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गुजरात में एनजीटी द्वारा धनलक्ष्मी ओर्गो केम पर लगाया गया जुर्माना बरकरार

| Updated: May 3, 2023 14:15

गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने धनलक्ष्मी ऑर्गो केम (Dhanlaxmi Orgo Chem) को अवैध रूप से प्रदूषण स्राव के लिए 25 लाख रुपये का क्लोजर नोटिस और पर्यावरण क्षति मुआवजा (EDC) जारी किया था। मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal- एनजीटी), पश्चिमी क्षेत्र खंडपीठ ने गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Gujarat Pollution Control Board- जीपीसीबी) द्वारा खंभात में धनलक्ष्मी ओर्गो केम पर पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए लगाए गए 25 लाख रुपये के जुर्माने को बरकरार रखा है।

कंपनी को पुनः शुरू करने के लिए देना होगा जुर्माना

कंपनी ने जीपीसीबी के आदेश को एनजीटी में चुनौती दी थी। हालांकि, एनजीटी ने आदेश दिया है कि अगर कंपनी फिर से उत्पादन शुरू करना चाहती है तो उसे जुर्माना देना होगा। ट्रिब्यूनल ने जीपीसीबी से एक रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है।

जीपीसीबी ने मार्च 2023 में धनलक्ष्मी ओर्गो केम (Dhanlaxmi Orgo Chem) को बंद करने का नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था, “बोर्ड को खंभात में वडूची माता झील के पानी के दूषित होने और अवैध भूमिगत पाइपलाइनों में रिसाव के बारे में भी शिकायत मिली थी, जिससे खेतों और फसलों को नुकसान पहुंचा था। धनलक्ष्मी ओरगो केम के औद्योगिक संयंत्र के दौरे के दौरान, खंभात औद्योगिक संघ के सदस्यों और शिकायतकर्ताओं की उपस्थिति में, पास की एक औद्योगिक इकाई के गेट के पास अम्लीय पीएच के साथ दूषित पीले रंग की मिट्टी देखी गई। लिहाजा, मिट्टी की खुदाई की गई और धनलक्ष्मी ओरगो केम के परिसर से अवैध पाइप लाइन आ रही थी। सल्फो वीएस उत्पाद से उत्पन्न भुक्तशेष अम्ल के उत्पादन, पुन: उपयोग या निपटान से संबंधित कोई अभिलेख नहीं थे। इसके अलावा, ईटीपी ड्रायर को संचालन में नहीं देखा गया था।”

इसमें जीपीसीबी ने संयंत्र को तत्काल बंद करने का निर्देश दिया था और अवैध पाइप लाइन के जरिए अवैध रूप से बहिःस्राव के लिए कंपनी पर 25 लाख रुपये का ईडीसी लगाया था। हालांकि, धनलक्ष्मी ओरगो केम ने जीपीसीबी (GPCB) के आदेश को एनजीटी में यह कहते हुए चुनौती दी कि जीपीसीबी (GPCB) खुद निश्चित नहीं है कि धनलक्ष्मी ओरगो केम में उल्लंघन हुआ है।

27 अप्रैल को पहली सुनवाई में एनजीटी बेंच ने कहा, “हमारा विचार है कि अपीलकर्ता रासायनिक उद्योग है, जिसे अत्यधिक प्रदूषणकारी कहा जाता है, और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, यह उचित होगा कि अपीलकर्ता जीपीसीबी द्वारा बताए गए दोषों का ध्यान रखे और अंतरिम पर्यावरणीय क्षति मुआवजे की पूरी राशि जमा करे… और उसके बाद ही GPCB अपीलकर्ता को उद्योग के संचालन के साथ जारी रखने की अनुमति देगा।”

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