इंटरनेट आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का एक अहम अंग है , लेकिन 5 G के दौर में गुजरात के 30 प्रतिशत बच्चे इंटरनेट आधारित शिक्षा से वंचित हैं। हालांकि देश की हालत और बुरी है। श्रेष्ठ इंटरनेट सुविधा वाले राज्यों में गुजरात तीसरे नंबर पर आता है। स्कूलों में इंटरनेट उपलब्धता के लिहाज से केरल सबसे बेहतरीन है। केरल में 87 . 8 4 प्रतिशत जबकि दिल्ली में 85 . 69 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा है।
राज्यसभा में गुजरात भाजपा सांसद नरहरि अमीन के एक सवाल के जवाब में दिए गए आकड़ो के मुताबिक स्कूलों में कंप्यूटर की उपलब्धता के मामले में बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्य निचले पायदान पर है।
डिजिटल शिक्षा की उपलब्धता – चाहे लाइव के माध्यम से, जूम जैसे ऐप पर सिंक्रोनस टीचिंग, या रिकॉर्डेड लेक्चर, ईमेल, व्हाट्सएप या शैक्षिक ऐप के माध्यम से – काफी हद तक इस बात पर निर्भर है कि स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों की आवश्यक बुनियादी ढांचे इंटरनेट तक पहुंच है या नहीं। लेकिन इंटरनेट और कंप्यूटर जैसे आधारभूत संसाधन का अभाव उसमे बडा बाधक बन रह रहा।
शिक्षाविद डॉ ए के पांड्या के मुताबिक कोरोना काल के बाद तस्वीर तेजी से बदली है। गुजरात की ज्यादातर माध्यमिक स्कूलों में कंप्यूटर की व्यवस्था की गयी है। कुछ जगह बाकी है। ग्रामीण विस्तार की निजी स्कूलों में संसाधनों का अभाव है। वह जोर देकर कहते है कि गुजरात में कंप्यूटर वैकल्पिक विषय है अनिवार्य नहीं।
वही फेडरेशन ऑफ पेरेंट्स एसोसिएशन, गुजरात (FOPAG) के सहसंस्थापक कमल रावल कहते है गुजरात में शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं है , सरकारी स्कूलों की हालत बेहद ख़राब है जंहा इंटरनेट है भी वंहा स्पीड बहुत कम है ,इसके लिए वह डांग का उदाहरण देते हैं। वह कहते है ज्यादातर सरकारी स्कूलों में जंहा इंटरनेट और कंप्यूटर दोनों है भी वह हेडमास्टर की केबिन में है। वह सवालिया लहजे में पूछते हैं यदि सब कुछ ठीक है तो शिक्षा की गुणवत्ता क्यों खराब है।
वही गुजरात के शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया के मुताबिक गुजरात में शिक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है। हमारे यहा केंद्रीय डेस्क बोर्ड से मॉनिटरिंग होती है। इंटरनेट की उपलब्धता का भौगोलिक आधार भी एक कारण हैं। लेकिन जल्दी ही सभी स्कूल कनेक्ट हो जायेंगे। पानशेरिया के मुताबिक 94 प्रतिशत सरकारी माध्यमिक स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंच गयी है।
दावे और प्रतिदावों के बीच ई शिक्षा अभी दूर की कौड़ी है।
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