किसी भी विश्व कप टूर्नामेंट का दिल दुनिया भर के प्रशंसकों का जमावड़ा होता है। एक-दूसरे के साथ बातचीत करना, नई प्रतिद्वंद्विता (rivalries) बनाना और किसी देश की संस्कृति से पहली बार रू-ब-रू होना। वैसे जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों में टूर्नामेंट को लेकर उदासीनता थी। लेकिन एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के प्रशंसकों में अलग किस्म का ही उमंग था। कतर में ब्राजील, अर्जेंटीना और मोरक्को ने खास तरह के समर्थकों के बीच जमकर आनंद उठाया।
ब्राजील और अर्जेंटीना को मिल जाते हैं विदेशी प्रशंसकः
दोनों दक्षिण अमेरिकी टीमों को न केवल यात्रा करके पहुंचे अपने देश के समर्थक मिले, बल्कि भारतीयों और पाकिस्तानियों का बड़ा समूह भी उनका हौसला बढ़ा रहा था। इनमें से कुछ तो कतर में ही काम करते हैं। बाकी अपनी पसंदीदा टीम को समर्थन करने दूर-दूर से यात्रा कर पहुंच गए थे।
इस बीच, मोरक्को ने तो कई बार आधा ‘मेजबान देश’ जैसी स्थिति का आनंद लिया। इसलिए कि कई अरब देशों के प्रशंसकों ने उसके खेल को देखकर उसकी टीम को हाथों-हाथ ले लिया था। उसके मैच देखने के लिए स्टेडियम खचाखच भरे रहते थे। हर मैच के बाद दोहा के मशहूर मार्केट सूक वाकिफ को उसके प्रशंसक भर देते थे। इसलिए कि मिस्र, कतरी, अल्जीरियाई, फिलस्तीनी और सऊदी झंडे लिए उनके समर्थक सड़कों पर नाचते-गाते रहते। यह लगभग फीफा का माहौल में कमी वाले बाँझ फीफा के प्रशंसकों का सबसे मुरीद केंद्र ही बन गया था।
छोटी दूरी, लंबी यात्राः
पार्टी के लिए खास इलाकों में ट्रैफिक डायवर्जन से आना-जाना कठिन बना रहा। प्रशंसकों को वहां तक पहुंचने की कोशिश करते समय भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। दोहा कॉर्निश दरअसल 7 किलोमीटर लंबी तटवर्ती सैरगाह है, जो फुटबॉल प्रेमियों का उत्सव स्थल बन गया था।
टूर्नामेंट के दौरान इसके साथ की सड़क पूरी तरह से बंद थी। इससे स्थानीय लोगों और टैक्सी चालकों को काफी परेशान होना पड़ा। उन्हें लंबे-लंबे चक्कर लगाने पड़ते।
कतर ने या तो अधिक संख्या में आगंतुकों (visitors) का अनुमान लगाया था या भीड़भाड़ की आशंका थी। अधिकांश मेट्रो स्टेशनों पर प्रशंसकों को अस्थायी बाधाओं के एक घुमावदार चक्रव्यूह का सामना करना पड़ा। इससे किसी को भी वहां पहुंचने में कम से कम दस मिनट लग ही जाते। चाहे वहां भीड़ बिल्कुल भी क्यों न हो। मेगाफोन और फोम फिंगर्स से लैस सैकड़ों सुरक्षा गार्ड, ‘मेट्रो दिस वे’ के ड्रोनिंग कोरस के साथ लोगों को राह दिखाते थे।
इस टूर्नामेंट की सबसे अच्छी बात यह थी कि प्रशंसकों के लिए जरूरी यात्रा की दूरी कम थी। दरअसल, विश्व कप की मेजबानी करने वाले अब तक के सबसे छोटे देश कतर में स्टेडियमों के बीच की सबसे अधिक दूरी 55 किलोमीटर (34 मील) थी। कनाडा, अमेरिका और मैक्सिको में होने वाले 2026 विश्व कप में निश्चित रूप से इससे अलग कहानी होगी। यह संभावना नहीं है कि वे कतर की तरह एक नई अत्याधुनिक मेट्रो सिस्टम में 36 बिलियन डॉलर के भारी निवेश की बराबरी कर लेंगे। बिना ड्राइवर वाली एसी ट्रेनों में शानदार सीटों और मुफ्त यात्रा का मजा ही कुछ और था।
कई बार ऐसा लगा कि कार-मुक्त यात्रा (car-free travel) को लेकर ठीक से विचार नहीं किया गया। अल खोर में मेट्रो स्टेशन और टैक्सी पार्किंग तो अल-बायत स्टेडियम के गेट से लगभग 45 मिनट की पैदल दूरी पर ही थे।
प्रवासी श्रमिकों को हुआ समानांतर विश्व कप का अनुभवः
अधिकतर प्रवासी श्रमिकों (migrant workers) के लिए टूर्नामेंट से दूरी अधिक थी। उनके लिए सबसे करीब स्टेडियम अर-रयान शहर में था, जो कतर के 14,500 क्षमता वाले राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के अंदर है। श्रमिकों के लिए दोहा के चकाचौंध और ग्लैमर से दूर एक खास जगह पर बिल्कुल मुफ्त में डिजिटली मैच देखने की सुविधा प्रदान की गई थी। यहां एक समानांतर (parallel) विश्व कप देखने को मिला। जिसमें बहुत कुछ बेतरतीब लेकिन अनोखा हुआ करता था। खासकर तब, जब स्कीन पर मेसी, रोनाल्डो, या नेमार नजर आते। पत्रकारों के पूछने पर कुछ श्रमिक अपने हालात आदि के बारे में बात करने को तैयार थे।
विदेशी कामगारों के साथ व्यवहार और इस विश्व कप की मानवीय कीमत पश्चिमी मीडिया कवरेज पर भारी पड़ी। यहां तक कि टूर्नामेंट की शुरुआत फीफा के अध्यक्ष गियान्नी इन्फेंटिनो द्वारा एक विचित्र शेखी के साथ हुई। इसके बाद अंतिम समय में शराब को लेकर फैसला बदला गया।
मनोहारी विश्व कपः
पूरे कतर में माहौल शांत और परिवार के अनुकूल था। प्रशंसकों ने इंग्लैंड में यूरो 2021 के दृश्यों के विपरीत शांतिपूर्वक मैच देखे। यह कथित तौर पर पहला विश्व कप भी था, जिसमें इंग्लैंड के किसी भी समर्थक को गिरफ्तार नहीं किया गया था। शायद यह शराब की कमी का असर था।
महिला रेफरीः
महिला रेफरी को शामिल करने वाला यह पहला पुरुष विश्व कप भी था। लेकिन इस प्रगतिशील कदम को इस तथ्य से कम आंका गया है कि कतर की महिला राष्ट्रीय टीम को खेलने का मौका नहीं मिल रहा है। दोहा रेस्तरां, कैफे और चौक-चौराहों पर महिलाओं को शायद ही कभी देखा जाता था। लेकिन कई अरब महिला प्रशंसकों के लिए लाइव फुटबॉल का अनुभव करने का यह पहला मौका था।
वास्तव में एक जोरदार टूर्नामेंट। जिसमें मोरक्को और मेसी ने अपनी छाप छोड़ी और रोनाल्डो ने रोते हुए विदाई ली। जहां एक देश को पर्यटन स्थल में बदलने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए गए। लेकिन अंतत: दुनिया इस बात पर बंटी हुई थी कि फुटबॉल का जश्न मनाया जाए या अत्याचारों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, जिससे यह सब संभव हो सके।
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