मोरारी बापू की रामकथा हाल ही में खादिर द्वीप पर धोलावीरा से 10 किलोमीटर दूर भंजदा दादा के मंदिर में हुई थी। इस मंदिर में विश्वप्रसिद्ध हड़प्पा संस्कृति के अवशेष हैं। कथा के दौरान ही बाहर एक शुभ कार्य हुआ। एक महिला श्रद्धालु काठमंडप से दूर एक दुर्गम स्थान पर स्थित मंदिर में श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंची। वहां पहाड़ी की सीढ़ियां चढ़ते समय आधी यात्रा में ही उन्हें चक्कर आ गया और वह गिर पड़ीं। जानकारी मिलते ही ड्यूटी पर मौजूद महिला कांस्टेबल तुरंत पांच किलोमीटर दूर उस दुर्गम स्थान पर पहुंचीं। श्रद्धालु को प्राथमिक उपचार दिया। उन्हें लादकर पांच किलोमीटर ऊपर सुरक्षित पहुंचाया। इस तरह उस विशाल रेगिस्तान में, भीषण गर्मी के बीच महिला पुलिस अधिकारी ने मानस को अर्थपूर्ण बना दिया।
दरअसल, खादिर के नए भंजदा दादा मंदिर से 5 किलोमीटर दूर सफेद रेगिस्तान में एक बड़ी पहाड़ी है। उस पर पुराने भंजदा दादा का मंदिर है। वहां मोरारी बापू की रामकथा सुनने के लिए आने वाले भक्त अक्सर इस पहाड़ी पर दर्शन के लिए भी चले जाया करते हैं। घटना के समय 86 वर्ष की एक विकलांग महिला श्रद्धालु के मन में बूढ़े भंजदा दादा को पहाड़ी पर बैठे हुए देखने की इच्छा हुई। पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने की कोशिश में वह आधी सीढ़ियां ही चढ़ पाई थीं कि उन्हें चक्कर आ गया। वह वहीं गिर पड़ीं।
रेगिस्तानी इलाका होने के कारण वहां पीने के पानी की कमी रहती है। उनके शरीर में भी पानी की कमी हो गई थी। उस समय मोरारी बापू की चल रही रामकथा के दौरान रैपर के थाने में ड्यूटी कर रही महिला पुलिस कांस्टेबल वर्षाबेन मजीवाभाई परमार को महिला श्रद्धालु के बारे में पता चला। वह फौरन पांच किलोमीटर पैदल चलकर उनके पास पहुंचीं। सबसे पहले 86 वर्षीया महिला को प्राथमिक उपचार दिया गया। उनके मुंह पर पानी छिड़का गया। होश में आने पर पानी पिलाया भी गया। बाद में महिला कांस्टेबल उन्हें अपने कंधों पर लादकर 5 किलोमीटर दूर कथास्थल तक लेकर गई।
इस तरह वर्षाबेन ने मानवता का उदाहरण पेश किया है। इस तरह गुजरात पुलिस की सेवा, सुरक्षा और शांति की प्रेरक पंक्ति वास्तव में सार्थक हो गई है। इस संबंध में पूर्वी कच्छ के पुलिस प्रमुख महेंद्र बगड़िया ने महिला कांस्टेबल की कर्तव्यपरायणता की प्रशंसा की है।