित हुए थे जिसमे गुजरात की पहली मुस्लिम विधायक का भी समावेश था लेकिन 2017 में 14 वी विधानसभा के लिए हुए चुनाव में केवल 3 मुस्लिम विधायक निर्वाचित हुए। लगभग 10 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले राज्य में मुस्लिम विधायकों की घटता प्रतिनिधित्व तीव्र धार्मिक ध्रुवीकरण को दर्शाता है। 2022 में आप आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन ( AIMIM ) की सक्रिय सहभागिता के बाद 15वीं विधानसभा में यह संख्या क्या होगी यह समय के गर्भ में है।
गुजरात की स्थापना के साथ पहली विधानसभा में 8 मुस्लिम विधायक चुने गए थे जिसमे विसावदर (जो बाद बाद में पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की सीट के तौर पर पहचानी गयी ) से गुजरात की पहली महिला मुस्लिम विधायक के तौर पर पर मदीनाबेन अकबरभाई नागौरी निर्वाचित हुयी ,वह इसी सीट से 1967 में भी निर्वाचित हुयी। लेकिन 21 वी शताब्दी में पिछले 15 साल से विधानसभा में मुस्लिम महिला विधायक का प्रतिनिधित्व नहीं है। अंतिम मुस्लिम महिला विधायक के तौर पर वागरा से 2002 में रशीदाबेन पटेल पटेल चुनी गयी थी।
मुस्लिम प्रतिनिधित्व के लिहाज से 1980 का समय “अमृत काल “रहा जब 12 मुस्लिम विधायक चुने गए जबकि 1995 में एक केवल एक मुस्लिम विधायक के तौर पर उस्मांगनी इस्माइल देवड़ीवाला निर्दलीय विठ्ठल भवन तक पहुंच सके। 2012 के अलावा गुजरात की स्थापना के बाद से जमालपुर में मुस्लिम प्रतिनिधित्व जरूर रहा ।
यह 1980 की तुलना में एक तेज गिरावट है जब विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत था, जो अल्पसंख्यक समुदाय के आकार के बराबर था। उस समय गुजरात से तीन सांसद मुस्लिम थे।
राजनीतिक विशेषज्ञ घनश्याम शाह कहते है 1985 के बाद गुजरात में राजनीतिक ध्रुवीकरण की शुरुआत हुयी जो 2002 के बाद और तेज हो गयी अत्यधिक ध्रुवीकृत राजनीति में, मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने समुदाय के बाहर वोट हासिल करने की रही है विशेष रूप से बहुसंख्यक समुदाय से। मुस्लिम जमालपुर के अलावा किसी विधानसभा में पूर्ण बहुमत में नहीं है , कुछ ब्लॉक में है। 2007 में हुए सीमाकंन के बाद उनकी ताकत और कम हुयी है। वह जोर देकर कहते हैं कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के चाहने के बावजूद स्थानीय नेतृत्व और जिला संगठन में मुस्लिम नेतृत्व देने की बहुत चाह नहीं है। 2022 में ओवैसी और आप के चुनावी जंग में उतरने के बाद मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढ़ेगा या कम होगा के जवाब में वह कहते है अभी इंतजार कीजिये।
गुजरात में कम से कम 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम 30,000 से अधिक वोटों के साथ हावी हैं, लेकिन उनका सांख्यिकीय महत्व अब प्रमुख दलों को आकर्षित नहीं कर रहा , जो ध्रुवीकरण का परिणाम है। गुजरात में भाजपा मुस्लिम को विधानसभा में टिकट नहीं देती , और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या इकाई के अंक में होती है । 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने 41 प्रत्याशियों की घोषणा की लेकिन अभी तक मुस्लिम जगह पाने में कामयाब नहीं रहे।
कच्छ, अहमदाबाद और भरूच तीन जिले ऐसे हैं जहां मुसलमान कुल आबादी का लगभग 20% हैं और यहां की कम से कम 10 सीटों पर उनकी गिनती निर्णायक होती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक गयासुदीन शेख कहते है ,मुस्लिम की आबादी 10 प्रतिशत है “कांग्रेस के तीनों मुस्लिम विधायक( जावेद पीरजादा , इमरान खेड़वाला और गयासुदीन शेख खुद ) को रीपीट करने के साथ कांग्रेस ने 5 प्रत्याशी उतारे हैं। 2017 में कांग्रेस ने 7 मुस्लिम उम्मीदवार दिए थे जिनमे 3 जीत पाए थे।
वही गुजरात भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख डॉ मोहसिन लोखंडवाला मानते है कि चुनाव में टिकट जीत के आधार पर मिलता है ,पिछले स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ने 365 मुस्लिम उम्मीदवार को मौका दिया लेकिन विधानसभा चुनाव में अभी तक मौका नहीं मिला है। लेकिन टिकट के अलावा भी मुस्लिमो को बहुत कुछ चाहिए ,शिक्षा ,रोजगार ,सुरक्षा सब मिला है। मुस्लिम तेजी से भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं।
आप के गुजरात महामंत्री मनोज सोरठिया कहते है आप धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं करती , हम राजनीति बदलने के लिए हैं , बेहतर शिक्षा , स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार मुक्त गुजरात के लिए संघर्ष कर रहे हैं यदि कोई उम्मीदवार हमारे मापदंड पर खरा उतरेगा तो उसे प्रत्याशी बनाया है। हम जाति धर्म की राजनीति नहीं करते।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन ने गुजरात विधानसभा के लिए 1 3 प्रत्याशी सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला को जमालपुर-खड़िया विधानसभा सीट से टिकट दिया है।सूरत पूर्व विधानसभा सीट से वसीम कुरैशी को AIMIM ने उम्मीदवार के तौर पर चुना है। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला कहते हैं हमने 1 3 घोषित प्रत्याशी में दलित महिला कौशिका बेन परमार को भी टिकट दिया । उनके मुताबिक कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मुसलमानों का इस्तेमाल करती हैं .
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