गुजरात सरकार की पर्यटन नीति सफ़ेद हाथी साबित हो रही है। वर्ष 2021 -22 में पर्यटकों को आकर्षित करने लिए विभिन्न उत्सव और उनके आयोजन में 57 करोड़ 5 लाख 91हजार का खर्च किया गया ,जिसमे से 55 करोड़ 31 लाख 45 हजार केवल डेकोरेशन और उससे जुडी विभिन्न सुविधा देने के पीछे खर्च हुयी। बहुचर्चित कच्छ का रणोत्सव में 20 करोड़ 98 लाख खर्च होने के बावजूद महज 465 विदेशी पर्यटक ही आकर्षित हुए।
कांग्रेस के पूर्व नेता विरोधपक्ष अर्जुन मोढवाडिया के सवाल के जवाब में पर्यटन मंत्री मुलुभाई बेरा ने गुजरात विधानसभा को बताया कि 2021 में रणोत्सव में 8 . 16 करोड़ खर्च किया गया जबकि महज 76 विदेशी पर्यटक ही आये। जबकि 2022 में 12 . 2 1 करोड़ के भारी भरकम खर्च के बावजूद 398 विदेशी पर्यटक सफ़ेद रण के उत्सव में शामिल हुए।
गुजरात सरकार ने वर्ष 2021 में कोविड महामारी का असर कम होने पर नवरात्रि ,सापुतारा मानसून उत्सव ,रंग छे मेघाणी ,गांधी जयन्ती ,आज़ादी का अमृत महोत्सव ,दशहरा समेत 7 आयोजन किये।
जिसके पीछे कुल 20 .57 करोड़ खर्च हुआ। जबकि वर्ष 2022 में आज़ादी का अमृत महोत्सव तथा रंग छे मेघाणी के अलावा शिव वंदना , माधवपुरा मेला , आम उत्सव( mango festival ), अस्मिता का उत्सव , ऋषि वंदना, 51 शक्तिपीठ परिक्रमा समेत 6 नए उत्सव के साथ 13 उत्सव के पीछे 36 .48 करोड़ का खर्च किया।
दो वर्ष के दौरान इन उत्सव के प्रचार -प्रसार के पीछे 81. 72 लाख का टीवी तथा अखबार में विज्ञापन के पीछे खर्च किये गए। 21 लाख होटल खर्च जबकि 70 . 53 लाख वाहनों के पीछे खर्च हुआ।